World Alzheimer Day : विश्व में लाइलाज 'अल्जाइमर' से 55 करोड़ लोग हैं पीड़ित, सालाना 1 करोड़ नये लोग होते हैं शिकार
आज पूरी दुनिया में अल्जाइमर की समस्या गंभीर बनी हुई. एक स्टेज के बाद अल्जाइमर, डिमेंशिया का रूप ले लेता है. कई बार यह इंसान को पागलपन के स्तर तक पहुंचा देता है. इस लाइलाज समस्या ने जापान ऐसे कई देशों की बड़ी आबादी को अपने चपेट में ले लिया है. पढ़ें पूरी खबर..
हैदराबाद : अल्जाइमर एक प्रकार की मानसिक समस्या है. आगे चलकर इस कारण डिमेंशिया (मनोभ्रंश) की समस्या भी हो जाती है. डिमेंशिया का कोई एक कारण नहीं है. शरीर में कई बीमारियों के कारण मस्तिष्क के भीतर तंत्रिका कोशिकाओं (Nerve Cells) में कई परिवर्तन होता है, डिमेंशिया उसका लास्ट स्टेज है. कई बार चोट लगने के कारण भी अल्जाइमर की समस्या हो जाती है. विश्व अल्जाइमर दिवस 2023 की थीम 'नेवर टू अर्ली, नेवर टू लेट' (Never Too Early, Never Too Late) पर मनाया जा रहा है.
विश्व अलजाइमर दिवस
अल्जाइमर के कारण 50 से 60 फीसदी लोगों में डिमेंशिया (Dementia) की समस्या होती है. यह मस्तिष्क के भीतर कोशिकाओं (Brain cells ) और तंत्रिकाओं को बाधित कर नष्ट कर देता है. बाधित/नष्ट होने वाली तंत्रिकाओं का काम मस्तिष्क के भीतर संदेशों को पहुंचाना, विशेष कर यादों को संग्रहित करना है. डिमेंशिया कई बार पागलपन के स्टेज तक पहुंच जाता है.
88 लाख भारतीय डिमेंशिया से हैं पीड़ित अल्जाइमर एसोसिएशन की एक 13 जनवरी 2023 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 60 साल से ज्यादा आयु वाले 7.4 फीसदी लोग डिमेंशिया से पीड़ित हैं. 88 लाख (8.8 मिलियन) भारतीय इससे पीड़ित हैं. पुरुषों की तुलना महिलाएं डिमेंशिया से अधिक पीड़ित हैं. वहीं शहरी क्षेत्रों से ज्यादा ग्रामीण क्षेत्र के लोग ज्यादा अनुपात में डिमेंशिया के शिकार हैं.
अल्जाइमर का इतिहास :डॉ. अलोइस अल्जाइमर नामक जर्मन जर्मन मनोचिकित्सक (German Psychiatrist Dr. Alois Alzheimer) ने 1901 में एक महिला के उपचार के दौरान अल्जाइमर नामक इस विकार या कहें समस्या के बारे में पता लगाया. इसके बाद इस समस्य को मनोचिकित्सक अल्जाइमर (Alzheimer) नाम दे दिया गया.
1984 में अल्जाइमर रोग इंटरनेशनल संगठन (Alzheimer's Disease International Organization) की स्थापना की गई. 21 सितंबर 1994 को संगठन ने 10 वीं वर्षगांठ पर अल्जाइमर की समस्या की गंभीरता के प्रति लोगों में जागरूक करने के लिए 21 सितंबर को विश्व अल्जाइमर दिवस मनाने का निर्णय लिया गया. इसके बाद से हर साल इस डेट को विश्व अल्जाइमर दिवस के रूप में मनाया जायेगा.
अल्जाइमर/डिमेंशिया से जुड़ी प्रमुख बातें
विश्व में 55 करोड़ (55 मिलियन ) से ज्यादा लोग डिमेंशिया से पीड़ित हैं.
