वाराणसी:काशी को अपनी सांस्कृतिक सभ्यता और अनूठेपन के लिए जाना जाता है. इसी अनूठेपन को लेकर काशी की विश्व प्रसिद्ध रामनगर की रामलीला (World Famous Ramlila of Ramnagar) की शुरूआत 9 सितंबर से होने जा रही है. कोरोना के कारण 2 साल तक इस रामलीला पर ब्रेक लगने की वजह से रामलीला प्रेमियों में काफी ज्यादा मायूसी हुई थी लेकिन एक बार फिर से 239 साल पुरानी इस रामलीला की शुरुआत अनंत चतुर्दशी के दिन से होगी. यूनेस्को की अमूर्त विश्व सांस्कृतिक विरासत में शामिल यह रामलीला 31 दिनों तक चलेगी. 9 सितंबर को रावण के जन्म से लेकर 9 अक्टूबर तक पारंपरिक तौर पर लीला का मंचन किया जाएगा.
यूनेस्को द्वारा सांस्कृतिक विरासत में शामिल की गई इस रामलीला का अपना ही महत्व है. यहां की रामलीला देखने के लिए बड़ी संख्या में दूर-दूर से लोग आते हैं. यह लीला गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस पर आधारित है. कोरोना महामारी ने रामलीला की इस पुरानी परंपरा पर बीते दो साल ब्रेक लगा दिया था. वर्ष 1783 में काशी नरेश उदित नारायण सिंह ने इस रामलीला की शुरुआत की थी. दुनिया की यह पहली ऐसी रामलीला है, जिसका मंचन पांच किलोमीटर के क्षेत्र में होता है. अलग-अलग दिन अलग-अलग जगहों पर इसका मंचन किया जाता है. यहां लीला को देखने के लिए कुर्सी नहीं लगाई जाती है.