मुंबई: राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने बृहस्पतिवार को जेट एयरवेज के खिलाफ दिवाला एवं ऋण शोधन प्रक्रिया शुरू करने की याचिका को मंजूरी दे दी. भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व में ऋणदाताओं के समूह ने इस संबंध में याचिका दायर की थी.
न्यायाधिकरण ने इस संबंध में ग्रांट थॉर्टंन के आशीष छौछरिया को समाधान पेशेवर नियुक्त किया है. जेट एयरवेज 17 अप्रैल से अपना परिचालन बंद कर चुकी है.
न्यायाधिकरण की वी. पी. सिंह और रविकुमार दुरईसामी की पीठ ने समाधान पेशेवर को निर्देश दिया कि वह इस प्रक्रिया को तीन माह के भीतर पूरा करने की कोशिश करे, भले ही कानून छह माह की इजाजत देता है. उन्होंने इसे 'राष्ट्रीय महत्व का विषय' बताया.
ये भी पढ़ें: विदेशी बाजार में आई तेजी से सोना एमसीएक्स पर 4 महीने के ऊंचे स्तर पर
अपनी याचिका में स्टेट बैंक ने कंपनी पर 967 करोड़ रुपये का दावा किया है. बैंक ने बताया कि उसने कंपनी को 505 करोड़ रुपये की कार्यशील पूंजी के रूप में और 462 करोड़ रुपये ओवरड्राफ्ट सुविधा दी थी.
हालांकि इस संबंध में नीदरलैंड के वेंडर की हस्तक्षेप याचिका को न्यायाधिकरण ने खारिज कर दिया. उसने कहा कि जेट एयरवेज की दिवाला प्रक्रिया के लिए डच जिला अदालत को आदेश देने का अधिकार नहीं है.
इसके अलावा जेट एयरवेज को परिचालन ऋण देने वाले दो ऋणदाता शमन व्हील और गग्गर एंटरप्राइजेज की ओर से दायर किए गये क्रमश: 8.74 करोड़ रुपये और 53 लाख रुपये के दावों को भी न्यायाधिकरण ने खारिज कर दिया.