नई दिल्ली: माल एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की शुक्रवार को होने वाली बैठक में कर राजस्व पर कोविड-19 के प्रभाव पर विचार-विमर्श किया जाएगा. सूत्रों का कहना है कि इस बैठक में राज्यों को मुआवजे के भुगतान की रूपरेखा पर फैसला हो सकता है.
कर विशेषज्ञों ने शुक्रवार को महत्वपूर्ण जीएसटी परिषद की बैठक से पहले दो महत्वपूर्ण समय सीमाएं बढ़ाने की मांग की है. विशेष रूप से वित्त वर्ष 2018-19 के लिए जीएसटी रिटर्न दाखिल करने का विस्तार जो पिछले साल सितंबर में समाप्त हो गया था और वित्त वर्ष 2019-20 के लिए क्रेडिट नोट जारी करने की तारीख जो इस साल सितंबर से अगले साल मार्च तक है.
पुणे के चार्टर्ड अकाउंटेंट प्रीतम महुरे ने कहा, "ऐसे लोग हैं जिन्होंने वित्त वर्ष 2018-19 के लिए अपना जीएसटी रिटर्न दाखिल नहीं किया है और न ही उन्होंने देर से शुल्क का भुगतान किया है."
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यदि कोई आपूर्तिकर्ता निर्धारित समय के भीतर जीएसटी रिटर्न दाखिल नहीं करता है, तो खरीदार जीएसटी के तहत इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का लाभ नहीं ले पाएंगे.
प्रीतम महुरे का कहना है कि अगर जीएसटी परिषद वित्त वर्ष 2018-19 के लिए लंबित रिटर्न भरने की समयसीमा बढ़ाने का फैसला करती है तो यह उन खरीदारों के लिए बड़ी राहत होगी जो अपने इनपुट टैक्स का दावा नहीं कर सकते थे क्योंकि उनके आपूर्तिकर्ता समय पर अपना रिटर्न दाखिल नहीं करते थे.
प्रीतम महुरे ने ईटीवी भारत को बताया कि, "वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान किए गए लेनदेन के मामले में जीएसटी परिषद ने इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा करने के लिए मार्च 2019 तक की समय सीमा बढ़ा दी थी. इसी तरह, एक उम्मीद यह है कि वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान किए गए लेनदेन के मामले में परिषद सितंबर 2020 तक इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा करने की समय सीमा बढ़ाई जाएगी."