नई दिल्ली: टेलीकॉम कंपनियों को सुप्रीम कोर्ट से जबरदस्त झटका लगा है. दूरसंचार विभाग की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दे दी. टेलीकॉम कंपनियों को दूरसंचार विभाग का 92 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का बकाया अदा करना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि ये बकाया कितने समय में दिया जाएगा वो कोर्ट तय करेगा.
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति एस. रविंद्र भट की तीन सदस्यीय पीठ ने दूरसंचार विभाग द्वारा तैयार की गयी समायोजित सकल आय की परिभाषा बरकरार रखी है. पीठ ने कहा, "हमने व्यवस्था दी है कि समायोजित सकल आय की परिभाषा बरकरार रहेगी."
इस संबंध में निर्णय के मुख्य अंश पढ़ते हुए शीर्ष अदालत ने कहा, "हम दूरसंचार विभाग की याचिका को स्वीकार करते हैं, जबकि कंपनियों की याचिका खारिज करते हैं." शीर्ष अदालत ने कहा कि उसने दूरसंचार कंपनियों की सभी दलीलों को खारिज कर दिया है. न्यायालय ने साफ किया कि कंपनियों को दूरसंचार विभाग को जुर्माना और ब्याज की रकम का भुगतान भी करना होगा.
पीठ ने स्पष्ट किया कि इस मामले में आगे और कोई कानूनी वाद की अनुमति नहीं होगी. इसके अलावा वह समायोजित सकल आय की गणना और कंपनियों को उसका भुगतान करने के लिए समयसीमा तय करेगी. केंद्र ने जुलाई में शीर्ष अदालत से कहा था कि भारती एयरटेल, वोडाफोन जैसी प्रमुख निजी दूरसंचार कंपनियों और सरकार के स्वामित्व वाली एमटीएनएल और बीएसएनएल पर उस दिन तक 92,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि लाइसेंस शुल्क के रूप में बकाया है.