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पश्चिम बंगाल-बांग्लादेश के बीच थल-सीमा पर फंसे ट्रक, निर्यातकों ने जतायी चिंता

निर्यातक संगठनों के महासंघ 'फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन' (फियो) के अध्यक्ष एस. के. सर्राफ ने इस मुद्दे पर वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से बातचीत की और अपनी चिंताओं से उन्हें अवगत कराया. इस वीडियो कॉन्फ्रेंस में सभी निर्यात संवर्द्धन परिषदों ने भी भाग लिया.

पश्चिम बंगाल-बांग्लादेश के बीच थल-सीमा पर फंसे ट्रक, निर्यातकों ने जतायी चिंता
पश्चिम बंगाल-बांग्लादेश के बीच थल-सीमा पर फंसे ट्रक, निर्यातकों ने जतायी चिंता

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Published : Jul 3, 2020, 10:56 PM IST

नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल और बाांग्लादेश के बीच जमीनी सीमा पर ट्रकों के फंसने पर निर्यातकों ने शुक्रवार को गहरी चिंता व्यक्त की. उन्होंने मामले में वाणिज्य मंत्रालय से हस्तक्षेप करने की अपील की है. निर्यातकों का कहना है कि यदि ये गतिरोध जारी रहता है तो यह दोनों देशों के द्विपक्षीय व्यापार को प्रभावित करेगा.

निर्यातक संगठनों के महासंघ 'फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन' (फियो) के अध्यक्ष एस. के. सर्राफ ने इस मुद्दे पर वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से बातचीत की और अपनी चिंताओं से उन्हें अवगत कराया. इस वीडियो कॉन्फ्रेंस में सभी निर्यात संवर्द्धन परिषदों ने भी भाग लिया.

बैठक के बाद सर्राफ ने कहा कि कोविड-19 संकट के चलते पश्चिम बंगाल सरकार बांग्लादेश से सामान लेकर आने वाले सभी ट्रक ड्राइवरों को 14 दिन के पृथकवास में रखने के लिए कह रही है. उन्हें राज्य में सामान लेकर प्रवेश करने से पहले ऐसा करने के लिए कहा जा रहा है जिससे दोनों देशों की जमीनी सीमा पर ट्रकों की कतार लग गयी है.

सर्राफ ने पीटीआई-भाषा से कहा, "इस वजह से बांग्लादेश से आयात किए जाने वाले माल की खेप भारत-बांग्लादेश के पेट्रापोल और घोजादंगा (भारत) एवं बेनापोल और भोमरा (बांग्लादेश) के बंदरगाहों पर फंस गए हैं. हमने मंत्री (गोयल) से इस मामले में दखल देकर जल्द से जल्द समाधान निकालने के लिए कहा है. इस पूरी घटना की वजह से बांग्लादेश ने भी हमारे माल को अपने यहां अनुमति देने से रोक दिया है. इस तरह के कदमों से दोनों देशों के रिश्ते प्रभावित होते हैं."

फियो के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा कि कोविड-19 संकट के चलते लगे लॉकडाउन के बाद से ही थल सीमा से व्यापार में दिक्कतें आ रही हैं. जबकि केंद्र सरकार ने बंदरगाह और उससे जुड़ी गतिविधियों को पर्याप्त सुरक्षा उपाय के साथ चलाते रहने की अनुमति दी थी और इसे अनिवार्य सेवाओं की श्रेणी में रखा था.

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उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल की सीमा और बंदरगाह राज्य एवं देशभर में व्यापारी समुदाय के लिए विवाद का विषय बने रहे हैं. बांग्लादेश के साथ कई मुश्किलों से पार पाते हुए व्यापार जून में दोबारा शुरू हुआ जब यहां के जिला प्रशासन ने अनुमति दे दी.

लेकिन इसके बावजूद पेट्रापोल-बेनापोल और घोजादंगा-भोरमा सीमा इसका अपवाद बनी रही. इन सीमाओं से बांग्लादेश से एक भी ट्रक को देश में आने की अनुमति नहीं मिली है.

सहाय ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में जमीनी हालात और बिगड़े हैं. मौजूदा समय में करीब 500-550 ट्रक सीमा पर अटके हैं. इसमें कई सारे ट्रकों में जल्द खराब होने वाला सामान भी है. यदि इस तरह का गतिरोध जारी रहता है तो दोनों देशों के द्विपक्षीय व्यापारिक रिश्ते खराब होंगे.

रोजगार और आजीविका के नुकसान के अलावा यह भारतीय निर्यातकों और आयातकों के समक्ष उनकी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को पूरा करने की असफलता के तौर पर भी देखा जाएगा. भारत-बांग्लादेश के बीच 2018-19 में 10.25 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ था.

(पीटीआई-भाषा)

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