नई दिल्ली: भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) के निजीकरण के लिए प्रारंभिक बोलियां सोमवार को बंद हो जाएंगी. ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि ब्रिटेन की बीपी, फ्रांस की टोटल और सउदी अरामको जैसी बड़ी कंपनियों के बोली लगाने की संभावना नहीं लगती है.
दूसरी सबसे बड़ी तेल रिफाइनरी है भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड
सरकार भारत में दूसरी सबसे बड़ी तेल रिफाइनरी और विपणन कंपनी बीपीसीएल में अपनी पूरी 52.98 प्रतिशत हिस्सेदारी बेच रही है और वह चार मौकों पर शुरुआती अभिरुचि पत्र (ईओआई) दाखिल करने की तारीफ को आगे बढ़ा चुकी है. निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (डीआईपीएएम) सचिव तुहिन कांता पाण्डेय ने पिछले महीने बताया था कि समयसीमा को अब और नहीं बढ़ाया जाएगा. उद्योग सूत्रों ने कहा कि बीपी और टोटल के बोली लगाने की संभावना नहीं है और ऐसी खबरें भी हैं कि रूस की प्रमुख ऊर्जा कंपनी रोजनेफ्ट या उसकी सहयोगी और सउदी अरब की तेल कंपनी (सउदी अरामको) कीमत को देखते हुए बोली लगाने की बहुत इच्छुक नहीं हैं.
बैटरी चालित इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ रही डिमांड
उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब दुनिया परंपरागत ईंधन से हट रही है, 10 अरब अमेरिकी डॉलर के करीब की कीमत काफी अधिक है. इसके अलावा कोविड-19 महामारी ने पारंपरिक ईंधनों की मांग को घटाया है और हाइड्रोजन तथा बैटरी चालित इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल उम्मीद से अधिक तेजी से बढ़ सकता है. बीएसई पर शुक्रवार को 412.70 रुपये के बंद भाव पर बीपीसीएल में सरकार की 52.98 प्रतिशत हिस्सेदारी 47,430 करोड़ रुपये की है. साथ ही अधिग्रहणकर्ता को जनता से 26 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने के लिए खुली पेशकश करनी होगी, जिसकी लागत 23,276 करोड़ रुपये होगी.
रिलांयस पर टिकी निगाहें
सूत्रों ने कहा कि बीपीसीएल सालाना लगभग 8,000 करोड़ रुपये का लाभ कमाती है और इस गति से निवेशक को बोली की 70,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि वसूलने में 8-9 साल लगेंगे. यह अधिग्रहण उन कंपनियों के लिए अधिक लाभदायक लगता है, जो कारोबार के साथ ही परिचालन क्षमता और मौजूदा कारोबार के साथ तालमेल के जरिए लाभ को बढ़ा सकती हैं. अरबपति कारोबारी मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) ऐसी एक कंपनी हो सकती है. आरआईएल गुजरात के जामनगर में दुनिया के सबसे बड़े तेल शोधन परिसर का संचालन करती है और खुदरा कारोबार में विस्तार का इरादा रखती है.
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अभी चुप्पी साधे है रिलायंस
रिलायंस ने अभी तक बीपीसीएल को लेकर अपने इरादों पर चुप्पी बनाए रखी है. रिलायंस ने हाल में बीपीसीएल के पूर्व अध्यक्ष सार्थक बेहुरिया को नियुक्त किया था और कुछ हफ्ते पहले इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) के पूर्व चेयरमैन संजीव सिंह को भी नियुक्त किया. सूत्रों के मुताबिक इन नियुक्तियों को बीपीसीएल के लिए बोली लगाने की इच्छा से जोड़ा जा सकता है. सूत्रों ने कहा कि यह फैसला तार्किक लगता है क्योंकि रिलायंस अपनी जामनगर रिफाइनरी को बीपीसीएल की मुंबई, कोच्चि और बीना इकाइयों के साथ संयोजित कर सकती है और अपने 1406 से अधिक ईंधन स्टेशनों का बीपीसीएल के 17,138 पेट्रोल पंपों के साथ विलय कर सकती है.
रोजनेफ्ट बीपीसीएल के लिए बोली लगाने की इच्छुक नहीं
यह तर्क रोजनेफ्ट के नेतृत्व वाली नायरा एनर्जी पर भी लागू होता है, जो गुजरात के वडिनार में दो करोड़ टन की तेल रिफाइनरी का संचालन करती है और उसके 5,822 पेट्रोल पंप भी हैं. हालांकि, ऐसे संकेत हैं कि रोजनेफ्ट बीपीसीएल के लिए बोली लगाने की इच्छुक नहीं है.