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सेबी ने सूचीबद्ध कंपनियों के कर्ज भुगतान में असफल रहने संबंधी खुलासा नियमों को सख्त किया

सेबी निदशक मंडल की यहां हुई बैठक में इन प्रस्तावों को मंजूरी दी गई. सेबी ने व्यावसायिक उत्तरदायित्व रिपोर्ट (बीआरआर) जमा करने के दायरे को भी बढ़ाया है. अब 500 की जगह शीर्ष 1,000 कंपनियों को बीबीआर रिपोर्ट जमा करनी होगी.

सेबी ने सूचीबद्ध कंपनियों के कर्ज भुगतान में असफल रहने संबंधी खुलासा नियमों को सख्त किया

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Published : Nov 20, 2019, 7:15 PM IST

Updated : Nov 20, 2019, 8:45 PM IST

मुंबई: पूंजी बाजार नियामक सेबी ने सूचीबद्ध कंपनियों के लिए उनके समय पर कर्ज नहीं चुका पाने की जानकारी देने संबंधी नियमों को और सख्त किया है. नियामक ने इसके साथ ही पोर्टफोलियो प्रबंधकों और राइट इश्यू जारी करने के अपने नियमों में भी संशोधन को मंजूरी दे दी है.

सेबी निदशक मंडल की यहां हुई बैठक में इन प्रस्तावों को मंजूरी दी गई. सेबी ने व्यावसायिक उत्तरदायित्व रिपोर्ट (बीआरआर) जमा करने के दायरे को भी बढ़ाया है. अब 500 की जगह शीर्ष 1,000 कंपनियों को बीबीआर रिपोर्ट जमा करनी होगी.

सेबी निदेशक मंडल की बैठक के बाद सेबी चेयरमैन अजय त्यागी ने कहा कि कर्ज भुगतान में असफलता को लेकर नए खुलासा नियमों का उद्देश्य "निवेशकों की मदद के लिये और पारदर्शिता लाना है."

नियामक ने कहा, "कर्ज के मूलधन या ब्याज की अदायगी में 30 दिनों से ज्यादा की देरी होने पर सूचीबद्ध कंपनियों को 24 घंटे के भीतर "कर्ज भुगतान नहीं कर पाने के बारे में तथ्यों" का खुलासा करना होगा.

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सेबी ने कहा कि यह फैसला सूचीबद्ध कंपनियों के समय पर कर्ज किस्त का भुगतान नहीं कर पाने से जुड़ी जानकारी नहीं मिल पाने की कमी को दूर करने के लिए किया है. नया नियम एक जनवरी जनवरी, 2020 से लागू होगा.

उल्लेखनीय है कि आईएलएंडएफएस समेत कई कंपनियों द्वारा समय पर कर्ज का भुगतान नहीं कर पाने जैसी कई घटनाएं सामने आई हैं. कई मामलों में कर्ज चुकाने में देरी की जानकारी बहुत देरी से दी गई.

बैठक में लिए गये अन्य फैसलों के तहत, सेबी मौजूदा शेयरधारकों को उनके अधिकार के मुताबिक शेयर जारी करने के नियमों को संशोधित करेगा. राइट इश्यू की समय सीमा को 55 दिन से घटाकर 31 दिन किया जाएगा.

इसके अलावा, बाजार नियामक पोर्टफोलियो प्रबंधकों के लिए नियमों को संशोधित करेगा. इसमें इस तरह की इकाइयों के लिए निवल संपत्ति और न्यूनतम निवेश आवश्यकता को बढ़ाया जा सकता है.

पोर्टफोलियो प्रबंधन योजना के तहत सीमा बढ़ाकर 50 लाख रुपये की

बाजार नियामक सेबी ने पोर्टफोलियो प्रबंधन योजना (पीएमएस) से खुदरा निवेशकों को अलग रखने के लिये कदम उठाया है. नियामक ने बुधवार को ऐसी योजनाओं में आने वाले निवेशकों की न्यूनतम निवेश राशि को 25 लाख रुपये से बढ़ाकर 50 लाख रुपये करने का निर्णय किया.

इसके अलावा पोर्टफोलियो प्रबंधकों की निवल नेटवर्थ जरूरतों को 2 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 5 करोड़ रुपये करने का निर्णय किया है. उन्होंने आगे कहा कि मौजूदा पोर्टफोलियो प्रबंधकों को 36 महीनों के भीतर बढ़ी हुई जरूरतों को पूरा करना होगा.

पीएमएस निवेशकों को बाजार में अवसरों को भुनाने के लिये विशेषीकृत निवेश रणनीति की पेशकश करती है और व्यक्तिगत ग्राहकों की जरूरतों के मुताबिक उपयुक्त योजना सुझाती है. सेबी निदेशक मंडल ने सेबी (पोर्टफोलियो प्रबंधक) नियमन में संशोधन को मंजूरी दे दी है.

गड़बड़ी उजागर करने वाले की शिकायत का खुलासा नहीं करने को लेकर कार्रवाई करेगा सेबी

सेबी प्रमुख अजय त्यागी ने शिकायतों का खुलासा नहीं करने को लेकर बुधवार को कड़ा संदेश दिया. उन्होंने कहा कि जो कंपनियां गड़बड़ी उजागर करने वालों (व्हिसब्लोअर) की शिकायतों को 'ठोस' नहीं होने के आधार पर खुलासा नहीं करती हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

(सेबी) के निदेशक मंडल की बैठक के बाद त्यागी ने संवाददाताओं से कहा, "अगर कंपनियां धारणा मजबूत बनाने के लिये खुलासा सूचना में बेवकूफ बनाती है, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी."

Last Updated : Nov 20, 2019, 8:45 PM IST

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