नई दिल्ली: देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया ने कहा है कि बिजलीचालित यानी इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए सबसे बड़ी दिक्कत उसकी लागत और चार्जिंग ढांचा है. कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह बात कही. उल्लेखनीय है कि मारुति की योजना देश में अपना पहला बिजलीचालित वाहन अगले साल पेश करने की है.
मारुति सुजुकी इंडिया के वरिष्ठ कार्यकारी निदेशक (इंजीनियरिंग) सी वी रमन ने पीटीआई भाषा से कहा, "जब तक कि लागत में उल्लेखनीय रूप से कमी नहीं आती है इलेक्ट्रिक वाहन को व्यापक तौर पर आगे बढ़ाना मुमकिन नहीं होगा."
उनसे पूछा गया था कि कंपनी की इलेक्ट्रिक वाहन को पेश करने की योजना कहां तक पहुंची है. कंपनी ने पिछले साल सितंबर में राष्ट्रीय स्तर पर बेड़े का परीक्षण शुरू किया था. कंपनी को ग्राहकों के बीच ईवी की स्वीकार्यता बढ़ाने और इसके लिए कारोबारी मॉडल अपनाने में भी दिक्कत आ रही है.
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रमन ने कहा, "अभी परीक्षण चल रहा है. हम रेंज, तापमान और चार्जिंग के समय के बारे में समझने का प्रयास कर रहे हैं." उन्होंने कहा कि तीन प्रमुख मुद्दे हैं लागत, चार्जिंग ढांचा और ग्राहकों की स्वीकार्यता.
मारुति फिलहाल 50 प्रोटोटाइप ईवी के बेड़े का परीक्षण कर रही है. यह परीक्षण जापान में सुजुकी मोटर कॉरपोरेशन द्वारा विकसित वैगन आर मॉडल के प्लेटफार्म पर आधारित है. उन्होंने कहा कि मौजूदा परिस्थितियों में ज्यादातर बिजलीचालित वाहन की लागत इसी तरह के परंपरागत इंजन वाले वाहन की तुलना में करीब ढाई गुना बैठेगी.
चार्जिंग ढांचे पर रमन ने कहा कि हमारे अध्ययन के अनुसार 60 प्रतिशत लोगों के पास अपनी पार्किंग नहीं है. वे किसी भी तरीके से चार्जिंग नहीं कर सकते. वे इसे स्वीकार नहीं करेंगे. टैक्सी के रूप में वाहन चलाने वालों के लिए बिजलीचालित वाहनों की मौजूदा लागत सीएनजी या डीजल वाहन की तुलना में आर्थिक रूप से व्यावहारिक नहीं बैठेगी.
यह पूछे जाने पर कि क्या कंपनी बिजलीचालित वाहन पेश करने की अपनी योजना पर धीमी रफ्तार से आगे बढ़ेगी, रमन ने कहा, "हम अभी इस पर काम कर रहे हैं. इलेक्ट्रिक वाहन ऐसी प्रौद्योगिकी जिस पर गौर किए जाने की जरूरत है."