हैदराबाद : भारतीय संसद के मॉनसून सत्र का आगाज सोमवार को भारी हंगामा के साथ हुआ. सत्र की शुरुआत होने से पहले ही पेगासस के जरिये जासूसी का ऐसा मुद्दा आ गया है, जिसने राजनीतिक भूचाल ला दिया है. इस मुद्दे पर विपक्ष संसद में चर्चा कराने पर अड़ा है. कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि, हमें पता है कि वह आपके फोन से सब कुछ पढ़ रहे हैं. दरअसल उनका निशाना पेगासस के जरिये जासूसी कराने के आरोपों पर था.
दरअसल एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठन (international media organization) ने खुलासा किया है कि इजराइल के खुफिया साफ्टवेयर पेगासस के जरिए भारत के दो केंद्रीय मंत्रियों, 40 से अधिक पत्रकारों, विपक्ष के तीन नेताओं और एक न्यायाधीश समेत 300 लोगों की जासूसी की गई. पेगासस स्पाइवेयर डिवेलप करने वाली कंपनी एनएसओ ( NSO) इजराइल की है. कंपनी का दावा है कि वह सिर्फ सरकारों को अधिकृत रूप से यह सॉफ्टवेयर बेचता है.
इसका उद्देश्य आतंकवाद और अपराध को रोकना है. सवाल यह है कि क्या भारत सरकार ने एनएसओ (NSO) से यह सॉफ्टवेयर खरीदा था. हालांकि गार्जियन अखबार का कहना है कि एनएसओ (NSO) ने इस सॉफ्टवेयर को कई देशों की सरकारों को बेचा है. इस सॉफ्टवेयर के जरिए 50 हजार से ज्यादा लोगों की जासूसी की जा रही है.
राज्यसभा में 28 नवम्बर, 2019 को दिग्विजय सिंह ने सरकार से पेगासस (Pegasus) के विषय में सवाल पूछे थे. 18 जुलाई को भी उन्होंने इस बारे में ट्वीट किया और सरकार पर जासूसी कराने का आरोप लगाया. खुद बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यन स्वामी ने सरकार को चेतावनी दे डाली. उन्होंने कहा कि यह समझदारी होगी यदि गृह मंत्री संसद को बताएं कि मोदी सरकार का उस इजरायली कंपनी से कोई लेना-देना नहीं है जिसने हमारे टेलीफोन टैप और टेप किए हैं. नहीं तो वाटरगेट की तरह सच्चाई सामने आएगी और हलाल के रास्ते बीजेपी को नुकसान पहुंचाएगी.
क्या है पेगासस स्पाइवेयर ?
पेगासस एक पावरफुल स्पाइवेयर सॉफ्टवेयर है, जो मोबाइल और कंप्यूटर से गोपनीय एवं व्यक्तिगत जानकारियां चुरा लेता है और उसे हैकर्स तक पहुंचाता है. इसे स्पाइवेयर कहा जाता है यानी यह सॉफ्टवेयर आपके फोन के जरिये आपकी जासूसी करता है. इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप का दावा है कि वह इसे दुनिया भर की सरकारों को ही मुहैया कराती है. इससे आईओएस या एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम चलाने वाले फोन को हैक किया जा सकता है. फिर यह फोन का डेटा, ई-मेल, कैमरा, कॉल रेकॉर्ड और फोटो समेत हर एक्टिविटी को ट्रेस करता है.
संभल कर, जानिए कैसे होती है जासूसी ?
अगर यह पेगासस स्पाइवेयर आपके फोन में आ गया तो आप 24 घंटे हैकर्स की निगरानी में हो जाएंगे. यह आपको भेजे गए मैसेज को कॉपी कर लेगा. यह आपकी तस्वीरेों और कॉल रेकॉर्ड तत्काल हैकर्स से साझा करेगा. आपकी बातचीत रेकॉर्ड किया जा सकता है. आपको पता भी नहीं चलेगा और पेगासस आपके फोन से ही आपका विडियो बनता रहेगा. इस स्पाइवेयर में माइक्रोफोन को एक्टिव करने की क्षमता है. इसलिए किसी अनजान लिंक पर क्लिक करने से पहले चेक जरूर कर लें.
कैसे फोन में आता है यह जासूस पेगासस ?
जैसे अन्य वायरस और सॉफ्टवेयर आपके फोन में आते हैं, वैसे ही पेगागस भी किसी मोबाइल फोन में एंट्री लेता है. इंटरनेट लिंक के सहारे. यह लिंक मेसेज, ई-मेल, वॉट्सऐप मेसेज के सहारे भेजे जाते हैं. 2016 में पेगासस की जासूसी के बारे में पहली बार पता चला. यूएई के मानवाधिकार कार्यकर्ता ने दावा किया कि उनके फोन में कई एसएमएस आए, जिसमें लिंक दिए गए थे. उन्होंने इसकी जांच कराई तो पता चला कि स्पाईवेयर का लिंक है. एक्सपर्टस के मुताबिक, यह पेगागस का सबसे पुराना संस्करण था. अब इसकी टेक्नॉलजी और विकसित हो गई है. अब यह 'जीरो क्लिक' के जरिये यानी वॉइस कॉलिंग के जरिये भी फोन में एंट्री ले सकता है .