दिल्ली

delhi

ETV Bharat / business

रासायनिक हथियार: जानिए कितने गहरे होते हैं इसके प्रभाव

रासायनिक युद्ध के पीड़ितों के लिए स्मरण दिवस लोगों को रासायनिक युद्ध के पीड़ितों को श्रद्धांजलि देने का मौका देता है. यह सरकारों और संगठनों को रासायनिक हथियार के निषेध संगठन (ओपीसीडब्ल्यू) के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दिखाने को प्रेरित करता है. ओपीसीडब्ल्यू एक संगठन है, जो रासायनिक हथियारों के खतरे को समाप्त करने और दुनिया भर में शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देता है.

By

Published : Nov 30, 2020, 11:41 AM IST

Updated : Nov 30, 2020, 12:00 PM IST

जानिए कितने खतरनाक होते हैं रासायनिक हथियार, कितने गहरे होते हैं इसके प्रभाव
जानिए कितने खतरनाक होते हैं रासायनिक हथियार, कितने गहरे होते हैं इसके प्रभाव

हैदराबाद: संयुक्त राष्ट्र ने नवंबर 2005 में प्रत्येक वर्ष 29 अप्रैल को रासायनिक युद्ध के सभी पीड़ितों को श्रद्धांजलि देने का फैसला किया. 29 अप्रैल की तारीख को इसलिए चुना गया, क्योंकि इसी दिन केमिकल वेपन्स कन्वेंशन (सीडब्ल्यूसी) लागू हुआ था.

रासायनिक युद्ध के पीड़ितों के लिए स्मरण दिवस लोगों को रासायनिक युद्ध के पीड़ितों को श्रद्धांजलि देने का मौका देता है. यह सरकारों और संगठनों को रासायनिक हथियार के निषेध संगठन (ओपीसीडब्ल्यू) के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दिखाने को प्रेरित करता है. ओपीसीडब्ल्यू एक संगठन है, जो रासायनिक हथियारों के खतरे को समाप्त करने और दुनिया भर में शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देता है.

रासायनिक हथियार क्या होते हैं

रासायनिक हथियारों को विषाक्त और खतरनाक रसायन कहा जाता है, जो मृत्यु, चोट, जलन, तंत्रिका तंत्र का विनाश, कोशिकाओं को नुकसान या श्वसन प्रणाली पर प्रभाव का कारण बनते हैं.

रासायनिक हथियारों के प्रकार

रासायनिक हथियार वास्तव में रासायनिक एजेंट होते हैं, चाहे वह किसी भी रूप में गैसीय, तरल या ठोस हो, जो मनुष्यों, जानवरों और पौधों को प्रभावित करते हैं, जब वे सांस के माध्यम से त्वचा के माध्यम से शरीर में अवशोषित होते हैं, या यहां तक ​​कि भोजन और पेय में भी घुल जाते हैं. प्रथम विश्व युद्ध के बाद से कई रासायनिक एजेंटों को हथियार के रूप में विकसित किया गया है. इनमें चोकिंग एजेंट्स, ब्लिस्टर एजेंट्स, ब्लड एजेंट्स, नर्व एजेंट्स, इन्कैपिटेट्स, दंगा कंट्रोल एजेंट्स और हेरबाइड्स शामिल हैं.

क्या है रासायनिक हथियारों पर प्रतिबंध के लिए संगठन (ओपीसीडब्ल्यू)

ओपीसीडब्ल्यू का मिशन रासायनिक हथियारों से मुक्त दुनिया के अपने दृष्टिकोण को प्राप्त करने के लिए रासायनिक हथियार संधि (सीडब्ल्यूसी) के प्रावधानों को लागू करना है. जिसमें शांति, प्रगति और समृद्धि के लिए रसायन विज्ञान का उपयोग किया जाता है. ओपीसीडब्ल्यू, एक स्वतंत्र निकाय है जो संयुक्त राष्ट्र के साथ मिलकर काम करता है. यह संगठन दुनिया भर में रासायनिक हथियारों को नष्ट करने और रोकने का काम करता है, इसके साथ ही यह रासायनिक हथियारों के उपयोग, उत्पादन और भंडारण पर प्रतिबंध लगाता है.

ओपीसीडब्ल्यू का मुख्यालय नीदरलैंड के हेग में स्थित है. आज 192 देश इसके सदस्य हैं. 2013 में, "रासायनिक हथियारों को खत्म करने के व्यापक प्रयासों" के लिए ओपीसीडब्ल्यू को नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया था.

