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उत्तर प्रदेश और बिहार से लगे नेपाल के बार्डर पर 5 दिनों से खड़ी हैं भारतीय ट्रकें, जानें वजह...

कच्चे माल के खराब होने की आशंका में कई व्यापारी सीमा पर ही औने-पौने दामों में माल बेचने को मजबूर हैं. अधिकतर व्यापारी माल के निर्यात के लिए नेपाली अधिकारियों से हरी झंडी मिलने के इंतजार में खड़े हैं. भारतीय अधिकारियों ने जल्द ही इस समस्या को सुलझाने की बात कही है.

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Published : Jun 26, 2019, 7:44 PM IST

Updated : Jun 26, 2019, 7:52 PM IST

उत्तर प्रदेश और बिहार से लगे नेपाल के बार्डर पर 5 दिनों से खड़ी हैं भारतीय ट्रकें, जानें वजह...

महराजगंज/जोगबानी: नेपाल सरकार ने हाल ही में एक अध्यादेश जारी कर भारतीय फल और सब्जियों के आयात पर रोक लगा दी है. नेपाल सरकार के इस आकस्मिक ऐलान से जनपद में भारत-नेपाल की सुनौली सीमा पर फल एवं सब्जियों से लदे ट्रकों की कतार लग गई है.

कच्चे माल के खराब होने की आशंका में कई व्यापारी सीमा पर ही औने-पौने दामों में माल बेचने को मजबूर हैं. अधिकतर व्यापारी माल के निर्यात के लिए नेपाली अधिकारियों से हरी झंडी मिलने के इंतजार में खड़े हैं. भारतीय अधिकारियों ने जल्द ही इस समस्या को सुलझाने की बात कही है.

उत्तर प्रदेश और बिहार से लगे नेपाल के बार्डर पर 5 दिनों से खड़ी हैं भारतीय ट्रकें, जानें वजह...

वहीं दूसरी तरफ बिहार के जोगबानी में एक 'अनिश्चितकालीन सड़क नाकाबंदी' ने भारत और नेपाल के बीच पिछले 48 घंटों से जोगबानी भूमि सीमा शुल्क स्टेशन पर जाम की स्थिति बना दी है. तेल और गैस टैंकरों सहित 2,000 से अधिक ट्रक भारत-नेपाल सीमा के दोनों और फंसे हुए हैं.

क्या है पूरा मामला
भारत नेपाल की सोनौली सीमा पर फलों और सब्जियों से लदे ट्रक बीते 5 दिनों से खड़े हैं. नेपाल सरकार का मानना है कि भारत से आने वाली सब्जियों और फलों में भारी पैमाने पर कीटनाशकों का प्रयोग किया जा रहा है. इन सब्जियों और फलों को खाने से नागरिक बीमार हो रहे हैं. इस पर लगाम लगाने के लिए नेपाल सरकार ने एक फरमान जारी करते हुए भारत से सब्जियों और फलों के आयात पर रोक लगा दी है.

इसके रोक के चलते भारतीय व्यापारियों को बड़ा झटका लगा है और अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर उनका माल ट्रकों में लदा पड़ा है. नेपाल सरकार ने कहा है कि भारत से आने वाले फल व सब्जियों की काठमांडू स्थित उनकी लैब में जांच की जाएगी. जांच में तय मानकों पर खरा उतरने के बाद ही माल को नेपाल में लाने की अनुमति दी जाएगी.

व्यापारियों ने बताई साजिश
वहीं व्यापारियों का कहना है कि जांच के नाम पर नेपाल सरकार भारतीय माल पर रोक लगाने की साजिश कर रही है. उनका मानना है कि जांच के लिए काठमांडू आने-जाने में ही 3 से 4 दिन लग जाएंगे. इससे सीमा पर खड़ी गाड़ियों में पड़े माल के खराब होने का अंदेशा बना रहेगा. व्यापारियों की मांग है कि सीमा पर ही ऐसी व्यवस्था की जाए जिससे उनके माल की जांच हो सके.

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वहीं दूसरी तरफ बिहार के जोगबानी सीमा शुल्क पर खड़ी ट्रक के मामले में केंद्रीय वित्त मंत्रालय को भेजी गई एक एसओएस रिपोर्ट में कहा गया है कि "अररिया जिला के सीमावर्ती शहर जोगबानी में स्थानीय लोगों द्वारा एक अनिश्चितकालीन यातायात नाकाबंदी और बाजार बंदी के कारण आयात-निर्यात की आवाजाही ठप है."

रिपोर्ट में कहा गया है कि मंगलवार सुबह 6 बजे से आयात-निर्यात प्रभावित था, जब जोगबनी नागरीक मंच ने इलाके में अपना पूरा "चक्का जाम" शुरू किया.

"पिछले दो दिनों से जोगबनी में सीमा शुल्क स्टेशन के बंद होने के बाद, भारत के साथ अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को रोक दिया गया है. आपसी व्यापार के अलावा, नेपाल इस मार्ग का उपयोग कोलकाता और विशाखापत्तनम बंदरगाहों से आयात किए गए माल के परिवहन के लिए भी करता है. सीमा शुल्क अधिकारी ने कहा कि एक संधि के तहत नेपाल एक भूमि-रहित देश है, जिसे अपने माल को तीसरे देश से स्वतंत्र रूप से आयात करने की अनुमति है.

सीमा शुल्क अधिकारी ने कहा, "विराटनगर के सीमावर्ती शहर में स्थित नेपाल सीमा शुल्क अधिकारियों ने अपने भारतीय समकक्षों से गतिरोध तोड़ने का अनुरोध किया है ताकि आवश्यक सामान, तेल और गैस की आवाजाही फिर से शुरू हो सके."

सूत्रों ने कहा कि पिछले कई महीनों से, स्थानीय निवासी जोगबनी में सड़कों (और राजमार्गों) की दयनीय स्थिति के बारे में शिकायत कर रहे थे, जिनकी वर्षों से मरम्मत नहीं हुई है.

जब बिहार सरकार, विशेष रूप से पीडब्लूडी के अधिकारियों ने उनकी मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया, तो निवासियों ने "अनिश्चितकालीन सड़क अवरोध" का आह्वान किया.

इस बीच, हर घंटे फंसे वाहनों की बढ़ती संख्या से चिंतित, सीमा शुल्क विभाग ने अररिया के जिला मजिस्ट्रेट से हस्तक्षेप करने और स्थानीय निवासियों के साथ बातचीत करके हड़ताल को बंद करने का अनुरोध किया है.

हालांकि, सूत्रों ने कहा कि उत्तेजित निवासी पीडब्लूडी विभाग से प्राथमिकता के आधार पर सड़कों की मरम्मत के लिए लिखित मांग कर रहे थे और फिलहाल, नाकेबंदी के लिए अपना रुख बदलने के मूड में नहीं दिखे.

Last Updated : Jun 26, 2019, 7:52 PM IST

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