नई दिल्ली: वित्त मंत्री जल्द ही आम बजट पेश करेंगी. जिसका इंतजार देश भर के लोग बेसब्री से करते है. हालांकि, बजट भाषण ढेर सारे तकनीकी आकड़ों के कारण बोरिंग लगता है. पिछले कुछ वक्त से इन बोरिंग भाषणों को हमने शायराना होते देखा है, जिसने सदन के माहौल को हल्का करने में भूमिका निभाई है. मनमोहन सिंह से लेकर निर्मला सीतारमण तक ने इसका बखूबी उपयोग किया है. मनमोहन सिंह (वित्त मंत्री के रुप में) ने 1991-92 के केंद्रीय बजट में शेरो-शायरी की थी.
एक बार नहीं बल्कि कई बार बजट पेश करने के दौरान शायरी का तड़का लगा है. आइए जानते हैं कि कब-कब देश के बजट सत्र के दौरान वित्त मंत्रियों ने शेरो-शायरी से बोरिंग बजट को मजेदार बना दिया. आइए एक नजर इस पर डालते हैं.
आम बजट 2022
वित्त मंत्री निर्मली सीतारमण ने साल 2022 में अपना चौथा बजट पेश किया था. जिसमें उन्होंने कहा था, 'राजा को किसी भी तरह की ढिलाई त्याग देनी चाहिए. धर्म के अनुरुप राज्य का संचालन करना चाहिए. साथ ही साथ करों की वसूली करके प्रजा के कल्याण की व्यवस्था करनी चाहिए.'
आम बजट 2021
वित्त मंत्री निर्मला सितारमण ने आम बजट पेश किया. अपने भाषण के बीच में उन्होंने रविंद्रनाथ टैगोर की कविता पढ़ी. जिसके बोल इस प्रकार हैं... 'विश्वास वह पक्षी है जो सुबह अंधेरा होने पर भी उजाले को महसूस करता है.'
आम बजट 2020
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट 2020 के अपने शुरुआती भाषण के दौरान कश्मीरी कवि और साहित्य अकादमी विजेता पंडित दीनानाथ कौल द्वारा लिखी गई एक कविता का पाठ किया. कविता कश्मीर में शालीमार बाग और डल झील को संदर्भित करती है, इस बात पर बल देते हुए कि भारत सभी नागरिकों का है. यह कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद आया है. कविता की पंक्तियां कुछ इस प्रकार हैं-
'हमारा वतन शालीमार बाग जैसा
हमारा वतन डल झील में खिलते कमल जैसा
हम वतन नौजवानों के गर्म खून जैसा
हमारा वतन दुनिया का सबसे प्यारा वतन...'
आम बजट 2019- निर्मला सीतारमण
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अगले कुछ वर्षों में भारत के 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के साहसिक और दुस्साहसी लक्ष्य को रेखांकित करते हुए उर्दू लेखिका मंजूर हाशमी के एक दोहे को उद्धृत किया. जिसके बौल कुछ इस तरह है..यकीन हो तो कोई रास्ता निकलता है, हवा की ओट भी ले कर चिराग जलता है.
आम बजट 2017-अरुण जेटली
बजट में जहां सरकार ने काले धन के खिलाफ जंग शुरू की, जेटली ने नई सरकार का स्वागत करने के लिए कविता का सहारा लिया.
नई दुनिया है, नया दौर है, नई है उमंग
कुछ हैं पहले के तरीके
तो कुछ हैं आज के रंग ढंग
रौशनी आके अंधेरों से जो टकराई है
काले धन को भी बदलना पड़ा अपना रंग
आम बजट 2016 अरुण जेटली