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सॉवरेन गोल्ड बांड्स: जानिए मुख्य लाभ समेत तमाम जरूरी बातें - आरबीआई

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड खरीदने के लिए पांच दिवसीय अवधि सोमवार से शुरू हुई है. कोई व्यक्ति विशेष इस दौरान कम से कम 1 ग्राम से लेकर अधिकतम 4 किलोग्राम तक मूल्य का गोल्ड बॉन्ड खरीद सकता है. ऑनलाइन आवेदकों को अतिरिक्त छूट दिया जाता है. जानिए पूरा विवरण.

सॉवरेन गोल्ड बांड्स: जानिए मुख्य लाभ समेत तमाम जरूरी जानकारी
सॉवरेन गोल्ड बांड्स: जानिए मुख्य लाभ समेत तमाम जरूरी जानकारी

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Published : Dec 30, 2020, 2:59 PM IST

Updated : Dec 30, 2020, 3:08 PM IST

बिजनेस डेस्क, ईटीवी भारत : अगर आप सोने में निवेश करने की योजना बना रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए है. सोमवार से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स (एसजीबी) जारी कर रहा है, जिसका निर्गम मूल्य 5,000 रुपये प्रति ग्राम है.

यदि निवेश के दृष्टिकोण से सोना खरीदना चाहते हैं, तो भौतिक रूप से धातु खरीदने के मुकाबले इन स्वर्ण बांडों के बारे में भी विचार किया जा सकता है.

1 जनवरी 2021 तक खरीदे जा सकने वाले इन बॉन्ड के बारे में ईटीवी भारत आपको कुछ प्रमुख विशेषताएं बता रहा है.

गोल्ड बॉन्ड्स क्या हैं?

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड, या एसजीबी, अनिवार्य रूप से आरबीआई द्वारा जारी सरकारी प्रतिभूतियां हैं. जिन्हें 1 ग्राम की मूल इकाई के साथ सोने के ग्राम (ओं) के गुणकों में दर्शाया गया है.

इन बांडों को अत्यंत सुरक्षित माना जाता है क्योंकि ये ब्याज और मोचन राशि पर सरकारी गांरटी के साथ आते हैं.

गोल्ड बॉन्ड में निवेश करने के मुख्य लाभ क्या हैं?

यदि आप गोल्ड बांड स्कीम में निवेश करते हैं, तो सोने की बढ़ती/गिरती कीमतों से जुड़े नियमित रिटर्न के साथ, निवेशकों को नाममात्र के मूल्य पर प्रतिवर्ष देय अर्ध-वार्षिक 2.5% ब्याज की दर से मुआवजा दिया जाता है.

इसके अलावा, भौतिक सोने की खरीद के दौरान भुगतान किए जाने वाला जीएसटी गोल्ड बॉन्ड पर नहीं लिया जाता है.

गोल्ड बॉन्ड डीमैट या पेपर फॉर्म में उपलब्ध होने के कारण इसके भंडारण संबंधी झंझट या चोरी की चिंताएं नहीं होती हैं.

गोल्ड बॉन्ड मेकिंग चार्जेस या शुद्धता जैसे मुद्दों से भी मुक्त होते हैं.

गोल्ड बॉन्ड का इस्तेमाल गोल्ड लोन के लिए संपार्श्विक के रूप में भी किया जा सकता है. सेट किए जाने वाले ऋण-से-मूल्य (एलटीवी) अनुपात, सामान्य स्वर्ण ऋण के उस सेट के बराबर है जो समय-समय पर आरबीआई द्वारा अनिवार्य किया जाता है.

यदि आप गोल्ड बॉन्ड में पैसा लगाते हैं तो लॉक-इन अवधि क्या है?

यह जानना महत्वपूर्ण है कि गोल्ड बॉन्ड का कार्यकाल 8 वर्ष है. केवल पांचवें वर्ष के बाद बाहर निकलने का विकल्प उपलब्ध है जिसे ब्याज भुगतान की तारीखों पर प्रयोग किया जा सकता है.

इस योजना में कौन निवेश कर सकता है?

व्यक्ति, एचयूएफ (हिंदू अविभाजित परिवार), ट्रस्ट, विश्वविद्यालय, संस्थाएं और धर्मार्थ संस्थान सहित भारतीय निवासी इस तरह के बॉन्ड में निवेश कर सकते हैं.

इस योजना के माध्यम से आप कितना सोना खरीद सकते हैं?

गोल्ड बॉन्ड स्कीम के माध्यम से एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 1 ग्राम सोना खरीदा जा सकता है, जबकि व्यक्तियों के लिए अधिकतम निवेश की सीमा 4 किलोग्राम, एचयूएफ के लिए 4 किलोग्राम और ट्रस्ट के लिए 20 किलोग्राम की सीमा निर्धारित की गई है.

आप सोने के बांड कहां से खरीद सकते हैं?

वाणिज्यिक बैंकों (जैसे एसबीआई, एचडीएफसी बैंक आदि), स्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड (एसएचसीआईएल), नामित डाकघरों (जैसा कि अधिसूचित किया जा सकता है) और मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज जैसे नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ़ इंडिया (एनएसई) और बीएसई या सीधे एजेंटों के माध्यम से गोल्ड बॉन्ड बेचे जाते हैं.

इन सोने के बांड की कीमत कैसे तय होती है?

गोल्ड बॉन्ड का नाममात्र मूल्य सदस्यता अवधि से पहले सप्ताह के आखिरी तीन कारोबारी दिनों में 999 शुद्धता के सोने के सरल औसत बंद भाव पर आधारित होती है.

साथ ही, जो लोग ऑनलाइन आवेदन करते हैं और डिजिटल मोड के माध्यम से भुगतान करते हैं, उन्हें बॉन्ड के निर्गम मूल्य से 50 रुपये प्रति ग्राम की अतिरिक्त छूट मिलती है.

यदि आप ऑनलाइन के माध्यम से इस योजना की सदस्यता ले रहे हैं, तो आपसे 4,950 रुपये प्रति ग्राम लिया जाएगा.

गोल्ड बॉन्ड से रिटर्न पर कैसे कर लिया जाता है?

आयकर अधिनियम, 1961 के प्रावधान के अनुसार गोल्ड बॉन्ड पर ब्याज कर योग्य होगा. परिपक्वता के दौरान सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को भुनाने पर उत्पन्न होने वाले पूंजीगत लाभ कर में छूट दी गई है.

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Last Updated : Dec 30, 2020, 3:08 PM IST

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