मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ( RBI Governor Shaktikanta Das ) ने कहा कि महामारी के बाद पुनरूद्धार को समाताकारक और परिस्थितिकीय अनुकूल बनाने के लिये वित्तीय समावेशन उसकी नीतिगत प्राथमिकता में बना रहेगा. वित्तीय सेमावेशन से तात्पर्य वित्तीय/बैंकिंग सेवाओं को उन लोगों तक पहुंचाना है जो अभी इससे वंचित हैं.
दास ने इकोनॉमिक टाइम्स वित्तीय समावेश शिखर सम्मेलन (Economic Times Financial Inclusion Summit) में कहा कि रिजर्व बैंक जल्दी ही पहला वित्तीय समावेश सूचकांक जारी करेगा. यह पहुंच, उपयोग और गुणवत्ता के मामले में प्रगति का आकलन करेगा.
आरबीआई गवर्नर के अनुसार यह सुनिश्चित करने की सभी पक्षों की जिम्मेदारी है कि वित्तीय परिवेश(डिजिटल माध्यम सहित) समावेशी हो. साथ यह उचित वित्तीय शिक्षा और जागरूकता के माध्यम से गलत तरीके से बिक्री, साइबर सुरक्षा, आंकड़ा गोपनीयता जैसे जोखिमों को प्रभावी तरीके से दूर करने एवं और वित्तीय प्रणाली में विश्वास को बढ़ावा देने में सक्षम हो.
लोगों तक बैंक की पहुंच सुनिश्चित कर अर्थव्यवस्था को संगठित रूप देने में मदद के लिये पिछले दशक की शुरूआत से वित्तीय समावेश पर आरबीआई का विशेष जोर रहा है. प्रौद्योगिकी ने इसे आसान बनाया और सरकार ने भी प्रधानमंत्री जनधन योजना (PM Jan Dhan Yojana scheme) की शुरूआत कर इस पर काफी जोर दिया.
दास ने कहा कि महामारी के बाद पुनरूद्धार को समावेशी और टिकाऊ बनाने के लिये वित्तीय समावेश हमारे लिये नीतियों के मोर्चे पर प्राथमिकता में रहेगी.
उन्होंने कहा कि देश में वित्तीय समावेश की स्थिति का आकलन करने के लिये वित्तीय समावेश सूचकांक (एफआईआई) तैयार करने और उसका निश्चित अवधि पर प्रकाशित करने का निर्णय किया गया है. इस बारे में कुछ समय पहले फैसला किया गया था.
उन्होंने कहा कि सूचकांक में पहुंच, उपयोग और गुणवत्ता सहित तीन मानदंड होंगे. एफआईआई पर काम चल रहा है और सूचकांक बहुत जल्द रिजर्व बैंक द्वारा प्रकाशित किया जाएगा.
दास ने कहा कि वित्तीय समावेश निरंतर और संतुलित आर्थिक विकास का एक प्रमुख तत्व है. यह असमानता और गरीबी को कम करने में मदद करता है. जब हम इस मामले में तेजी से आगे बढ़ रहे थे, महामारी ने नई चुनौतियां और जटिलताएं पैदा की हैं