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पंजाब : जियो का टावर समझकर तोड़ा, नुकसान किसी और का हो गया - मोबाइल टावर

कृषि कानूनों के विरोध के बीच पंजाब में 1,500 से अधिक मोबाइल टावर क्षतिग्रस्त हुए हैं. प्रदर्शनकारी अपना गुस्सा रिलायंस जियो के मोबाइल टावरों पर निकाल रहे हैं. पर क्या वास्तव में ये टावर रिलायंस जियो के हैं?

रिलायंस जियो के धोखे में क्षतिग्रस्त हुए इन कंपनियों के मोबाइल टावर
रिलायंस जियो के धोखे में क्षतिग्रस्त हुए इन कंपनियों के मोबाइल टावर

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Published : Dec 29, 2020, 7:50 PM IST

नई दिल्ली :नए कृषि कानूनों के विरोध के बीच पंजाब में 1,500 से अधिक मोबाइल टावरों को क्षतिग्रस्त किया गया. जिससे कुछ क्षेत्रों में दूरसंचार सेवाएं प्रभावित हुई हैं.

किसानों का मानना है कि नए कृषि कानूनों से उद्योगपतियों मुकेश अंबानी और गौतम अडाणी को सबसे अधिक फायदा होगा, इसलिए उनका गुस्सा मुकेश अंबानी की कंपनी जियो के मोबाइल टावरों पर निकल रहा है. राज्य में कई हिस्सों में इन टावरों को बिजली की आपूर्ति रोक दी गई है और साथ ही केबल भी काट दी गई है.

मामले की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने कहा कि सोमवार तक 1,500 से अधिक मोबाइल टावरों को नुकसान पहुंचाया गया है.

हालांकि इन सबके बीच एक सवाल यह भी है कि क्या तोड़े गए मोबाइल टावर रिलायंस की संपत्ति हैं. वास्तव में इन मोबाइल टावरों से भले ही रिलायंस जियो को सेवा दी जाती हो, किंतु यह रिलायंस की खुद की संपत्ति नहीं है.

रिलायंस इंडस्ट्रीज ने सितंबर 2020 में ही अपने संचार टावर उपक्रम के लिए कनाडा की कंपनी ब्रुकफील्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर के साथ 25,215 करोड़ रुपये निवेश का करार किया था.

रिलायंस जियो इन्फ्राटेल प्राइवेट लिमिटेड के करीब 1.30 लाख कम्युनिकेशन टॉवर के लिए ब्रुकफील्ड ने 100 फीसदी की हिस्सेदारी खरीदी थी.

जिसका मतलब है कि जिन टावरों को रिलायंस या मुकेश अंबानी की संपत्ति समझ विरोध के दौरान क्षतिग्रस्त किया गया, वह वास्तव में ब्रुकफील्ड के अधिकार में आते हैं.

वैसे भले ही टावर रिलायंस जियो की संपत्ति न हों, किंतु सेवा जियो को ही देते हैं. इस प्रकार भले रिलयांस जियो को सीधा नुकसान न हो, लेकिन कंपनी की सेवा पर इसका असर होगा.

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने शुक्रवार को आंदोलनकारी किसानों से अपील की थी कि वे ऐसा कोई कदम नहीं उठाएं, जिससे आम लोगों को परेशानी हो.

सूत्रों ने कहा कि राज्य पुलिस ने टावर तोड़ने वाले लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है और ज्यादातर मामलों में कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई है.

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