हैदराबाद: कोरोना संक्रमण के मौजूदा दौर में कई वैक्सीन आ चुकी हैं. जिनकी अपनी-अपनी खूबियां हैं. लेकिन जायडस कैडिला की जायकोव-डी वैक्सीन इस मामले में सबसे अलग और सबसे खास है. जिसे भारत में आपात इस्तेमाल की मंजूरी भी मिल गई है. बिना सुई के लगने वाली इस वैक्सीन के डोज़ के बारे में कई लोग अनजान हैं तो कई लोग इसके बारे में सबकुछ जानना चाहते हैं तो चलिए आपको इस वैक्सीन के हर पहलू के बारे में बताते हैं.
बिना सुई के लगेगी ये स्वदेशी वैक्सीन
यही इस वैक्सीन का सबसे आकर्षक पहलू है जो इसके बारे में जानने के लिए सबको अपनी ओर खींच रहा है. जो अमेरिका और ब्रिटेन जैसे दुनिया के विकसित देश नहीं कर पाए वो भारत ने कर दिखाया और एक बिना सुई के लगने वाली वैक्सीन तैयार कर दी है. कोवैक्सीन के बाद जायकोव-डी पूरी तरह से स्वदेशी वैक्सीन है.
दुनिया में ऐसे कई लोग हैं जो सुई से डरते हैं ऐसे में किसी वैक्सीन का डोज़ लेना उनके लिए दर्दनाक वाकये से कम नहीं होता. ऐसे लोगों के लिए ये वैक्सीन संजीवनी से कम नहीं है. आखिर बिना सुई के ये वैक्सीन कैसे लगेगी, इसके बारे में आपको बताएंगे लेकिन पहले इस वैक्सीन की खूबियां जान लीजिए.
दूसरे टीकों से कई मायनों में अलग है ये वैक्सीन
जायडस कैडिला (Zydus Cadila) की जायकोव-डी (ZyCoV-D) वैक्सीन कई मायनों में बहुत खास है जो इसे बाजार में मौजूद दूसरे टीकों से अलग बनाती है.
1) पहली डीएनए आधारित वैक्सीन- जायकोव-डी दुनियाभर में मौजूद कोविड-19 की पहली डीएनए आधारित वैक्सीन है. इसे वैक्सीन डेवलप करने का सबसे आधुनिक तरीका माना जाता है. ये इम्यून प्रोटीन को विकसित करके संक्रमण को रोकता है और कोशिकाओं को संक्रमण से बचाता है. दुनिया में अब तक डीएनए आधारित वैक्सीन नहीं बनी है.
कोरोना वायरस के खिलाफ दुनिया की पहली प्लास्मिड डीएनए वैक्सीन वायरस से प्राप्त जेनेटिक मटैरियल के एक सेक्शन का इस्तेमाल करती है. जो वायरस के खास प्रोटीन के बारे में जानकारी देता है और इम्यून सिस्टम इसे पहचानकर प्रतिक्रिया देता है. ट्रायल में जायकोव-डी वैक्सीन वायरस के खिलाफ 66.6 प्रतिशत प्रभावी पाई गई है. कंपनी द्वारा इस वैक्सीन को कोरोना वायरस के खतरनाक डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ भी असरदार बताया जा रहा है.
2) तीन डोज़ वाली पहली वैक्सीन- अब तक कोविड-19 के लिए ज्यादातर दो डोज़ वाले टीके बाजार में मौजूद थे. फिर चाहे कोविशील्ड हो, स्पूतनिक-वी या कोवैक्सीन. इसके अलावा जॉनसन एंड जॉनसन की एक डोज़ वाली कोरोना वैक्सीन को भी भारत सरकार ने मंजूरी दी है. लेकिन इन सबसे अलग जायकोव-डी ट्रिपल डोज़ वाली वैक्सीन है यानि इसके तीन डोज़ लेने होंगे. पहली डोज के 28 दिन बाद दूसरी और 56वें दिन बाद तीसरी डोज़ दी जाएगी.
3) बच्चों के लिए भी सुरक्षित- भारत में ये पहली ऐसी वैक्सीन है जो बच्चों के लिए भी उपलब्ध होगी. 12 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए इसे पूरी तरह से सुरक्षित बताया जा रहा है. इस वैक्सीन का ट्रायल खतरनाक रही दूसरी लहर के दौरान किया गया. 28 हजार लोगों पर इसका ट्रायल हुआ जिनमें बच्चे भी मौजूद थे, ट्रायल के अच्छे नतीजे मिलने के बाद ही कंपनी ने इसे सरकार के पास मंजूरी के लिए भेजा था.
4) कोल्ड चेन की झंझट नहीं- आज कोरोना की जो भी वैक्सीन उपलब्ध है उसमें कोल्ड चेन का अहम रोल माना जाता है. यानि वैक्सीन को एक उचित तापमान पर रखने की चुनौती है लेकिन इस वैक्सीन में ये आसान है. क्योंकि इसे 2 से 8 डिग्री के तापमान पर रखा जा सकता है और 25 डिग्री के रूम टेंपरेचर पर भी ये खराब नहीं होती. जिसके चलते इसे आसानी से कहीं भी कभी भी पहुंचाने की सहूलियत मिलेगी.