नई दिल्ली: गुरुद्वारा चुनाव को लेकर भले ही अभी वक्त हो, लेकिन इसके लिए वोटों के बनने का काम शुरू हो गया है. इस चुनाव को लेकर अलग-अलग पार्टियां ना सिर्फ सक्रिय हो गई है, बल्कि आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है.
गुरुद्वारा चुनाव की तैयारियों में जुटीं पार्टियां. गुरुद्वारा चुनाव को लेकर वोट का काम शुरू
गुरुद्वारा चुनाव को लेकर अभी तारीख तय नहीं हुई है, लेकिन वोटों के बनने का काम शुरू हो चुका है. यह शुरुआत 22 अक्टूबर से हो चुकी है. ऐसे में अलग-अलग दल लोगों को सहूलियत देने में भी जुट गए हैं. शिरोमणी अकाली दल दिल्ली की तरफ से विकासपुरी गुरु सिंह सभा गुरुद्वारा में बने कार्यलय में लोगों को मदद भी दी जा रही है और साथ ही फार्म भी भरवाया जा रहा है. इसके लिए बकायदा गुरु सिंह सभा के जरिए सोशल मीडिया पर भी लोगों को जानकारियां दी जा रही है.
तैयारियों में जुटी पार्टियां
शिरोमणि अकाली दल दिल्ली से जुड़े सी ब्लॉक गुरुद्वारे के पदधिकारोयों का साफतौर पर कहना है कि भले ही चुनाव में अभी 1 साल का वक्त हो. लेकिन अब यह चुनाव धर्म को बचाने के लिए है, इसलिए अभी से लोग उसकी तैयारियों में जुट गए हैं. साथ ही उनका आरोप दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी पर वर्तमान में काबिज दलों पर है. उनका कहना है कि इन लोगों ने धर्म में पूरी तरह से राजनीति ला दी. जिसके कारण सिख धर्म का काफी नुकसान हो रहा और इस वजह से लोगों को सतर्क हो जाने की जरूरत हैं. वहीं इनकी माने तो वर्तमान दलों ने बड़े बड़े वादे किए थे. लेकिन हालात ये है कि कमेटी के संस्थाओं की हालत खराब है. स्कूलों और दूसरे संस्थानों में लोगों को महीनों से सेलरी नहीं मिल रही है.
अलग-अलग माध्यम से दी जा रही जानकारी
वहीं इस गुरुद्वारा गुरु सिंह सभा के वाईस प्रेजिडेंट का कहना है कि वोट बनने का काम शुरू हो गया है. जो अगले महीने की 20 तारीख तक चलेगा इसलिए लोगों को अलग अलग माध्यम से इसकी जानकारी दी जा रही है. वहीं उनका ये भी आरोप है कि वर्तमान सत्तासीन पार्टी ने बाला साहेब हॉस्पिटल बनाने की बात की. लेकिन हॉस्पिटल नही बन पाने के कारण कोविड काल में कितने सिख भाइयों को जान गंवानी पड़ी.
त्योहारों के बाद जोर पकड़ेगी चुनाव की रफ्तार
साफ है कि इस बार दिल्ली से गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का चुनाव काफी दिलचस्प होने वाला है. क्योंकि इस बार मैदान में कुछ नहीं पाटिया भी है. देखना होगा आने वाले दिनों में किस तरह की तैयारियां देखते हैं. हालांकि इतना साफ है कि त्योहारों के बाद चुनाव से जुड़े कार्यक्रमों में तेजी आएगी और सभी पार्टियां अभी से अपना अपना दमखम दिखाना शुरू करेंगे.