पटना:पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) से मुलाकात और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) से हाल-चाल तक नहीं पूछा. जी हां, जून के आखिरी सप्ताह में दिल्ली में मौजूद नीतीश कुमार से ना तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और ना ही BJP के किसी नेता ने मुलाकात की. जब मांझी पहुंचे तो उनसे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) की मुलाकात हुई.
नहीं पूछा हालचाल
नीतीश कुमार आंख का इलाज कराने दिल्ली गए थे. 22 से 30 जून तक वे दिल्ली में रहे. दोनों आंखों का ऑपरेशन कराया. इस दौरान एक दिन भी ना तो प्रधानमंत्री और ना ही बीजेपी के किसी नेता ने उनसे मुलाकात की. हालचाल तक नहीं पूछा. चर्चा थी कि नीतीश केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार और अन्य मुद्दों पर बात करना चाहते थे. इस बीच जीतन राम मांझी दिल्ली गए तो ना सिर्फ उनकी और उनके बेटे संतोष मांझी की अमित शाह और जेपी नड्डा से मुलाकात हुई बल्कि कई मुद्दों पर चर्चा भी हुई. मांझी ने ट्वीट कर यह जानकारी दी कि अमित शाह और जेपी नड्डा से मुलाकात में निजी क्षेत्र में आरक्षण, न्यायपालिका में आरक्षण और अन्य मुद्दों पर चर्चा हुई.
भाजपा को रास नहीं आया नीतीश का दांव पेंच
बिहार में एनडीए (NDA) गठबंधन के मुखिया के तौर पर नीतीश कुमार बड़ी भूमिका में हैं. हालांकि विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी जदयू महज 43 सीटों पर सिमट गई थी. भाजपा ने अपने पूर्व घोषित वादे के मुताबिक उन्हें मुख्यमंत्री बनाया. मुख्यमंत्री बनने के बाद नीतीश कुमार ने अपनी पार्टी को मजबूत करने की कोशिश की. उन्होंने बसपा के विधायक को जदयू में शामिल कर लिया. इसके बाद उनके निशाने पर लोजपा के सांसद थे. लोजपा में बड़ी टूट हुई. चिराग अकेले रह गए और बाकी 5 सांसद अलग हो गए. हालांकि लोजपा पर अधिकार को लेकर फिलहाल संघर्ष जारी है.
सफल नहीं हुई नीतीश की योजना
राजद का आरोप है कि पशुपति पारस और अन्य लोगों को प्रलोभन देकर जदयू के जरिए केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल कराने की नीतीश कुमार की योजना फिलहाल धरी की धरी रह गई.