नई दिल्ली: पंद्रहवें वित्त आयोग की आर्थिक सलाह समिति ने कोरोना वायरस महामारी के कारण उत्पन्न संकट के इस वर्तमान समय में छोटे उपक्रमों तथा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) की मदद करने का सुझाव दिया ताकि उन्हें दिवालिया होने से बचाया जा सके.
वित्त आयोग के सलाहकार परिषद के सदस्यों ने वीडियो कांफ्रेंस के जरिये हुई दो दिवसीय बैठक में कहा गया कि गया कि बंद में काम काज प्रभावित हुआ है इसलिए सरकार के कर और दूसरे प्रकार की राजस्व में कमी होगी. ऐसे में मौजूदा संकट से निपटनेके लिए कोई भी वित्तीय कदम बहुत नाप तौल कर उठाया जाना चाहिए.
बैठक के बाद एक आधिकारिक बयान में कहा गया, "यह महत्वपूर्ण है कि न केवल राजकोषीय पैकेज के आकार पर ध्यान दिया जाये, बल्कि इसके स्वरूप को भी ध्यान में रखना होगा. सलाहकार परिषद का यह भी मानना है कि सार्वजनिक वित्त पर इन घटनाक्रमों का प्रभाव किस हद तक पड़ेगा, वह अनिश्चित है, लेकिन निश्चित रूप से यह महत्वपूर्ण होगा."
बयान में कहा गया, "सलाहकार परिषद का यह भी मानना है कि सार्वजनिक वित्त पर इन घटनाक्रमों का प्रभाव किस हद तक पड़ेगा, वह अनिश्चित है, लेकिन निश्चित रूप से यह महत्वपूर्ण होगा. स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों, गरीबों और अन्य आर्थिक घटकों को सहायता देने के कारण सरकार पर व्यय का बोझ काफी अधिक होगा."
सलाहकार परिषद के सदस्यों ने यह भी कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था पर कोविड-19 महामारी और देशव्यापी लॉकडाउन का प्रभाव घरेलू आर्थिक गतिविधियों में सुस्ती, वित्तीय संस्थानों एवं व्यावसायिक उद्यमों के नकदी प्रवाह पर इसके असर और व्यापक वैश्विक मंदी के कारण भारतीय उत्पादों की वैश्विक मांग घटने के रूप में हो सकता है.
बयान के अनुसार, "सभी सदस्य इस बात पर एकमत थे कि मार्च 2020 से पहले किये गये वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर के अनुमानों पर नये सिरे से गौर करने और इसमें काफी कमी करने की जरूरत है."