नई दिल्ली:उद्योगपति गौतम अडाणी की अगुवाई वाले विभिन्न कारोबार से जुड़े समूह ने संकट में फंसी आवास वित्त कंपनी डीएचएफएल के लिये 33,000 करोड़ रुपये की बोली लगाकर अमेरिकी की ओकट्री को पीछे छोड़ दिया है.
हालांकि प्रतिद्वंद्वी बोलीदाताओं का कहना है कि समूह ने कथित रूप से समयसीमा का पालन नहीं किया, अत: वह बोली से हटे. अडाणी समूह ने इस आरोप से इनकार करते हुए कहा कि उसने पूरी प्रक्रिया अपनायी और अन्य बोलीदाता साठगांठ कर अधिकतम मूल्य वाली बोली को रोकना चाहते हैं.
चार इकाइयों ने लगाई थी बोली
डीएचएफएल को कर्ज देने वाले संस्थानों और उद्योग से जुड़े सूत्रों ने बताया कि चार इकाइयों...अडाणी समूह, पीरामल समूह, अमेरिकी संपत्ति प्रबंधन कंपनी ओकट्री कैपिटल मैनेजमेंट तथा हांगकांग की एससी लोवी ने अक्टूबर में डीएचएफएल के लिये बोलियां लगायी थी.
हालांकि बकाया कर्ज की वसूली के लिये डीएचएफएल की नीलामी कर रहे कर्जदाता चाहते थे कि संभावित खरीदार अपनी बोलियों को संशोधित करें क्योंकि मूल पेशकश काफी कम थी. एक सूत्र के अनुसार अडाणी समूह ने शुरू में डीएएफएल के थोक तथा स्लम रिहैबिलिटेशन ऑथोरिटी (एसआरए) पोर्टफोलियो के लिये ही बोली लगायी थी.
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लेकिन 17 नवंबर को संशोधित पेशकश में पूरी संपत्ति के लिये बोली लगायी. उसने इसके तहत 30,000 करोड़ रुपये के साथ 3,000 ब्याज की पेशकश की. यह ओकट्री की 28,300 करोड़ रुपये की पेशकश से अधिक थी.