सीडब्ल्यूसी के चार मुख्य प्रावधान

  • सभी रासायनिक हथियारों को अंतरराष्ट्रीय निगरानी में नष्ट कर दिया जाना चाहिए.
  • रासायनिक उद्योग पर नजर रखना ताकि रासायनिक हथियार फिर से बनना शुरू न हों.
  • रासायनिक हथियारों के खतरों से देशों को सहायता और सुरक्षा प्रदान करें.
  • संधि के प्रावधानों को लागू करने और रसायनों के शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देने के लिए सभी देशों के सहयोग की तलाश करें.

सीडब्ल्यूसी में निषेध

  • रासायनिक हथियारों का निर्माण, अधिग्रहण और भंडारण.
  • प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रासायनिक हथियारों का स्थानांतरण.
  • रासायनिक हथियारों का सैन्य उपयोग.
  • संधि द्वारा निषिद्ध गतिविधियों में शामिल होने के लिए अन्य देशों को शामिल करना या प्रोत्साहित करना.
  • दंगा नियंत्रण में रासायनिक हथियारों का उपयोग करना.

रासायनिक हथियार ज्यादातर उन देशों द्वारा प्रयोग किए जाते हैं जो परमाणु शक्ति नहीं हैं. अधिकांश गरीब देशों के पास रासायनिक हथियार हैं. ऐसी भी खबरें थीं कि रूस ने रक्का शहर में आईएस के खिलाफ रासायनिक हथियारों से हमला किया था. तो आइए जानते हैं कि कितने तरह के रासायनिक हथियार होते हैं और वे कितने खतरनाक हैं.

प्रथम विश्व युद्ध के दौरान तीन मुख्य पदार्थ अधिकांश रासायनिक-हथियारों की चोटों और मौतों के लिए जिम्मेदार थे: क्लोरीन, फॉस्जीन और मस्टर्ड गैस.

1. क्लोरीन गैस: यह हरे-पीले बादल का निर्माण करता है जो ब्लीच की बदबू आती है और इसके संपर्क में आने वाले लोगों की आंखों, नाक, फेफड़ों और गले में तुरंत जलन होती है. बहुत आसानी से बहुतायत मिलने वाला यह रसायन बहुत खतरनाक होता है. युद्ध के दौरान इस रासायनिक हथियार का इस्तेमाल दुश्मनों को यातना देकर मारने के लिए किया जाता है. यह हवा से भारी होता है और तेजी से फैलता है. क्लोरीन गैस के प्रभाव में आने वाले व्यक्ति को घुटन जैसी समस्या का सामना करना पड़ता है.

2.फॉस्जीन:यह क्लोरीन गैस की तुलना में छह गुना अधिक घातक है. यह रंगहीन होता है. पीडितों को पहले नहीं चलता कि उन्हें एक घातक खुराक मिली है. एक या दो दिन बाद, पीड़ितों के फेफड़े तरल पदार्थ से भर जाएंगे, और वे धीरे-धीरे दम तोड़ देंगे. प्रथम विश्व युद्ध के दौरान 85 फीसदी रासायनिक हथियारों के घातक परिणाम के लिए फॉसजीन जिम्मेदार था. इसका उपयोग औद्योगिक रसायन के रूप में किया जाता है, लेकिन इसका उपयोग युद्ध के दौरान दुश्मनों को मारने के लिए भी किया गया है.

यह रासायनिक हथियार सबसे पहले मानव फेफड़ों को प्रभावित करते हैं. इसके परिणामस्वरूप, एक व्यक्ति को खांसी, सांस लेने में परेशानी और उल्टी जैसी बीमारियों से पीड़ित होना पड़ता है और अंततः उसकी मृत्यु हो जाती है.

3.मस्टर्ड गैस:यह सबसे लोकप्रिय रासायनिक हथियार है जिसका उपयोग कई देशों द्वारा कई बार किया गया है. यह खतरनाक रसायन किसी व्यक्ति को आसानी से मार सकता है क्योंकि यह सीधे किसी व्यक्ति की आंखों, श्वसन प्रणाली और त्वचा पर हमला करता है. यह तेजी से मानव शरीर के ऊतकों को नष्ट कर देता है. इसमें एक शक्तिशाली गंध होती है किसी पीड़ित की आंखों के संपर्क में आने के कुछ घंटे बाद, रक्त निकलना शुरू हो जाता है. कुछ पीड़ित अस्थायी अंधेपन से पीड़ित होते हैं. त्वचा से फफोले निकलने लगते हैं. मस्टर्ड गैस उस भूमि को भी प्रभावित कर सकती है जहां इसका इस्तेमाल किया जाए. मस्टर्ड गैस रासायनिक हथियारों में सबसे ज्यादा मौतों के लिए जिम्मेदार है, तकरीबन 1,20,000 से भी अधिक.

