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डिस्कॉम के लिए 90 हजार करोड़ रुपये का पैकेज नाकाफी, बकाया 1 लाख करोड़ रुपये के पार

विद्युत उत्पादन कंपनियों का डिस्कॉम पर बकाया वर्ष-दर-वर्ष आधार पर 73 प्रतिशत और मासिक आधार पर आठ प्रतिशत बढ़कर अप्रैल 2020 तक 1,05,000 करोड़ रुपये हो गया है.

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Published : Jul 6, 2020, 9:06 PM IST

डिस्कॉम के लिए 90 हजार करोड़ रुपये का पैकेज नाकाफी, बकाया 1 लाख करोड़ रुपये के पार
डिस्कॉम के लिए 90 हजार करोड़ रुपये का पैकेज नाकाफी, बकाया 1 लाख करोड़ रुपये के पार

नई दिल्ली: वित्तीय संकट का सामना कर रहीं सरकारी विद्युत वितरण कंपनियों (डिसकॉम) के लिए केंद्र द्वारा घोषित 90,000 करोड़ रुपये की तरलता सहायता विद्युत उत्पादन कंपनियों के बकाए का भुगतान करने के लिए नाकाफी हो सकती है. क्योंकि बकाया राशि एक लॉख करोड़ रुपये के ऊपर पहुंच गया है.

विद्युत उत्पादन कंपनियों का डिस्कॉम पर बकाया वर्ष-दर-वर्ष आधार पर 73 प्रतिशत और मासिक आधार पर आठ प्रतिशत बढ़कर अप्रैल 2020 तक 1,05,000 करोड़ रुपये हो गया है.

कुल बकाया 1,23,000 करोड़ रुपये है, जो नवंबर 2015 के 1,35,000 करोड़ रुपये के पीक स्तर के करीब है.

विद्युत वितरण कंपनियों पर विद्युत उत्पादन कंपनियों के कुल बकाए का 81 प्रतिशत राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना और झारखंड जैसे प्रमुख राज्यों के डिस्कॉम पर है.

एमके ग्लोबल फायनेंशियल सर्विसिस की रिपोर्ट के अनुसार, डिस्कॉम्स की खराब वित्तीय सेहत लॉकडाउन के दौरान और बिगड़ गई, क्योंकि पूरे वाणिज्यिक और औद्योगिक सेगमेंट में बिजली की खपत में तीव्र गिरावट आई. संग्रह भी अप्रैल 2020 में 20 प्रतिशत और मई 2020 में 35-40 प्रतिशत गिर गया. इससे डिस्कॉम पर अतिरिक्त बोझ बढ़ गया.

राज्य सरकारों द्वारा आत्मनिर्भर भारत पैकेज तरलता सपोर्ट में भागीदारी के प्रति उदासीनता से यह समस्या और बढ़ी. राज्यों की उदासीनता की वजह यह है कि पीएफसी और आरईसी द्वारा डिस्कॉम को ऋण तभी दिए जाएंगे, जब राज्य सरकारें पूर्ण गारंटी देंगी.

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चूंकि कोरोनावायरस महामारी के कारण राज्यों की वित्तीय हालत बुरी तरह प्रभावित हुई है, लिहाजा कुछ राज्यों ने केंद्र से इस योजना के तहत ऋण पर ब्याज दर में और कटौती कर इसे फिलहाल के 9.5 प्रतिशत से घटाकर छह प्रतिशत से कम पर लाने का आग्रह किया है. कुछ राज्यों ने अपने डिस्कॉम को तरलता पैकेज के लिए आगे बढ़ने की अनुमति ही नहीं दी.

एमके ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, "सरकार ने हालांकि आत्मनिर्भर भारत स्कीम के तहत 90 हजार करोड़ रुपये का एक पैकेज दिया है, लेकिन इसका क्रियान्वयन अनुमान से धीमा है. हम मानते हैं कि इसमें किसी भी अतिरिक्त देरी से पहले से संकटग्रस्त डिस्कॉम की वित्तीय सेहत और बिगड़ जाएगी."

आज की तारीख तक पांच राज्यों के डिस्कॉम ने आत्मनिर्भर भारत स्कीम के तहत 33,100 करोड़ रुपये मांगे हैं - तमिलनाडु (15,500 करोड रुपये), आंध्रप्रदेश (6,600 करोड़ रुपये), महाराष्ट्र (5,000 करोड़ रुपये), राजस्थान (4,500 करोड़ रुपये) और पंजाब (2,000 करोड़ रुपये). इनमें से अबतक 12,300 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की जा चुकी है (3,300 करोड़ रुपये आंध्रप्रदेश के लिए, 2,000 करोड़ रुपये पंजाब के लिए, 2,000 करोड़ रुपये राजस्थान के लिए और 5,000 करोड़ रुपये महाराष्ट्र के लिए).

(आईएएनएस)

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