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कोरोना संकट: अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए आरबीआई की रणनीति और आगे की योजना

कोरोनावायरस के कारण वित्तीय क्षेत्र में आने वाले तनाव को देखते हुए दुनिया भर के कई प्रमुख केंद्रीय बैंकों ने भुगतान और निपटान प्रणालियों को बचाने के लिए ब्याज दरों में कटौती की है और तरलता को बाजार में तरलता को बढ़ावा दिया है.

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Published : Mar 25, 2020, 12:05 PM IST

नई दिल्ली: कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी तेजी के साथ फैल रहा है. भारत भी हाल के दिनों में अपने सबसे खराब स्वास्थ्य आपातकाल से गुज़र रहा है. देश में पांच सौ से ज्यादा लोग इसके चपेट में आ चुके हैं.

ऐतिहासिक गिरावट का सामना कर रहे शेयर बाजारों में निवेशकों के लाखों करोड़ डूब रहें है. एक अनुमान के तौर पर सिर्फ 23 मार्च को निवेशकों को 14 लाख करोड़ का नुकसान हुआ.

वित्तीय क्षेत्र में आने वाले तनाव को देखते हुए दुनिया भर के कई प्रमुख केंद्रीय बैंकों ने भुगतान और निपटान प्रणाली को बचाने के लिए भरसक प्रयास कर रहे हैं.

वैश्विक केंद्रीय बैंकों के अनुरूप भारतीय रिज़र्व बैंक और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड ने उपयुक्त उपायों के साथ वित्तीय बाजारों के सुचारू कामकाज को सुनिश्चित करने में सक्रिय रहे हैं.

एक तरफ जहां रिज़र्व बैंक बाजार में तरलता बनाये रखने का प्रयास कर रहा है. वहीं, सेबी ने शेयर बाजारों में अस्थिरता को कम करने के लिए 40 प्रतिशत तक मार्जिन बढ़ाकर शॉर्ट सेल को कमजोर कर दिया है.

आरबीआई ने वायरस से लड़ने की रणनीति बनाई

रिजर्व बैंक ने कोरोना वायरस के संक्रमण से देश की वित्तीय प्रणाली को सुरक्षित और चाक चौबंद रखने के लिये आपात स्तर पर एक युद्ध-कक्ष तैयार किया है. इस कक्ष में रिजर्व बैंक के 90 महत्वपूर्ण कर्मचारी काम कर रहे हैं. एक अधिकारी के अनुसार, रिजर्व बैंक ने यह कक्ष आकस्मिक कार्य योजना (बीसीपी) के तहत तैयार किया है. यह 19 मार्च से काम कर रहा है और 24 घंटे सक्रिय है.

इंडियन बैंक एसोसिएशन (आईबीए) ने सबसे आवश्यक सेवाएं प्रदान करने के लिए चुनिंदा शाखाओं को खोलने का सुझाव दिया. इसने ग्राहकों को बैंक कर्मचारियों को वायरस से बचाने के लिए डिजिटल मोड पर स्विच करने की सलाह दी.

रिजर्व बैंक बाजार में स्थिरता बनाये रखने के ध्येय से बांड की खरीद बिक्री (खुले बाजार की गतिविधियां-ओएमओ) के जरिये अगले सप्ताह बाजार में 30,000 करोड़ रुपये की नकदी डालेगा. केंद्रीय बैंक ने एक बयान में कहा कि आरबीआई खुली बाजार गतिविधियों के जरिये सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद-फरोख्त की व्यवस्था करेगा. यह खरीद 30,000 करोड़ रुपये की होगी और दो किस्तों में की जाएगी. यह खरीद 15,000-15,000 रुपये की इसी महीने में होगी.

रिजर्व बैंक जल्द ही सिस्टम में 1 लाख करोड़ रुपये डालेगा. आरबीआई ने टर्म रेपो ऑक्शन के जरिये यह राशि उपलब्ध कराई जाएगी और भविष्य में ज्यादा की जरूरत हुई तो ऐसे और भी कदम उठाए जा सकते हैं. इसमें से 50 हजार करोड़ रुपये की पहली खेप सोमवार को ही जारी भी कर दी गई. आरबीआई ने कहा कि योजना की अगली 50 हजार करोड़ की नकदी मंगलवार को जारी की जाएगी.

अगला सहायक कदम

तीन अप्रैल को होने वाले आरबीआई की मौद्रिक समीक्षा नीति में केंद्रीय बैंक उद्योग और बाजार की जरूरतों के आधार पर रेपो रेट में कटौती कर सकता है.

बता दें कि कई वैश्विक केंद्रीय बैंकों ने कोरोना वायरस की महामारी के दौरान बैंकों और उद्योग को राहत देने के लिए रेपो दरों में कटौती की है.

देश की खुदरा मुद्रास्फीति में फरवरी में 6.58 प्रतिशत थी. जो इससे पहले जनवरी 2020 में 7.59 प्रतिशत थी. हालांकि यह अभी भी आरबीआई राहत क्षेत्र से दूर है.

इसी तरह पिछले सत्र के दौरान अच्छे मानसून के कारण कृषि क्षेत्र की उज्ज्वल संभावनाएं उत्साह में बढ़ सकती हैं लेकिन कोविड-19 महामारी के अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान होने की उम्मीद है.

जब तक उद्योग को सहायता प्रदान नहीं की जाती है, तब तक वसूली को बढ़ावा देना मुश्किल होगा.

आरबीआई पहले से ही प्राथमिकता वाले सेक्टरों टैग के तहत एनबीएफसी को उधार दे चुका है.

यह बैंक जमा दरों में तत्काल कटौती और सस्ती ऋणों तक पहुंच में मदद करने के लिए उधार दरों में नरमी को बढ़ावा देगा.

एसबीआई ने पहले ही अपने घटकों को आपातकालीन ऋण सुविधाओं की घोषणा की है.

आगे का रास्ता

आरबीआई इस घातक वायरस से लड़ने के लिए अर्थव्यवस्था में गहरी और लंबे समय तक व्यवधान को कम करने के लिए ब्याज़ दरों में कटौती करेगा.

सरकार, नियामकों और वित्तीय संस्थानों को एक साथ आकर एक आक्रामक भूमिका निभाने की जरूरत है. जिससे खोई हुई विकास की गति को फिर से हासिल किया जा सके.

(लेखक - डॉ के श्रीनिवास राव, एडजंक्ट प्रोफेसर, इंस्टीट्यूट ऑफ इंश्योरेंस एंड रिस्क मैनेजमेंट, हैदराबाद. उपर्युक्त दिए विचार लेखक के व्यक्तिगत हैं.)

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