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गाजियाबाद में येलो फंगस के पहले मरीज की मौत, ये रही वजह

गाजियाबाद के अस्पताल में भर्ती येलो फंगस (Yellow Fungus) से संक्रमित मरीज की मौत हो गई है. मुख्य चिकित्साधिकारी का कहना है कि मौत येलो फंगस की वजह से नहीं बल्कि हार्ट अटैक से हुई है.

गाजियाबाद में येलो फंगस के पहले मरीज की मौत
गाजियाबाद में येलो फंगस के पहले मरीज की मौत

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Published : May 28, 2021, 9:39 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: येलो फंगस (Yellow Fungus) से संक्रमित मरीज की मौत की खबर सामने आई है. दरअसल सोमवार को ब्लैक फंगस (Black Fungus) और व्हाइट फंगस (White Fungus) के बाद गाज़ियाबाद (Ghaziabad) में येलो फंगस (Yellow Fungus) का मामला सामने आया था.

प्रोफेसर डॉ. बीपी त्यागी ने दावा किया था कि येलो फंगस का पहला मामला सामने आया है. कुंवर पाल (61) का हर्ष ईएनटी अस्पताल (Harsh ENT Hospital) में इलाज चल रहा था. शुक्रवार सुबह उपचार के दौरान कुंवर पाल की मौत हो गई.

डॉ. बीपी त्यागी के मुताबिक कुंवर पाल येलो फंगस के साथ (Yellow Fungus) ब्लैक (Black Fungus) और व्हाइट फंगस (White Fungus) से भी ग्रसित थे. गाजियाबाद के मुख्य चिकित्सा अधिकारी एनके गुप्ता ने बताया कुंवर पाल की मौत येलो फंगस (Yellow Fungus) से नहीं हृदय की गति रुकने (Heart Attack) से हुई है.

मरीज के इलाज के लिए अस्पताल में एंफोटेरिसिन-बी (Amphotericin B) इंजेक्शन दवाइयां पर्याप्त मात्रा में मौजूद थी. कुंवर पाल पहले से शुगर और हार्ट के मरीज थे.
अब तक दो की मौत
मुख्य चिकित्सा अधिकारी के मुताबिक मौजूदा समय में जिले में ब्लैक (Black Fungus) और व्हाइट फंगस (White Fungus) के 29 संक्रिय मामले हैं. अब तक कुल 65 मामले सामने आए हैं और दो लोगों की मौत हो चुकी है.

पीले फंगस के लक्षण

ENT स्पेशलिस्ट प्रोफेसर डॉ. बी पी त्यागी के मुताबिक मुकोर सेप्टिकस (पीले फंगस ) के लक्षण हैं सुस्ती, कम भूख लगना, या बिल्कुल भी भूख न लगना और वजन कम होना. जैसे-जैसे यह आगे बढ़ता है वैसे की गंभीर लक्षण, जैसे मवाद का रिसाव करना और खुले घाव का धीमी गति से ठीक होना और सभी घावों की धीमी गति से भरना, कुपोषण और अंग विफलता और परिगलन के कारण धंसी हुई आंखें.

ये भी पढ़ें- येलो फंगस ने दी दस्तक, गाजियाबाद में पहला मरीज

पीला फंगस एक घातक बीमारी है क्योंकि यह आंतरिक रूप से शुरू होता है और इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि किसी भी लक्षण को नोटिस किया जा सकता है. यह दुर्भाग्य से कई मामलों में प्रबंधन करना बहुत मुश्किल बना देता है और इसमें केवल देरी हो सकती है. इसका एक मात्र इलाज इंजेक्शन amphoteracin b है.

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