पीड़ितों में 60 फीसदी से अधिक निम्न और मध्य आय वर्ग वाले देशों में शामिल है.
हर साल 1 करोड़ (10 मिलियन) नये लोगों में डिमेंशिया के मामले सामने आते हैं.
वर्तमान में मृत्यु का सातवां प्रमुख कारण डिमेंशिया है.
दुनिया भर में बुजुर्गों में दिव्यांगता का मुख्य कारण डिमेंशिया ही है.
अल्जाइमर के कारण ज्यादातर मामलों में डिमेंशिया आम बात है.
डिमेंशिया कई बीमारियों के अलावा चोटों के कारण भी होता है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के उनुसार कुछ अल्जाइमर के कारण कई देशों में 60-70 फीसदी लोग डिमेंशिया के शिकार होते हैं.
दुनिया भर में डिमेंशिया पर 2019 में 1.3 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर (1.3 Trillion US Dollars ) खर्च हुआ था.
डिमेंशिया के लक्षण
याददाश्त खत्म हो जाना
भूलने की बीमारी हो जाना या बातें याद नहीं रहना
चीजें खो देना या गलत जगह पर रखना
पैदल चलने या गाड़ी चलाने के दौरान भूलकर भटक जाना
परिचित स्थानों पर भी भ्रमित हो जाना
समय का ध्यान नहीं रहना
बातचीत करने में समस्या होना
हमेशा चिंतित रहना
व्यक्तिगत व्यवहार में असमान्य परिवर्तन
तर्क करने या निर्णय करने की क्षमता प्रभावित होना
डिमेंशिया के लिए प्रमुख कारण
65 साल से अधिक आयु वालों में डिमेंशिया होने की समस्या आम है
हाई ब्लड प्रेशर (हाइपरटेंशन)
हाई ब्लड सुगर (डायबिटीज)
मोटापा या अधिक वजन होना
नियमित रूप से धूम्रपान करना
अत्याधिक शराब का सेवन
फिजिकल वर्क नहीं करने पर
सामाजिक रूप से निष्क्रिय होना
अवसाद के कारण
सामाजिक रूप से अलग-थलग होना
अतिरिक्त टेबल नमक का उपयोग करना
(भोजन में 5 ग्राम से कम नमक उपयोग ही सही है)
पागलपन के स्टेज तक पहुंच सकता है अल्जाइमर
अल्जाइमर एक प्रकार की मानसिक समस्या है. इस कारण डिमेंशिया (मनोभ्रंश) की समस्या भी हो जाती है. डिमेंशिया का कोई एक कारण नहीं है. शरीर में कई बीमारियों के कारण मस्तिष्क के भीतर तंत्रिका कोशिकाओं (Nerve Cells) में कई परिवर्तन होता है, डिमेंशिया उसका लास्ट स्टेज है. अल्जाइमर के कारण 50 से 60 फीसदी लोगों में डिमेंशिया की समस्या होती है. यह मस्तिष्क के भीतर कोशिकाओं (Brain Cells ) और तंत्रिकाओं को बाधित कर नष्ट कर देता है. बाधित/नष्ट होने वाली तंत्रिकाओं का काम मस्तिष्क के भीतर संदेशों को पहुंचाना, विशेष कर यादों को संग्रहित करना है. डिमेंशिया के कारण कई बार इंसान पागलपन के स्टेज तक पहुंच जाता है.
डिमेंशिया न तो बीमार है, न इसका इलाज है
चिकित्सा विज्ञान के जानकारों के अनुसार डिमेंशिया को बीमारी की श्रेणी में नहीं रखा जाता है. अभी तक इससे दिमाग पर पड़ने वाले असर को कम करने के लिए संतोषजनक इलाज नहीं है. यह सीधे शब्दों में कह सकते हैं कि डिमेंशिया रोकने के लिए कोई दवा या चिकित्सा पद्धति नहीं है. डिमेंशिया की समस्या जापान जैसे देशों में गंभीर है.