शिमला: हिमाचल सरकार ने अपनी कमाई बढ़ाने के लिए बाहरी राज्यों के कमर्शियल वाहनों पर भारी भरकम टैक्स लगा रखा था. यह राशि 3000 रुपये से लेकर 6000 रुपये प्रति दिन थी. वहीं, अब हिमाचल प्रदेश सरकार ने आज गुरुवार को बाहरी राज्यों से पर्यटकों को लेकर आने वाले राज्य से बाहर पंजीकृत वाहनों पर लगाए गए स्पेशल रोड टैक्स (SRT) में भारी कटौती की है. प्रदेश में बाहरी राज्यों से आने वाले कॉन्ट्रैक्ट कैरिज और ऑल इंडिया परमिट वाहनों पर लगाए गए स्पेशल रोड टैक्स में पचास फीसदी से ज्यादा कटौती की गई है.
क्या है SRT?-हिमाचल सरकार ने आय बढ़ाने के लिए एसआरटी यानी विशेष पथ कर लागू किया है. जिन वाहनों का ऑल इंडिया परमिट है, उन्हें भी एसआरटी भरना होगा. इसका विरोध हो रहा है. इस फैसले का सीधा असर पर्यटन सेक्टर पर पड़ेगा. पहले ऑल इंडिया परमिट वाले वाहनों को ये टैक्स नहीं देना होता था. अब वे भी इसके दायरे में लाए गए हैं. वहीं, पर्यटक वाहन मालिक इसका विरोध करते हुए इसे पहले की तरह शून्य किए जाने की मांग कर रहे हैं. नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने भी कहा है कि इसका असर पर्यटन पर होगा. वहीं, परिवहन विभाग के अनुसार बाहर से आने वाले ऑल इंडिया परमिट वाहन वालों को भी एसआरटी भरना होगा. ये हिमाचल की सीमा में प्रवेश करने पर भरना होगा. इसके स्लैब से जुड़ी अधिसूचना जारी हो चुकी है.
बाहरी राज्यों की कमर्शियल गाड़ियों पर एसआरटी में भारी कटौती, हिमाचल सरकार ने जारी की नोटिफिकेशन वहीं, हिमाचल आने वाले बाहरी राज्यों के पर्यटन वाहनों पर टैक्स की दरें भले ही कम कर दी हों, लेकिन सरकार के इस कदम से भी टैक्सी-टेंपो ट्रेवलर ऑपरेटर खुश नहीं हैं. टैक्सी-टेंपो ट्रेवलर ऑपरेटरों ने साफ कहा है कि हिमाचल अलग से टैक्स नहीं लगा सकता, क्योंकि वे पहले केंद्र सरकार को टैक्स दे रहे हैं. ट्राई सिटी टैंपो ट्रेवलर यूनियन और चंडीगढ़-पंजाब टैक्सी यूनियन ऑपरेटरों ने सरकार को चेतावनी दी है कि वे 15 दिन के भीतर इस टैक्स को वापस लें अन्यथा वे बार्डर सील कर देंगे.
क्या है मामला?- बता दें कि बाहरी राज्यों के 13 से 22 सीटर कमर्शियल वाहनों को रोजाना 5200 रुपये का स्पेशल रोड टैक्स देना पड़ रहा था. वहीं, अब आज गुरुवार को हिमाचल सरकार ने स्टेट रोड टैक्स (SRT) में पचास फीसदी से भी ज्यादा कटौती की गई है. जिसे लेकर परिवहन विभाग ने इसकी नोटिफिकेशन जारी कर दी है. गौरतलब है कि बाहरी राज्यों के टैक्सी ऑपरेटर लंबे समय से इसके लिए आंदोलन कर रहे थे.
