नई दिल्ली: सरकार ने अप्रैल के थोक मूल्य-आधारित मुद्रास्फीति के आधे- अधूरे आंकड़े बृहस्पतिवार को जारी किये। सरकार का कहना है कि कोरोना वायरस महामारी के कारण लगाये गये लॉकडाउन की वजह से अप्रैल महीने में उत्पादों का लेन-देन काफी सीमित रहा. इसके कारण कुछ सीमित समूहों के आंकड़े ही जारी किये गये.
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी किये गये आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल में प्राथमिक वस्तुओं के थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) में 0.79 प्रतिशत की अपस्फीति रही.
हालांकि, मार्च में इस समूह की मुद्रास्फीति 3.72 प्रतिशत रही थी. अप्रैल महीने के दौरान ईंधन और बिजली समूह में 10.12 प्रतिशत की अपस्फीति देखी गयी वहीं मार्च में भी इस समूह में 1.76 प्रतिशत की अपस्फीति रही थी. अपस्फीति में मुद्रा का मूल्य बढ़ता है जबकि कीमतें घटती हैं. उत्पादन और रोजगार घटने के साथ कीमतें भी घटती हैं. यह मुद्रास्फीति के उलट स्थिति है.
एक आधिकारिक बयान में कहा गया, "अप्रैल 2020 में कोरोना वायरस महामारी के कारण थोक बाजार में उत्पादों का सीमित लेन देन हुआ. इसे देखते हुए पर्याप्तता के सिद्धांत के अनुसार, थोक मूल्य आधारित सूचकांक के चुनिंदा समूहों व उप समूहों की कीमतों में उतार-चढ़ाव के आंकड़े जारी करने का निर्णय लिया गया है."
बयान में कहा गया कि विनिर्मित उत्पाद समूहों के सूचकांक उपलब्ध नहीं हैं. अत: अप्रैल 2020 के लिये सभी जिंसों के थोक मूल्य सूचकांक की गणना कर पाना संभव नहीं है. बयान में कहा गया कि अप्रैल महीने के दौरान खाद्य उत्पादों के मूल्यों में 0.29 प्रतिशत, दवा, औषधीय रसायन व वनस्पति उत्पादों में 0.15 प्रतिशत और बुनियादी धातुओं में 0.84 प्रतिशत की गिरावट आयी. हालांकि रसायनों और रासायनिक उत्पादों में 0.86 प्रतिशत और पेय पदार्थों में0.24 प्रतिशत की अस्थायी रूप से वृद्धि हुई.
मंत्रालय ने कहा कि प्राथमिक सामग्री समूह के 'खाद्य सामग्रियों' और विनिर्मात उत्पाद समूह के खाद्य उत्पादों से मिलकर बना खाद्य सूचकांक अस्थाई तौर पर मार्च 2020 के 146.1 से बढ़कर अप्रैल 2020 में 146.6 अंक हो गया. डब्ल्यूपीआई खाद्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की दर मार्च 2020 के 5.49 प्रतिशत से कम होकर अप्रैल 2020 में 3.60 प्रतिशत पर आ गयी. मार्च में थोक मूल्य मुद्रास्फीति चार महीने के निचले स्तर एक प्रतिशत पर आ गयी थी.