नई दिल्ली: भारत की योजना अमेरिका के रणनतिक पेट्रोलियम भंडार में कच्चे तेल का भंडारण करने की है. अधिकारियों ने यह जानकारी देते हुए कहा कि इस कच्चे तेल का इस्तेमाल न सिर्फ आपात स्थिति में किया जाएगा, बल्कि किसी तरह का मूल्य लाभ होने पर व्यापार के लिए भी किया जाएगा.
भारत और अमेरिका ने 17 जुलाई को आपातकालीन कच्चे तेल भंडारण पर सहयोग के लिए शुरुआती करार किया है. इसमें भारत द्वारा अमेरिका में कच्चे तेल का भंडारण करने की संभावना भी शामिल है.
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, "यह एक अच्छी अवधारणा है, लेकिन इसके साथ कई शर्तें भी जुड़ी हैं." सबसे पहले भारत को अमेरिका में तेल भंडारण के लिए किराया देना होगा. यह किराया कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमत के ऊपरी स्तर पर होगा.
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अधिकारी ने कहा कि इसका दूसरा विकल्प है कि हम अपना रणनीतिक भंडार बनाएं. लेकिन इसमें काफी पूंजी खर्च करनी पड़ेगी और निर्माण में कुछ वर्ष लगेंगे. ऐसे में तत्काल रणनीतिक भंडारण के लिए किराया देना ज्यादा अच्छा विकल्प होगा.अमेरिका में रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार (एसआरपी) का निर्माण और रखरखाव निजी कंपनियों द्वारा किया जाता है. कोई देश अमेरिका में भंडारित तेल का इस्तेमाल खुद की जरूरत या कीमत के मोर्चे पर फायदा होने की स्थिति में व्यापार के लिए कर सकता है.