नई दिल्ली: ब्राजील ने भारत द्वारा किसानों को चीनी पर दी जा रही सब्सिडी के मामले में विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के तहत विवाद निपटान समिति गठित किये जाने की मांग की है. फरवरी में ब्राजील और कई अन्य देशों मसलन आस्ट्रेलिया और ग्वाटेमाला ने भारत को डब्ल्यूटीओ की विवाद निपटान व्यवस्था के तहत घसीटा था.
इन देशों का आरोप है कि भारत द्वारा अपने किसानों को चीनी सब्सिडी दिया जाना वैश्विक व्यापार नियमों के खिलाफ है. ब्राजील दुनिया का सबसे बड़ा चीनी उत्पादक और निर्यातक देश है.
दक्षिण अमेरिकी देश ब्राजील ने जिनेवा स्थित डब्ल्यूटीओ को भेजे पत्र में कहा है, "हम अनुरोध करते हैं कि विवाद निपटान निकाय समिति का गठन करे."
ये भी पढ़ें:राजकोषीय घाटे को तीन प्रतिशत तक लाना सरकार का कानूनी कर्तव्य: सीतारमण
ब्राजील का आरोप है कि भारत ने हाल के बरसों मे गन्ने और चीनी के घरेलू समर्थन में बड़े पैमाने पर इजाफा किया है. उदाहरण देते हुए ब्राजील ने कहा कि भारत ने गन्ने के लिए उचित और लाभकारी मूल्य को लगभग दोगुना कर दिया है. 2010-11 में यह मूल्य 1,391.2 रुपये प्रति टन था जो 2018-19 में 2,750 रुपये प्रति टन पर पहुंच गया.
ब्राजील ने कहा कि भारतीय कानून के तहत यह उचित और लाभकारी मूल्य वह न्यूनतम कीमत है जो कि चीनी मिलों को निश्चित रूप से गन्ना उत्पादक किसानों को देनी होती है. गन्ना उत्पादकों को दिया जाने वाला यह सबसे प्रमुख समर्थन है.
इसके अलावा भारत में कई राज्यों ने गन्ने के लिए ऊंचा न्यूनतम मूल्य तय किया है जो स्थानीय चीनी मिलों को स्थानीय गन्ना उत्पादकों को देना होता है.