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अमेजन, फ्लिपकार्ट, अन्य के खिलाफ राष्ट्रव्यापी आंदोलन छेड़ेंगे छोटे व्यापारी - फ्लिपकार्ट

कैट के तत्वाधान में नयी दिल्ली में आयोजित एक राष्ट्रीय व्यापारी सम्मेलन में देश के 27 राज्यों के प्रमुख व्यापारी नेताओं ने एक स्वर में अमेजन, फ्लिपकार्ट और अन्य ई-वाणिज्य कंपनियों के खिलाफ एक मजबूत लड़ाई छेड़ने की प्रतिबद्धता दोहरायी.

अमेजन, फ्लिपकार्ट, अन्य के खिलाफ राष्ट्रव्यापी आंदोलन छेड़ेंगे छोटे व्यापारी

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Published : Nov 11, 2019, 5:03 PM IST

नई दिल्ली: छोटे खुदरा व्यापारियों के संगठन कैट ने रविवार को ई-वाणिज्य कंपनी अमेजन, फ्लिपकार्ट और अन्य के खिलाफ राष्ट्रव्यापी आंदोलन छेड़ने की घोषणा की. उन्होंने इसकी प्रमुख वजह इन कंपनियों द्वारा लगातार प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नियमों का उल्लंघन करना बतायी है.

कैट के तत्वाधान में नयी दिल्ली में आयोजित एक राष्ट्रीय व्यापारी सम्मेलन में देश के 27 राज्यों के प्रमुख व्यापारी नेताओं ने एक स्वर में अमेजन, फ्लिपकार्ट और अन्य ई-वाणिज्य कंपनियों के खिलाफ एक मजबूत लड़ाई छेड़ने की प्रतिबद्धता दोहरायी.

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि अमेजन और फ्लिपकार्ट के खिलाफ यह राष्ट्रव्यापी आंदोलन 13 नवंबर 2019 से शुरू होगा और 10 जनवरी 2020 तक जारी रहेगा.

इस आंदोलन में ऑल इंडिया मोबाइल रिटेलर्स एसोसिएशन, ऑल इंडिया कंज्यूमर प्रोडक्ट डिस्ट्रीब्यूटर्स फेडरेशन, फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया एल्युमिनियम यूटेंसिल्स मैन्युफैक्चरर्स, ऑल इंडिया एसोसिएशन ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स मर्चेंट्स एसोसिएशन, टॉयज एसोसिएशन ऑफ इंडिया, ड्रग डीलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, फेडरेशन ऑफ इलेक्ट्रिकल गुड्स एंड अप्लायंस एसोसिएशन, फेडरेशन ऑफ हार्डवेयर मैन्युफैक्चरर्स एंड ट्रेडर्स एसोसिएशन सहित देश के 40 हजार व्यापारी शामिल होंगे.

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खंडेलवाल ने बताया आंदोलन की रुपरेखा स्पष्ट करते हुए कहा कि 13 नवम्बर को देशभर में 'राष्ट्रीय जागरूकता अभियान दिवस' के रूप में मनाया जाएगा. व्यापारी प्रतिनिधिमंडल देश के सभी लोकसभा और राज्यसभा सांसदों को एक विस्तृत ज्ञापन सौंपेंगे. 20 नवंबर को देश के 500 से अधिक शहरों में 'राष्ट्रीय विरोध दिवस' आयोजित किया जाएगा. इसमें सभी प्रदेशों की राजधानियां शामिल हैं.

इस दिन देशव्यापी धरना प्रदर्शन किया जाएगा जिसमें लगभग 5 लाख व्यापारी भाग लेंगे. इसके बाद यह आंदोलन कई चरणों में आगे बढ़ेगा. कैट का आरोप है कि ये कंपनियां कानून को दरकिनार कर सरकार की एफडीआई नीति के प्रेस नोट नंबर 2 का उल्लंघन कर रही

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