हैदराबाद : पिछले दशक के दौरान वैश्विक आबादी के एक बड़े हिस्से ने पहले से कहीं ज्यादा बिजली की पहुंच हासिल की है, लेकिन उप-सहारा अफ्रीका में ऐसे लोगों की आबादी बढ़ी है, जिनके पास बिजली की सुविधा नहीं है. जब तक बिजली की सुविधा से दूर इन देशों में प्रयासों को महत्वपूर्ण रूप से नहीं बढ़ाया जाता है, तब तक दुनिया 2030 तक सस्ती, विश्वसनीय, टिकाऊ और आधुनिक ऊर्जा तक सार्वभौमिक पहुंच सुनिश्चित करने में सफल नहीं हो पाएगी.
ट्रैकिंग एसडीजी 7 के अनुसार: ऊर्जा प्रगति रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष
रिपोर्ट के अनुसार, सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) 7 के विभिन्न पहलुओं पर 2010 से महत्वपूर्ण प्रगति हुई है, लेकिन प्रगति सभी क्षेत्रों में असमान रही है. पिछले एक दशक में वैश्विक स्तर पर एक अरब से अधिक लोगों ने बिजली तक पहुंच प्राप्त की. कोविड के वित्तीय प्रभाव ने बुनियादी बिजली सेवाओं को 30 मिलियन से अधिक लोगों के लिए अप्रभावी बना दिया है, जिनमें से अधिकांश अफ्रीका में स्थित हैं. नाइजीरिया, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य और इथियोपिया में बिजली की सबसे बड़ी कमी थी. इथियोपिया ने भारत को तीसरे स्थान से हटाया है.
वैश्विक स्तर पर, बिजली से वंचित लोगों की संख्या 2010 में 1.2 बिलियन से घटकर 2019 में 759 मिलियन हो गई. विकेंद्रीकृत रिन्यूवेबल-आधारित समाधानों के माध्यम से विद्युतीकरण ने विशेष रूप से गति प्राप्त की. मिनी-ग्रिड से जुड़े लोगों की संख्या 2010 की तुलना में 2019 तक दोगुनी से अधिक हो गई है, जो 5 से बढ़कर 11 मिलियन हो गई है. हालांकि नियोजित नीतियों और कोरोना संकट से प्रभावित होने के कारण 660 मिलियन लोगों को अभी भी 2030 तक विद्युत की पहुंच होने में समय लगेगा. इनमें से अधिकांश उप-सहारा अफ्रीका में हैं.
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2019 में लगभग 2.6 बिलियन लोग खाने पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन की पहुंच से वंचित है, जो वैश्विक आबादी का एक तिहाई है. 2010 के बाद से काफी हद तक स्थिर प्रगति के कारण हर साल खाना पकाने के धुएं से लाखों मौतें होती हैं, और स्वच्छ ईंधन की पहुंच में तेजी से कार्रवाई के अभाव में 2030 तक दुनिया अपने लक्ष्य से 30 प्रतिशत धीमे हो जाएगी.