मुंबई: अपेक्षा के अनुसार प्रदर्शन नहीं कर पाने के आरोप में टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाए गए साइरस मिस्त्री ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय में एक हलफनामा दाखिल कर कहा कि 2019 में टाटा समूह को हुआ शुद्ध नुकासन 13,000 करोड़ रुपये था, जो तीन दशकों में सबसे अधिक है.
पिछले दिसंबर में एनसीएलएटी द्वारा उनकी बहाली के आदेश को चुनौती देने वाली टाटा की याचिका के जवाब में मिस्त्री ने कहा कि वैश्विक स्तर पर कॉरपोरेट प्रशासन के सर्वोत्तम मानकों के अनुसार समूह के चेयरमैन एमिरेट्स रतन टाटा को 2012 में अपनी रवानगी के बाद अपने ऊपर हुए सभी खर्चों को टाटा संस को वापस करना चाहिए.
इससे पहले जनवरी में टाटा ने 18 दिसंबर 2019 के राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी. इसके बाद न्यायालय ने एनसीएलएटी के आदेश पर रोक लगा दी.
शीर्ष अदालत ने 29 मई को मामले पर सुनवाई शुरू की और संबंधित सभी पक्षों को चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा. मिस्त्री परिवार की फर्मों ने शुक्रवार को टाटा के हलफनामों का जवाब दाखिल किया. पीटीआई-भाषा ने इसकी प्रति देखी है.
मिस्त्री को 24 अक्टूबर 2016 को टाटा संस के चेयरमैन पद से अचानक बिना कोई कारण बताए हटा दिया गया था. हालांकि, बाद में कुछ प्रेस बयानों में समूह ने दावा किया कि मिस्त्री अपेक्षा के अनुसार प्रदर्शन नहीं कर पा रहे थे और उनकी निगरानी में टाटा संस को नुकसान हुआ.
दूसरी ओर मिस्त्री के अनुसार घाटे के आंकड़ों में समूह की भारी लाभ कमाने वाली कंपनी टीसीएस से मिलने वाले लाभांश को शामिल नहीं किया गया, जो औसतन सालाना 85 प्रतिशत से अधिक था.
मिस्त्री ने उच्चतम न्यायालय को अपने जवाब में कहा, "टाटा घराने ने मेरे प्रदर्शन को धूमिल करने के लिए परिचालन लाभ में टीसीएस से मिलने वाले लाभांश को शामिल नहीं करने देना चाहते थे. उसी बात को अब लागू करें (टीसीएस का लाभ निकाल देंत्) तो टाटा समूह का कर पश्चात समायोजित घाटा 2019 में 13,000 करोड़ रुपये था, जो तीन दशक में सबसे अधिक घाटा है."