नई दिल्ली: दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आगामी नीलामी के लिए स्पेक्ट्रम के आरक्षित मूल्य में कमी के संकेत दिए हैं. 5 जी समेत अन्य बैंड के स्पेक्ट्रम की अत्यधिक कीमत को लेकर चिंताओं के बीच दूरसंचार मंत्री सोमवार को मूल्य निर्धारण में "सुधार" का वादा किया.
उन्होंने कहा कि स्पेक्ट्रम की नीलामी इसी वित्त वर्ष में होगी. प्रसाद ने इंडिया मोबाइल कांग्रेस 2019 में कहा कि सरकार दूरसंचार उद्योग की चुनौतियों और समस्याओं से अवगत भी है और उन्हें लेकर जागरूक भी है.
उन्होंने कहा, "स्पेक्ट्रम नीलामी इस वित्त वर्ष में की जाएगी... हम स्पेक्ट्रम के मूल्य निर्धारण में कुछ सुधार कर रहे हैं." भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने पिछले साल 8,644 मेगाहर्ट्ज के स्पेक्ट्रम की 4.9 लाख करोड़ रुपये के आधार मूल्य पर बिक्री की सिफारिश की थी. इसमें 5 जी सेवाओं के लिए भी स्पेक्ट्रम शामिल है. लेकिन वित्तीय संकट से जूझ रही दूरसंचार कंपनियों ने गुहार लगाई थी कि प्रस्तावित कीमत वहन करने योग्य नहीं है और बहुत ज्यादा है.
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कुछ कंपनियों ने कहा था कि दक्षिण कोरिया, स्पेन, ब्रिटेन और इटली जैसे देशों में 5 जी बैंड की औसत कीमत 84 करोड़ रुपये/मेगाहर्ट्ज है जबकि ट्राई ने इसी बैंड के लिए 5-6 गुना ज्यादा कीमत 492 करोड़ की सिफारिश की है.
भारत में 5जी उपकरण बनाने के लिए तैयार एरिक्सन
एरिक्सन के प्रमुख (दक्षिण पूर्व एशिया , ओशिआनिया और भारत) नुनजिओ मिरतिलो ने इंडिया मोबाइल कांग्रेस 2019 में कहा, "इस साल हम यह कह सकते हैं कि एक बार देश में 5 जी शुरू हो जाएगा तो हम अपने उत्पादन को 4 जी से 5 जी में बदलने के लिए तैयार हैं. हम भारत के लिए , भारत में 5 जी उपकरणों का उत्पादन करेंगे."
कंपनी ने कहा कि भारत में उसका कारखाना है, जहां 4जी नेटवर्क उपकरण बनाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि प्रोत्साहित करने वाली नीति, उन्नत पारिस्थितिकी तंत्र और किफायती स्पेक्ट्रम कंपनियों को जल्द से जल्द 5जी सेवा शुरू करने में मदद करेंगे.
स्पेक्ट्रम की ऊंची कीमत, नेटवर्क की लागत दूरसंचार उद्योग के लिए चुनौती: एयरटेल
स्पेक्ट्रम की ऊंची कीमत और नेटवर्क लगाने की लागत कर्ज के बोझ से दबे दूरसंचार उद्योग के समक्ष एक बड़ी चुनौती है. इंडिया मोबाइल कांग्रेस-2019 को सोमवार को संबोधित करते हुए भारती एंटरप्राइजेज के वाइस चेयरमैन राकेश भारती मित्तल ने यह बात कही. मित्तल ने कहा कि देश में उच्च गति की ब्रॉडबैंड सेवा के लिए आप्टिकल फाइबर बिछाने की लागत का 75 प्रतिशत स्थानीय प्राधिकरणों द्वारा लिया जाने वाला शुल्क होता है.