चंडीगढ़ :2015 में गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की घटना 2017 के चुनावों में प्रमुख मुद्दों में से एक थी. उस दौर में नशीली दवाओं की तस्करी दूसरा सबसे बड़ा मुद्दा था, जबकि रेत की महंगी कीमत भी एक बड़ा मुद्दा बनकर उभरा था. तब कांग्रेस के मुख्यमंत्री कैंडिडेट रहे कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने गुटखा साहिब में इन मुद्दों का समाधान करने की शपथ ली थी. उन्होंने नशे के कारोबार की कमर तोड़ने और ड्रग्स मामले के दोषियों को चार हफ्ते में सजा दिलाने का वादा किया था. इन वादों के आधार पर कांग्रेस 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद सत्ता में आई थी. इसके बाद से सभी पार्टियां पिछले पांच साल से बेअदबी के दोषियों को सजा दिलाने का मुद्दा उठा रही हैं. उनके खिलाफ कार्रवाई को लेकर आवाज उठा रहे हैं.
2017 के पांच साल बीत चुके हैं. अब पंजाब में फिर विधानसभा चुनाव हो रहे है, तो बेअदबी, ड्रग्स और खनन के मुद्दों पर राजनीति फिर से गरमाने लगी है. इन राजनीतिक दलों के घोषणापत्र में बेअदबी, ड्रग्स और खनन का मुद्दा होगा या नहीं, यह तो मेनिफेस्टो जारी करते के बाद ही सामने आएगा. फिलहाल सभी दलों ने अपने वादों की लिस्ट जनता के सामने रख दी है. पंजाब की एक बड़ी आबादी गांवों में रहती है. यहां के लोग खेती और श्रम से जुड़े हैं इसलिए पार्टियों ने माफिया राज को खत्म करने के दावे किए हैं. इसके अलावा, बिजली, रोजगार, महिला सशक्तिकरण, स्वास्थ्य और शिक्षा चुनाव का प्रमुख मुद्दा है.
1. कांग्रेस (Congress)
कांग्रेस पार्टी ने अपने घोषणापत्र में नवजोत सिद्धू के पंजाब मॉडल को शामिल करने की बात कही है. इससे पहले वह शराब और रेत के कारोबार के लिए निगमों के गठन की बात भी सार्वजनिक रूप से कर चुकी है. कांग्रेस का दावा है कि अगर सरकार में पार्टी लौटी तो राज्य में रेत निगम बनाकर बेची जाएगी. कांग्रेस नेताओं का दावा है कि नशीले पदार्थों की तस्करी और बेअदबी के दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा. पार्टी ने अभी तक बेअदबी, ड्रग्स या खनन के मुद्दे का सीधे तौर पर कोई राय नहीं रखी है.
2. NDA (एनडीए)
एनडीए के प्रस्ताव में बेअदबी के लिए जीरो टॉलरेंस की नीति, बेअदबी के मामलों में जांच के लिए एक विशेष टास्क फोर्स बनाने और फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना का वादा किया गया है. इसके साथ ही इससे जुड़े कानूनों को सख्ती से लागू करने की बात भी कही गई है. एनडीए ने सीमा पार आतंकवाद, मादक पदार्थों की तस्करी और हथियारों की आपूर्ति पर अंकुश लगाने के लिए कड़े कदम उठाने का ऐलान किया है. इसके लिए ड्रोन निगरानी, बिजली की बाड़ और पुलिस चौकियों के निर्माण के दावे भी किए गए हैं. बता दें कि इस बार पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह एनडीए में हैं. पिछली बार वह कांग्रेस के सीएम फेस होने के बाद बेअदबी के दोषियों को दंडित करने और ड्रग्स की रीढ़ तोड़ने का दावा किया था, मगर इन मुद्दों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई थी. जब यह मुद्दा कांग्रेस के भीतर गरमाया तो उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ गई. इस बार कैप्टन अमरिंदर सिंह की पंजाब लोक कांग्रेस भाजपा के साथ गठबंधन में है और पांच साल पुराने मुद्दों पर एक बार फिर राजनीतिकरण कर रही है.
3. आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) : -
आम आदमी पार्टी ने पंजाब को नशा मुक्त बनाने और साथ ही साथ शांति और सद्भाव स्थापित करने का वादा किया है. पार्टी ने बेअदबी के सभी मामलों में कड़ी सजा सुनिश्चित करने का दावा भी किया है. आम आदमी पार्टी ने भी 2015 में बेअदबी का मुद्दा उठाया था और तब उसे इसका राजनीतिक फायदा भी मिला था. हालांकि आम आदमी पार्टी ने अभी तक खनन के मुद्दे पर कोई स्पष्ट राय नहीं रखी है, मगर पार्टी के नेता दावा कर रहे हैं कि अवैध खनन को रोककर उसका सारा राजस्व राजकोष में लाया जाएगा ताकि पंजाब की आर्थिक स्थिति में सुधार किया जा सके. पार्टी ने यह भी कहा है कि अगर सरकार बनती है तो अवैध खनन की जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
4. संयुक्त समाज मोर्चा ( Sanyuk Samaj Morcha) : -
पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 में संयुक्त समाज मोर्चा भी नया खिलाड़ी बनकर सामने आया है. किसान आंदोलन से उपजी इस पार्टी ने अपना चुनावी घोषणा पत्र जारी किया है. मेनिफेस्टो में ज्यादातर मुद्दे खेती से संबंधित हैं, पार्टी ने बेअदबी, ड्रग्स और खनन के बारे में कोई वादा नहीं किया है. हालांकि अंतरराष्ट्रीय व्यापार और सुरक्षा पर कहा गया कि पाकिस्तान से लगी अटारी और हुसैनीवाला सीमा को खोलने का मुद्दा भारत सरकार के सामने उठाया जाएगा.
5. शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal): -
बेअदबी और नशीले पदार्थों के मुद्दे पर विपक्ष शिरोमणि अकाली दल और खासकर बादल परिवार को घेरता रहा है. पंजाब में शिरोमणि अकाली दल के नेता बेअदबी और नशीली दवाओं के मुद्दे पर अकाली नेता पार्टी का बचाव करते रहे हैं. बिक्रम सिंह मजीठिया पर लगे आरोपों पर बीबी हरसिमरत कौर बादल ने कहा था कि अगर उनका भाई नशीली दवाओं के कारोबार में शामिल होता, तो वह नहीं बचता. उन्होंने दावा किया था कि मजीठिया का इस धंधे से कोई लेना-देना नहीं है. दूसरी ओर, प्रकाश सिंह बादल ने कहा था कि उनका परिवार और अकाली दल हर समय सिख धर्म की सेवा करता रहा है और बेअदबी का कोई सवाल ही नहीं है. सुखबीर बादल ने कहा है कि शिरोमणि अकाली दल के शासन में हुई बेअदबी की घटना पर उन्हें खेद है. शिरोमणि अकाली दल ने घोषणा पत्र में बेअदबी के मुद्दे का जिक्र नहीं किया और कानून-व्यवस्था जुड़े वादे किए गए है.
अकाली दल ने वादा किया है कि अगर सरकार बनी तो कांग्रेस के शासन काल में फले-फूले ड्रग माफिया का सफाया किया जाएगा. तस्करों, विक्रेताओं और सरगनाओं की पहचान करने के लिए अभियान चलाए जाएंगे और उनके खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जाएगी. उन परिवारों को विशेष सहायता प्रदान की जाएगी, जिनके फैमिली मेंबर का नशामुक्ति के लिए इलाज चल रहा है. सरकार नए नशा मुक्ति और पुनर्वास केंद्र स्थापित करेगी, जिसमें पर्याप्त मैनपावर और डॉक्टर होंगे. इसके अलावा रिहैबिलिटेशन में रहे लोगों के लिए वोकेशनल ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाएगी. छात्रों के सिलेबस में ड्रग अवेयरनेस के बारे में बताया जाएगा. साथ ही प्रत्येक गांव और शहरी क्षेत्रों के प्रत्येक नगरपालिका वार्ड में नशा छुड़ाओ समितियों का गठन किया जाएगा.
मुख्यमंत्री की निगरानी में राज्य स्तरीय ड्रग वार रूम बनाए जाएंगे. पूरे राज्य में सीसीटीवी कैमरा नेटवर्क का विस्तार किया जाएगा. महिला थानों और महिला पुलिस कॉन्स्टेबल की संख्या बढ़ाई जाएगी. पंजाब होमगार्ड के जवानों को नियमित आधार पर भर्ती किया जाएगा. साथ ही राज्य पुलिस भर्ती में पीएचजी जवानों को 10% कोटा मिलेगा. अकाली दल ने पारदर्शी रेत खनन और शराब नीति बनाने का वादा भी किया है.
बीएसएफ का मुद्दा (BSF issue)
जब गृह मंत्रालय ने बीएसएफ का दायरा बॉर्डर से 50 किलोमीटर तक बढ़ाया था, तब इस पर खूब हो-हल्ला हुआ. गैर भाजपा दलों ने इसे राज्यों के मामलों में केंद्र का दखल बताया था. इस मुद्दे पर पंजाब विधानसभा में एक प्रस्ताव भी पारित किया गया था. इसके विरोध में अकाली दल ने अटारी से मोटरसाइकिल रैली का आयोजन किया था और आम आदमी पार्टी ने तिरंगा यात्रा निकाली थी. चुनाव के दौरान यह मुद्दा गायब है. किसी भी पार्टी के नेता ने अपने वादों और भाषणों में इस मुद्दे का जिक्र तक नहीं किया. अब देखना होगा कि बेअदबी, ड्रग्स, खनन और बीएसएफ के मुद्दे पर पार्टियां अपने घोषणापत्र में जनता से क्या वादे करती हैं.