हैदराबाद: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रविवार को कहा कि मनरेगा एक मांग संचालित कार्यक्रम है और मांग बढ़ने से आवंटन भी अलग-अलग होंगे.
वित्त मंत्री ने मनरेगा को कम आवंटन के संबंध में ईटीवी भारत के सवाल का जवाब देते हुए कहा, "हमने जुलाई 2019 में घोषित बजट अनुमानों की तुलना में किसी भी कार्यक्रम के लिए 2020 के बजट अनुमानों में कमी नहीं की है. मनरेगा एक मांग आधारित कार्यक्रम है. इसलिए मांग आने पर हमें इसे सर्विस करते रहना होगा."
वित्त मंत्री ने आगे कहा, "बजट अनुमानों की तुलना में हमने कोई कमीं नहीं की है. यदि संशोधित अनुमान (आरई) चरण में बड़ी राशि थी और यदि इसका उपयोग नहीं किया गया है या यदि यह मांग के आधार पर उपयोग किया जाता है तो हम देते रहेंगे"
बजट दस्तावेज के अनुसार, मनरेगा के लिए 2019-20 का वास्तविक अनुमान 71,000 करोड़ रुपये था और आगामी वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए यह 61,500 करोड़ रुपये है. जिसका मतलब है कि अगले साल के लिए आवंटन 8,500 करोड़ रुपये कम है.
वित्त वर्ष 21 की पहली छमाही(एच 1) के लिए आरबीआई का मुद्रास्फीति का अनुमान लगभग 5 प्रतिशत और तीसरी तिमाही का 3.2 प्रतिशत है. इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्र में लगभग 13 करोड़ परिवार इस क्षेत्र में एक प्रमुख विषय के रूप में आजीविका बनाने के लिए नरेगा पर निर्भर हैं.
इसके अलावा वित्त मंत्री ने वित्त मंत्रालय के व्यय सचिव टी वी सोमनाथन से आवंटन के संबंध में सटीक आंकड़े देने को कहा.