कोलकाता : हर साल पूरे राज्य में तृणमूल कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं द्वारा टीएमसी का स्थापना दिवस मनाया जाता है, लेकिन इस बार शुक्रवार को होना वाला तृणमूल कांग्रेस का स्थापना दिवस समारोह बेहद महत्वपूर्ण होगा, लेकिन इस साल क्या होने वाला है? क्या यही उत्साह बना रहेगा? या यह इस साल भी इसे धूमधाम से मनाया जाएगा? यह एक ऐसा सवाल है, जो 2020 के अंतिम दिन पश्चिम बंगाल के राजनीतिक हलकों में घूम रहा है.
2011 में पश्चिम बंगाल की सत्ता में आने के बाद से तृणमूल कांग्रेस अपने अशांत राजनीतिक दौर से गुजर रही है. 34 साल के लंबे वाम मोर्चे के शासन को समाप्त करने में शुभेन्दु अधिकारी ने दो भूमि आंदोलनों में से एक में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसके कारण 2007-08 में तृणमूल कांग्रेस की वृद्धि हुई.
इसके अलावा अधिकारी ने 2016 के बाद राज्य के विभिन्न जिलों में कांग्रेस और वाम मोर्चा के राजनीतिक नेटवर्क को ध्वस्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
अब अधिकारी तृणमूल कांग्रेस से अलग हो गए हैं. वह अब भाजपा के साथ हैं. उनके साथ तृणमूल के कई अन्य नेता भी भगवा खेमे में शामिल हो गए. इतना ही नहीं अलग- अलग जिलों के कई टीएमसी नेताओं ने शुभेंदु के साथ जाने का फैसला किया है.
परिणामस्वरूप, राजनीतिक पर्यवेक्षकों को लगता है कि वर्तमान में तृणमूल कांग्रेस की स्थिति वास्तव में गंभीर है और फाउंडेशन डे पर भी इसका असर पड़ना तय है. हालांकि, तृणमूल कांग्रेस के नेता इस तर्क को स्वीकार करने से हिचक रहे हैं.
तृणमूल नेता बैश्वनर चटर्जी ने ईटीवी भारत को बताया कि पार्टी की स्थापना विभिन्न जन आंदोलनों के माध्यम से की गई थी. अब हम सत्ता में हैं, लेकिन एक समय पार्टी के सामने कई बाधाएं थीं. हम संघर्ष और आंदोलनों के माध्यम से इस स्थान पर पहुंचे हैं. कई ऐसे लोग थे, जो पार्टी की स्थापना के बाद से पार्टी के साथ थे.
उन्होंने कहा कि हम इस अवसर पर सभी को याद करेंगे और हमेशा की तरह कल पार्टी का स्थापना दिवस मनाएंगे.
चटर्जी ने कहा कि वह शुभेंदु अधिकारी के इस्तीफे को भी महत्व नहीं दे रहे हैं. शुभेंदु पार्टी के संस्थापक सदस्य नहीं हैं. वे चतरा परिसा से जुड़े थे, जब मैं कांग्रेस के छात्रसंघ का प्रदेश अध्यक्ष था. वह युवा आंदोलन से भी जुड़े थे.