नई दिल्ली: रियल्टी कंपनियों की शीर्ष संस्था क्रेडाई ने रिजर्व बैंक को पत्र लिखकर यह शिकायत की है कि आवास ऋण लेने वालों और नकदी संकट से जूझ रहे डेवलपर्स को बैंक घटी ब्याज दरों का लाभ नहीं पहुंचा रहे हैं.
डेवलपर्स की इस संस्था ने रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास से आग्रह किया है कि वह बैंकों को यह निर्देश दें कि वह गैर- बैंकिंग वित्त कंपनियों (एनबीएफसी) और आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) को ब्याज दरों में हुई कटौती का लाभ पहुंचायें. रीयल एस्टेट कंपनियों को सबसे ज्यादा धन इन्हीं वित्त संस्थानाओं से आता है.
रिजर्व बैंक गवर्नर को भेजे पत्र में क्रेडाई ने कहा है कि केन्द्रीय बैंक ने संकट के इस दौर में प्रणाली में नकदी बढ़ानेके लिये कई कदम उठाये हैं. रिजर्व बैंक ने कर्ज सस्ता करने के लिये रेपो दर में दो बार में 1 प्रतिशत से अधिक कटौती की है. रिवर्स रेपो दर में भी काफी कमी आई है.
इसके साथ ही मकान तथा दूसरे कार्यों के लिये जिन लोगों ने कर्ज लिया हुआ है उन्हें तीन माह के लिये कर्ज की किस्त चुकाने से भी छूट दी है. अब इस छूट को छह माह कर दिया गया है.
कन्फेडरेशन आफ रीयल एस्टेट डेवलपर्स एसोसियेसन आफ इंडिया (क्रेडाई) ने कहा है, "रीयल एस्टेट क्षेत्र में हालांकि रिजर्व बैंक की रेपो दर में कटौती का लाभ नहीं हुआ है."