कुछ अन्य महत्वपूर्ण रासायनिक हथियार

1. सफेद फास्फोरस: इस रासायनिक हथियार का उपयोग हाल ही में रूस ने सीरिया के रक्का शहर में किया था, जिसके बाद इसकी कड़ी आलोचना हुई थी. इस रासायनिक हथियार का प्रभाव इतना खतरनाक है कि यह मनुष्यों की हड्डियों को काट देता है. इतना ही नहीं, अगर यह त्वचा पर पड़ता है, तो यह इसे पूरी तरह से झुलसा देता है.

2. वीएक्स:वीएक्स के प्रभाव के कारण प्रभावित व्यक्ति को सीने में जकड़न महसूस होती है और हृदय गति रूकने के कारण मृत्यु हो सकती है. अगर इस रसायन का एक छोटा कण भी मानव शरीर पर गिरता है, तो यह उसके लिए भयानक साबित हो सकता है.

3. सैरिन:सितंबर 2013 में 'सैरीन' नामक रासायनिक हथियार का इस्तेमाल किया गया था. इस रासायनिक हथियार का उपयोग सीरिया के कुछ क्षेत्रों में रॉकेट द्वारा किया गया था. इस रसायन को जीबी के रूप में भी जाना जाता है. यह इतना खतरनाक रसायन है कि अगर इसकी एक बूंद भी किसी व्यक्ति के सिर पर गिर जाए तो उसकी मौत हो जाती है.

रासायनिक हथियारों से बचाव के तरीके

  • जर्मन फर्म गैस फॉर शार्ट ने एक श्वसन विश्लेषक विकसित किया है जो एक ब्रिथ स्पेस डिवाइस कहलाता है जो जैव रासायनिक के सबसे हल्के प्रभावों का पता लगा सकता है. इसके जरिए महज 40 सेकंड में सैकड़ों पीड़ितों का परीक्षण किया जा सकता है.
  • नई तकनीक की मदद से ऐसा ड्रोन विकसित किया गया है, जिसमें बहुत छोटे उपकरण लगाए गए हैं जिनका उपयोग यह पता लगाने के लिए किया जा सकता है कि हमले में किस गैस का उपयोग किया गया है और यह आपातकालीन दस्ते को इसकी सूचना भी देगा. टी4आई नाम की कंपनी इस ड्रोन को बना रही है.
  • टॉक्सी-ट्राइज कंसोर्टियम भी इसी तरह के उपकरण पर काम कर रहा है. वे अपने उपकरणों में कुछ प्रकार के कैमरों का उपयोग कर रहे हैं जो पराबैंगनी और अवरक्त किरणों की छवियों को कैप्चर करने में सक्षम होंगे.
  • ऐसी तस्वीरों को हाइपर स्पेक्ट्रल इमेज कहा जाता है. इन तस्वीरों के जरिए हमले के तुरंत बाद किसी भी तरह के केमिकल एजेंट के काम करने के तरीके को पकड़ा जा सकता है.
  • युद्ध क्षेत्र में, ऐसी तकनीक का उपयोग हवाई जहाज पर फिट करने के लिए किया जाता रहा है. लेकिन अब इसे सैटेलाइट में फिट किया जा रहा है.
  • विशेषज्ञों का मानना ​​है कि रासायनिक हमले के प्रभाव को कम करने या इसे पूरी तरह से नियंत्रित करने के लिए, यह जानना बहुत महत्वपूर्ण है कि हमले में किस गैस का उपयोग किया गया है.

सीडब्ल्यूसी के हस्ताक्षरकर्ताओं में 192 देशों में से अल्बानिया, भारत, इराक, लीबिया, रूस, सीरिया और अमेरिकी रासायनिक हथियार रखने वाले देशों में शामिल हैं. इनमें से अल्बानिया, भारत, लीबिया, रूस और सीरिया ने रासायनिक हथियारों को नष्ट करने की घोषणा की है. ओपीसीडब्ल्यू के अनुसार, दुनिया के कुल 72,304 रासायनिक हथियारों में से, लगभग 96.27% यानी 69,610 नष्ट हो चुके हैं.

Last Updated : Nov 30, 2020, 12:00 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details