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ईपीएफओ में जून में 12.83 लाख नये सदस्य शामिल हुए

ईपीएफओ ने जून में निवल रूप से 12.83 लाख नए नामांकन दर्ज किए. इससे मई की तुलना में जून में सदस्यों की कुल संख्या में शुद्ध रूप से 5.09 लाख की वृद्धि हुई.

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Published : Aug 21, 2021, 6:32 AM IST

नई दिल्ली : सेवानिवृत्ति निधि निकाय कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने जून में निवल रूप से 12.83 लाख नए नामांकन दर्ज किए जिससे देश में रोजगार की स्थिति का पता चलता है. श्रम मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि शुक्रवार को जारी ईपीएफओ के अस्थायी वेतन खाते के आंकड़े से जून 2021 के दौरान शुद्ध रूप से 12.83 लाख सदस्यों के वेतन रजिस्टर से जुड़ने के साथ वृद्धि के चलन का पता चलता है.

जून 2021 के दौरान कोविड-19 की दूसरी लहर का प्रभाव कम हो गया, जिससे अप्रैल और मई की तुलना में वेतन रजिस्टर से जुड़ने वाले कर्मियों के लिहाज से जबरदस्त वृद्धि दर्ज की गयी. बयान के मुताबिक मई की तुलना में जून में सदस्यों की कुल संख्या में शुद्ध रूप से 5.09 लाख की वृद्धि हुई.

जून में शुद्ध रूप से जोड़े गए 12.83 लाख सदस्यों में से लगभग 8.11 लाख पहली बार कर्मचारी भविष्य निधि योजना के सामाजिक सुरक्षा दायरे के तहत आए हैं. माह के दौरान करीब 4.73 लोगों ने ईपीएफओ की सदस्यता छोड़ी लेकिन फिर उन कंपनियों में नौकरियां लेकर दोबारा ईपीएफओ में शामिल हो गए जो ईपीएफओ के दायरे में आती हैं.

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बयान में कहा गया है कि इससे पता चलता है कि ज्यादातर सदस्यों ने ईपीएफओ के साथ जुड़े रहना बेहतर समझा है. पिछली नौकरी की भविष्य निधि राशि को उन्होंने पूरी तरह निकालने के बजाय नई नौकरी में स्थानांतरित करना ही उचित समझा.

माह के दौरान भविष्य निधि से जुड़े वालों में सबसे ज्यादा संख्या 18 से 25 साल के युवाओं की रही. कुल नये सदस्यों में 6.15 लाख इसी आयु वर्ग के रहे जो कि कुल शामिल सदस्यों का 47.89 फीसदी रहा. इसके बाद सबसे अधिक 2.55 लाख नये जुड़े सदस्य 29 से 35 वर्ष की आयु वर्ग से रहे.

जून माह के दौरान महिला- पुरुषों के लिहाज से यदि बात की जाये तो जून में निवल रूप से 2.56 लाख महिलाओं ने ईपीएफओ के वेतन रजिस्टर में आईं. यह संख्या मई के मुकाबले 79 हजार अधिक है.

वेतन रजिस्टर से जुड़ने वाले कर्मचारी सबसे अधिक महाराष्ट्र, हरियाणा, गुजरात, तमिलनाडु और कर्नाटक से थी. इन राज्यों से सर्वाधिक 7.78 लाख सदस्य शामिल हुए. यह सभी आयु समूहों के सदस्यों का 60.61 फीसदी है. उद्योगवार यदि बात की जाये तो 'विशेषज्ञ सेवाओं' की श्रेणी में सर्वाधिक 41.84 फीसदी हिस्सेदारी इसमें रही. इस श्रेणी में श्रमबल एजेंसियां, निजी सुरक्षा एजेंसियां और छोटे ठेकेदार आदि शामिल हैं.

(पीटीआई-भाषा)

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