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Budget Speech with Poem: जब 'बोरिंग' बजट में शायरी ने लगाया 'तड़का'

बजट में आकड़े होने की वजह से उसका भाषण काफी बोरिंग लगता है, लेकिन कई बार बजट पेश करने वालों ने इस उबाऊ बजट को भी अपनी शायरी से इसे काफी रोचक बना दिया. आइए जानते हैं कि आम बजट पेश करते समय किन-किन नेताओं ने कौन-कौन सी शायरी पढ़ी.

Budget Speech with Poem
जानें कब- कब हुआ बजट का भाषण शायराना

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Published : Jan 27, 2023, 5:37 PM IST

Updated : Feb 1, 2023, 7:17 AM IST

नई दिल्ली: वित्त मंत्री जल्द ही आम बजट पेश करेंगी. जिसका इंतजार देश भर के लोग बेसब्री से करते है. हालांकि, बजट भाषण ढेर सारे तकनीकी आकड़ों के कारण बोरिंग लगता है. पिछले कुछ वक्त से इन बोरिंग भाषणों को हमने शायराना होते देखा है, जिसने सदन के माहौल को हल्का करने में भूमिका निभाई है. मनमोहन सिंह से लेकर निर्मला सीतारमण तक ने इसका बखूबी उपयोग किया है. मनमोहन सिंह (वित्त मंत्री के रुप में) ने 1991-92 के केंद्रीय बजट में शेरो-शायरी की थी.

एक बार नहीं बल्कि कई बार बजट पेश करने के दौरान शायरी का तड़का लगा है. आइए जानते हैं कि कब-कब देश के बजट सत्र के दौरान वित्त मंत्रियों ने शेरो-शायरी से बोरिंग बजट को मजेदार बना दिया. आइए एक नजर इस पर डालते हैं.

आम बजट 2022
वित्त मंत्री निर्मली सीतारमण ने साल 2022 में अपना चौथा बजट पेश किया था. जिसमें उन्होंने कहा था, 'राजा को किसी भी तरह की ढिलाई त्याग देनी चाहिए. धर्म के अनुरुप राज्य का संचालन करना चाहिए. साथ ही साथ करों की वसूली करके प्रजा के कल्याण की व्यवस्था करनी चाहिए.'

वित्त मंत्री निर्मली सितारमण

आम बजट 2021
वित्त मंत्री निर्मला सितारमण ने आम बजट पेश किया. अपने भाषण के बीच में उन्होंने रविंद्रनाथ टैगोर की कविता पढ़ी. जिसके बोल इस प्रकार हैं... 'विश्वास वह पक्षी है जो सुबह अंधेरा होने पर भी उजाले को महसूस करता है.'

वित्त मंत्री निर्मली सितारमण

आम बजट 2020
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट 2020 के अपने शुरुआती भाषण के दौरान कश्मीरी कवि और साहित्य अकादमी विजेता पंडित दीनानाथ कौल द्वारा लिखी गई एक कविता का पाठ किया. कविता कश्मीर में शालीमार बाग और डल झील को संदर्भित करती है, इस बात पर बल देते हुए कि भारत सभी नागरिकों का है. यह कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद आया है. कविता की पंक्तियां कुछ इस प्रकार हैं-

'हमारा वतन शालीमार बाग जैसा
हमारा वतन डल झील में खिलते कमल जैसा
हम वतन नौजवानों के गर्म खून जैसा
हमारा वतन दुनिया का सबसे प्यारा वतन...'

वित्त मंत्री निर्मली सितारमण

आम बजट 2019- निर्मला सीतारमण

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अगले कुछ वर्षों में भारत के 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के साहसिक और दुस्साहसी लक्ष्य को रेखांकित करते हुए उर्दू लेखिका मंजूर हाशमी के एक दोहे को उद्धृत किया. जिसके बौल कुछ इस तरह है..यकीन हो तो कोई रास्ता निकलता है, हवा की ओट भी ले कर चिराग जलता है.

आम बजट 2017-अरुण जेटली
बजट में जहां सरकार ने काले धन के खिलाफ जंग शुरू की, जेटली ने नई सरकार का स्वागत करने के लिए कविता का सहारा लिया.

पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली

नई दुनिया है, नया दौर है, नई है उमंग

कुछ हैं पहले के तरीके

तो कुछ हैं आज के रंग ढंग

रौशनी आके अंधेरों से जो टकराई है

काले धन को भी बदलना पड़ा अपना रंग

आम बजट 2016 अरुण जेटली

पिछली सरकार से विरासत में मिली अर्थव्यवस्था की स्थिति के बारे में बात करते हुए जेटली ने कहा कि उन्हें पता है कि इसे कैसे ठीक करना है. इसके बाद उन्होंने एक ऐसी ही स्थिति की व्याख्या करने के लिए एक उर्दू शायरी का सहारा लिया. जिसकी पंक्तियां कुछ इस प्रकार हैं-

कश्ती चलाने वालों ने जब हार के दी पतवार हमें

लहर-लहर तूफान मिले और मौज-मौज मझधार हमें

फिर भी दिखाया है हमने और फिर ये दिखा देंगें सबको

इन हालात में आता है दरिया करना पार हमें

आम बजट 2013 - पी चिदंबरम
भारत तरक्की कर सकता है अगर वह सही फैसले लेता है. अपने इस बात को समझाने के लिए पूर्व वित्त मंत्री पी चिदबंरम ने तमिल की एक कविता पढ़ी. जिसका मतलब है जिसे आंखें स्पष्ट रूप से सही समझती हैं और जिसमें दृढ़ इच्छाशक्ति होती है, उसे मनुष्य को पूरा करना चाहिए. बोल कुछ इस तरह है...कलंगथु कांडा विनैक्कन थुलंगकथु थुककांग कदिन्थु सेयल

पूर्व वित्त मंत्री जसवंत सिंह

आम बजट 2005जसवंत सिंह

गरीब के पेट में दाना,
गृहिणी की टुकिया में आना

आम बजट 2001 -यशवंत सिन्हा

यह कहते हुए कि बजट में निर्धारित सुधारों ने दूसरी पीढ़ी के सुधारों, विकास और दक्षता के साथ इक्विटी को लक्षित किया. यशवंत सिन्हा ने इस पर जोर देने के लिए एक कविता का पाठ किया.

तकाजा है वक्त का तूफान से जूझो, कहां तक चलें किनारे किनारे

पूर्व वित्त मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह

आम बजट 1991 मनमोहन सिंह

मनमोहन सिंह ने 1991 के अपने ऐतिहासिक बजट भाषण में, जहां कई आर्थिक सुधारों की शुरुआत हुई, पूर्व प्रधान मंत्री ने अल्लामा इकबाल को उद्धृत किया.

यूनान, म्रिस, रोम सब मिट गए जहांन से
अब तक मगर हैं बाकी, नामो निशान हमारा

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Last Updated : Feb 1, 2023, 7:17 AM IST

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