नई दिल्ली :एलआईसी की 296 कंपनियों में 1 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी है, जो 31 मार्च, 2021 को अब तक के सबसे निचले स्तर 3.66 फीसदी पर आ गई है.
ये 31 दिसंबर को 3.70 फीसदी थी और 30 जून 2012 को 5 प्रतिशत के सर्वकालिक उच्च स्तर पर थी. प्राइम डेटाबेस ग्रुप की एक पहल के अनुसार ये सूचना प्राइमइनफोबेस डॉट कॉम ने दी.
प्राइम डेटाबेस ग्रुप के प्रबंध निदेशक प्रणव हल्दिया के अनुसार, यह भारत के सबसे बड़े संस्थागत निवेशक द्वारा मुनाफावसूली के कारण हुआ.
हालांकि, आईएनआर मूल्य के संदर्भ में यह 31 मार्च, 2021 को समाप्त तिमाही में 7.24 लाख करोड़ रुपये के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया, जो पिछली तिमाही की तुलना में 6.30 प्रतिशत ज्यादा है. इस दौरान सेंसेक्स और निफ्टी में क्रमश: 3.70 और 5.10 फीसदी की तेजी आई. एलआईसी भी बीमा कंपनियों (76 प्रतिशत हिस्सेदारी) द्वारा इक्विटी में निवेश का एक बड़ा हिस्सा बनाए हुए है.
समग्र रूप से बीमा कंपनियों की होल्डिंग भी 31 मार्च, 2021 को 5 साल के निचले स्तर 4.80 प्रतिशत तक गिर गई, जो 31 दिसंबर, 2020 को 5.00 प्रतिशत थी. आईएनआर मूल्य के संदर्भ में, यह पिछले वर्ष की तुलना में 3.09 प्रतिशत अधिक हो गया.
पिछली तिमाही 31 मार्च, 2021 को 9.48 लाख करोड़ रुपये के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई. एनएसई में सूचीबद्ध कंपनियों में घरेलू म्युचुअल फंड की हिस्सेदारी भी 31 मार्च, 2021 को घटकर 7.23 प्रतिशत हो गई, जो 31 दिसंबर, 2020 को 7.42 प्रतिशत थी.
हल्दिया के अनुसार, 24 तिमाहियों में लगातार वृद्धि (31 मार्च 2014 को 2.81 प्रतिशत से 31 मार्च, 2020 तक 7.96 प्रतिशत) के बाद, म्यूचुअल फंड की होल्डिंग में अब लगातार चार तिमाहियों में गिरावट आई है. तिमाही के दौरान घरेलू म्युचुअल फंडों का शुद्ध बहिर्वाह 26,810 करोड़ रुपये रहा, क्योंकि खुदरा निवेशकों ने मुनाफावसूली की.