नई दिल्ली: रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि कोरोना वायरस का भारत पर सीमित प्रभाव ही पड़ेगा लेकिन चीनी अर्थव्यवस्था के आकार को देखते हुए वैश्विक जीडीपी और व्यापार पर निश्चित रूप से इसका प्रभाव पड़ेगा.
उन्होंने कहा कि भारत में केवल एक-दो क्षेत्रों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है लेकिन उन मसलों से पार पाने के लिये विकल्पों पर गौर किया जा रहा है. चीन में फैले खतरनाक विषाणु के कारण दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थम सी गयी है और उसका प्रभाव समूचे उद्योग जगत पर देखा जा रहा है.
दास ने पीटीआई- भाषा से बातचीत में कहा कि देश का औषधि और इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण क्षेत्र कच्चे माल के लिये काफी हद तक चीन पर निर्भर है और उन पर इसका असर दिख सकता है.
उन्होंने कहा, "निश्चित रूप से यह मुद्दा है जिस पर भारत या अन्य किसी भी देश में प्रत्येक नीति निर्माताओं को नजर रखने की जरूरत है. हर नीति निर्माता, मौद्रिक प्राधिकरण को कोरोना वायरस मामले में कड़ी नजर रखने की आवश्यकता है..."
दास ने कहा कि 2003 में फैले सार्स (सेवियर एक्युट रेसपिरेटरी सिंड्रोम) के मुकाबले यह ज्यादा बड़ा है. उस समय चीन की अर्थव्यवस्था में करीब एक प्रतिशत सुस्ती आई थी. सार्स के फैलने के समय चीन छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी और वैश्विक जीडीपी में उसका योगदान केवल 4.2 प्रतिशत था. अब यह एशियाई देश दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और वैश्विक जीडीपी में इसका 16.3 प्रतिशत योगदान है. ऐसे में वहां नरमी का प्रभाव दुनिया भर में दिखेगा.
उन्होंने कहा, "जहां तक भारत का सवाल है कि चीन महत्वपूर्ण व्यापार भागीदार है और सरकार तथा मौद्रिक प्राधिकरण दोनों स्तरों पर नीति निर्माताओं को इसको लेकर सतर्क रहने की जरूरत है."