नई दिल्ली: राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने टाटा संस को पब्लिक से बदलकर प्राइवेट कंपनी बनाने की कार्रवाई को रद्द करते हुए इसे 'गैरकानूनी' बताया है. टाटा संस, टाटा समूह की कंपनियों की होल्डिंग कंपनी है. एनसीएलएटी ने टाटा संस के निकाले गए चेयरमैन साइरस मिस्त्री की बहाली का भी आदेश दिया है.
आदेश में कहा गया है कि कंपनी पंजीयक द्वारा कंपनी को प्राइवेट कंपनी बनने की अनुमति देने का आदेश कंपनी कानून, 2013 के प्रावधानों के खिलाफ है. साथ ही यह कंपनी के अल्पांश सदस्यों और जमाकर्ताओं के लिए 'भेदभावपूर्ण' और 'उत्पीड़न' वाला है.
एनसीएलएटी ने कहा कि टाटा संस को पब्लिक कंपनी के रूप में उल्लिखित किया जाए. कंपनी पंजीयक (आरओसी) रिकॉर्ड में सुधार करेगा और कंपनी को पब्लिक कंपनी के रूप में दर्ज उल्लिखित करेगा. मिस्त्री की बर्खास्तगी के कुछ महीनों बाद टाटा संट को सितंबर, 2017 में खुद को पब्लिक लि. कंपनी से प्राइवेट लि. कंपनी में बदलने के लिए शेयरधारकों की मंजूरी मिली थी.
इससे कंपनी को महत्वपूर्ण फैसलों के लिए शेयरधारकों की मंजूरी की जरूरत नहीं रह गई थी. ऐसे फैसले सिर्फ निदेशक मंडल की मंजूरी से लिए जा सकते थे. आदेश के अनुसार टाटा संस लि प्रारंभ में प्राइवेट कंपनी थी. लेकिन कंपनी अधिनियम 1956 की धारा 43ए (1ए) जोड़े जाने के बाद अपने औसत वार्षिक कारोबार के कारण इसने 1 फरवरी 2075 से कंपनी ने 'मान्य' सार्वजनिक कंपनी का स्वरूप धारण कर लिया.
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कंपनी के वकील ने दलील दी थी कि टाटा संस सितंबर 2013 के केंद्र सरकार के परिपत्र के आधार पर प्राइवेट कंपनी हुई है. लेकिन न्याधिकरण ने कहा कि इस सर्कुलर के करण ही कंपनी कानून, 2013 की धारा 14 के ठोस प्रावधान निष्प्रभावी नहीं हो जाते.
इस धारा के व्यापाक प्रावधानों का अनुपालन पब्लिक कंपनी को प्राइवेट कंपनी में बदलने के लिए जरूरी है. न्यायाधिकरण की राय में कंपनी ने 2013 में नए कंपनी काननू के लागू होने के तीन साल बाद तक धारा 14 के तहत कोई कदम नहीं उठाया था. नया कानून एक अप्रैल 2014 से लागू हुआ.