दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

लखनऊ में मौत के सरकारी आंकड़ों से श्मशान में लगी लाशों की कतार पूछ रही है सवाल

लखनऊ में होने वाली मौतें अपने पीछे सवाल छोड़ जा रही हैं. श्मशानों में देर रात तक होने वाले दाह संस्कार और कब्रिस्तानों में सुपुर्द ए खाक करने के लिए लंबा इंतजार, सरकारी रिपोर्ट्स में आने वाले मौत के आंकड़ों को मुंह चिढ़ाते नजर आते हैं. सवाल यह है कि सरकारी रिपोर्ट में कोरोना से मौत की तादाद कम है तो श्मशानों और कब्रिस्तानों में शव क्यों आ रहे हैं? कोरोना के अलावा अचानक और कौन सी दूसरी हवा चली है, जो लोगों की सांस घोंट रही है.

आंकड़ों में अंतर क्यों ?
आंकड़ों में अंतर क्यों ?

By

Published : Apr 18, 2021, 5:01 AM IST

Updated : Apr 18, 2021, 10:15 AM IST

लखनऊ: कितना है बदनसीब 'ज़फर' दफ्न के लिए, दो गज़ ज़मीन भी न मिली कू-ए-यार में. भारत के आखिरी मुगल बादशाह ने ये लिखा था. तब किसी ने सोचा ना होगा कि भारत के एक हिस्से लखनऊ में ये हकीकत बन जाएगा. लखनऊ में कोरोना संक्रमण की स्थिति भयावह होती जा रही है. गुरुवार को 5183 शहरवासी कोरोना की चपेट में आए. सरकारी आंकड़ों के अनुसार 15 अप्रैल को लखनऊ में रहने वाले सिर्फ 26 लोगों की मौत हो गई. मगर गुरुवार रात को लखनऊ में दो श्मशान घाटों पर लगातार चिताएं जलती रहीं. 108 लाशों का अंतिम संस्कार किया गया. इसके अलावा शहर के कब्रिस्तानों में करीब 60 शवों को दफन किया गया. यानी उत्तर प्रदेश की राजधानी में कोरोना से मरने वालों के सरकारी आंकड़ों से करीब सात गुणा अधिक शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है. श्मशानों और कब्रिस्तानों में शवों की अंतिम विधि के लिए लगी लाइन लोगों में शक पैदा कर रही है कि क्या सरकारी महकमे कोरोना से हो रही मौतों के आंकड़े सही नहीं बता रहे. दूसरा सवाल यह है कि क्या कोरोना के मरीज अस्पतालों तक नहीं पहुंच रहे. ऐसे में उनकी सही जांच नहीं हो रही है. इस कारण मौतों का सरकारी आंकड़ा असल हालात से बहुत कम हैं.

कोरोना बरपा रहा है कहर
कब्रिस्तान

लखनऊ के नगर आयुक्त अजय द्विवेदी के अनुसार गुरुवार देर रात लखनऊ के भैसा कुंड और गुलाला घाट पर 108 शवों का अंतिम संस्कार किया गया. श्मशानों से जुड़े अधिकारी बताते हैं कि इन दिनों श्मशान घाटों पर जगह नहीं मिलने के कारण चबूतरे और खाली पड़ी जगहों पर भी शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा हैं. ऐसा नहीं है कि सिर्फ श्मशानों में शवों की संख्या अचानक बढ़ गई है बल्कि कब्रिस्तानों में भी सुपुर्द-ए-खाक होने के लिए लाइन लगी हुईं है. कब्रिस्तान कमेटी के इमाम अब्दुल मतीन इमाम ने बताया कि लखनऊ में छोटे-बड़े मिलाकर कुल 100 कब्रिस्तान हैं, इन कब्रिस्तानों में आम दिनों में अमूमन कुल 5 से 6 लोगों को दफनाया जाता था. इस समय औसतन 60 से 70 लोगों को प्रतिदिन सुपुर्द-ए-खाक किया जा रहा है. दफन के लिए ज्यादा शव ऐशबाग स्थित सुन्नी समाज के कब्रिस्तान और तालकटोरा स्थित शिया समुदाय के कर्बला में लाए जा रहे है.

डरा रही है कोरोना की दूसरी लहर
कब्रिस्तान

इतनी लाशें आ रही हैं कि कब्र खोदने के रेट बढ़ गए हैं

गुरुवार को लखनऊ निवासी अदनान दानिश के पिता की मौत हो गई. वह अपने पिता के शव को दफनाने के लिए ऐशबाग के कब्रिस्तान पहुंचे थे. अदनान दानिश ने बताया कि अचानक इतनी तादाद में हो रही मौतों के कारण इंतजार करना पड़ रहा है. कब्र खोदने वाले पहले एक कब्र खोदने के लिए 800 रुपये लेते थे, अब कब्र खोदने वाले 1500 से 2500 रुपये की मांग कर रहे हैं. दुख इसका है कि जो लोग ज्यादा पैसे दे रहे हैं, उनके परिजनों की लाश के लिए कब्र सबसे पहले खोदी जा रही है.

लखनऊ में कोरोना का कहर

शव ढोने के लिए देनी पड़ रही है मुंह मांगी कीमत

अदनान दानिश ने बताया कि उनके पिता की मौत मेडिकल कॉलेज में हुई थी. वहां से ऐशबाग का कब्रिस्तान महज एक किलोमीटर दूर है. जब उन्होंने मेडिकल कॉलेज के पास शव ढोने वाले वाहन की बुकिंग की तो उनसे कब्रिस्तान तक जाने के लिए 2200 रुपये की डिमांड की गई. मजबूरी में उन्हें यह राशि देनी भी पड़ी.

लखनऊ का ये है हाल

मौतों के बावजूद कब्रिस्तानों में जगह की कमी नहीं

कब्रिस्तान कमेटी के इमाम अब्दुल मतीन इमाम के अनुसार, इतनी तादाद में शव दफनाने के बाद भी लखनऊ के कब्रिस्तानों में जगह की कमी नहीं है. क्योंकि कब्रिस्तान में कई कब्र पुरानी हो चुकी है तो जगह खाली हैं और दूसरे शवों को दफनाया जा सकता है

कब्रिस्तान

ईसाई कब्रिस्तान का हाल, 15 दिन में 15 दफन

राजधानी लखनऊ में पिछले 15 दिनों के भीतर ईसाई समाज के 15 लोगों की कोरोना संक्रमण से मौत हुई. फादर जॉन डिसूजा का कहना है कि कोरोना संक्रमण लगातार बढ़ रहा है. जब संक्रमित मरीज की मौत हो रही हैं. उसे दफनाने के लिए सिर्फ 5 लोग कब्रिस्तान जा रहे हैं.

लखनऊ में कोरोना का कहर

ये भी पढ़ें: कोरोना : मौत के सरकारी आंकड़ों पर क्यों उठे सवाल, देखिए भयावह सच्चाई

Last Updated : Apr 18, 2021, 10:15 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details