नई दिल्ली : निकट भविष्य में बहुत जल्द भारतीय नौसेना ( Indian Navy) की सहायता से तीन भारतीय एक डीप पनडुब्बी यान (deep submersible craft) में मध्य हिंद महासागर (central Indian Ocean) के गहरे पानी में 6000 मीटर या 6 किमी की यात्रा करेंगे.
भारतीय नौसेना प्रमुख (Indian Navy chief) एडमिरल करमबीर सिंह (Admiral Karambir Singh) ने पहले कहा था कि मानवसहित और मानव रहित पनडुब्बियों के संचालन में नौसेना का अनुभव, और पानी के भीतर डोमेन ( underwater domain ) की इसकी समझ राष्ट्रीय प्रयास में शामिल होगी, जो कि 'डीप ओशन मिशन' का एक प्रमुख घटक है.
बहु-संस्थागत महत्वाकांक्षी मिशन में मिनिस्टरी ऑफ अर्थ (Ministry of Earth Sciences) नोडल मंत्रालय होगा.
बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित, मिशन का उद्देश्य पॉली-मेटालिक नोड्यूल्स (poly-metallic nodules), हाइड्रोथर्मल डिपॉजिट्स (hydrothermal deposits) के सर्वेक्षण के साथ-साथ गहरे समुद्र में जैव-विविधता (bio-diversity) पर शोध करना होगा.
बड़े पैमाने पर झरझरा, पॉलीमेटेलिक नोड्यूल छोटे गोलाकार पिंड (are small roundish lumps ) होते हैं जो समुद्र तल पर 4,000-6,000 मीटर की गहराई पर पाए जाते हैं.
इन पिंडों में मैंगनीज, लोहा, निकल, तांबा, कोबाल्ट, सीसा और दुर्लभ पृथ्वी तत्व और धातुएं होती हैं, जो उच्च प्रौद्योगिकी उद्योगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं, जो कंप्यूटर और मोबाइल फोन से लेकर लड़ाकू जेट (fighter jets) तक के उत्पादों की एक श्रृंखला बनाते हैं.
एक सरकारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि चरणबद्ध तरीके से लागू किए जाने वाले पांच वर्ष चलने वाले मिशन की अनुमानित लागत 4,077 करोड़ रुपये होगी. तीन साल (2021-2024) के लिए पहले चरण की अनुमानित लागत 2,823.4 करोड़ रुपये होगी.