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टैक्सी ऑपरेटर क्यों कर रहे थे विरोध?-बाहरी राज्यों के ऑल इंडिया परमिट वाले टैक्सी और टेंपो ट्रैवलर ऑपरेटरों का साफ कहना है कि एक देश में दो टैक्स नहीं लगाए जा सकते. आजाद टैक्सी यूनियन चंडीगढ़-पंजाब के अध्यक्ष शरनजीत सिंह ने कहा कि हिमाचल सरकार द्वारा ऑल इंडिया परमिट वाले वाहनों पर लगाया गया परमिट गैर कानूनी है. यह सही है कि सरकार ने पहले की तुलना में टैक्स कम किया है, लेकिन फिर भी यह गलत है.
उन्होंने कहा कि वे पहले ही केंद्र सरकार को नेशनल परमिट के लिए 80 हजार रुपए सालाना टैक्स दे रहे हैं. इसी तरह पंजाब सरकार को 10 हजार का टैक्स अलग से दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि रूल के मुताबिक ऑल इंडिया परमिट वाले वाहनों पर इस तरह का टैक्स नहीं लगाया जा सकता. उन्होंने कहा कि इससे पहले तमिलनाडु ने भी इसी तरह का टैक्स लगाया था. जिसको पहले हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट ने रोक दिया. उन्होंने कहा कि अब हिमाचल ने इसी तरह गैर कानूनी तरीके से टैक्स लगाया है. जिससे वे हिमाचल में अपने वाहनों को नहीं ला रहे. उन्होंने कहा कि वे जल्द एक बैठक कर इसको लेकर रणनीति तैयार करेंगे.
रोड टैक्स का विरोध कर रहे हैं टैक्सी ऑपरेटर्स वहीं, ट्राइ सिटी टेंपो ट्रेवर यूनियन के सदस्य संजीव ठाकुर ने कहा है कि हिमाचल सरकार ने जो टैक्स लगाया है वो गैर कानूनी है. वह पहले ही केंद्र सरकार को टैक्स दे रहे हैं तो हिमाचल को अलग से टैक्स क्यों दें. वे सवाल उठा रहे हैं कि हिमाचल क्या भारत से अलग है. उनका कहना है कि सरकार ने अगर इस टैक्स को 15 दिनों के भीतर वापस नहीं लिया तो वे बॉर्डर जाम कर देंगे.
क्या बोले जिला कुल्लू के पर्यटन कारोबारी?-कुल्लू के पर्यटन कारोबारी नवनीत सूद का कहना है कि सरकार के द्वारा जो यह फैसला लिया गया है, वह सराहनीय है और इससे अब हिमाचल के पर्यटन को गति मिलेगी. नवनीत सूद का कहना है कि इससे पहले यहां पर पर्यटन कारोबार 50% से घटकर 20% तक रह गया था और होटल कारोबारी को इसका सबसे अधिक नुकसान उठाना पड़ा. इसके अलावा पर्यटन गतिविधियों से जुड़े हुए युवाओं को भी इससे काफी नुकसान हुआ है. अब सरकार के द्वारा जो यह फैसला लिया गया है. उसे जल्द से जल्द लागू किया जाना चाहिए.
जिला कुल्लू में ट्रैवल एजेंसी से जुड़े हुए अभिनव वशिष्ट का कहना है कि सरकार के द्वारा जो फैसला लिया गया है उस पर अब जल्दी अंतिम निर्णय लिया जाना चाहिए और जहां तक हो सके. बाहरी राज्यों से आने वाली गाड़ियों के टैक्स को काम किया जाना चाहिए. सरकार के द्वारा जो यह फैसला लिया गया था उससे जिला कुल्लू के अलावा अन्य जिला में भी सैलानियों की आमद घट गई और कई बड़ी कंपनियों के द्वारा हिमाचल आने वाले सैलानियों की बुकिंग भी रद्द की गई. अब उम्मीद है की दिवाली के त्योहार पर सैलानी अधिक संख्या में कुल्लू मनाली व अन्य इलाकों का रुख करेंगे.
शिमला में होटल्ज एंड टूरिज्म स्टेकहोल्डर्ज एसोसिएशन के प्रतिनिधिमंडल ने सीएम सुक्खू से मुलाकात की थी और SRT को कम करने की मांग की थी. होटल कारोबारी राजीव किमटा का कहना है कि सरकार के द्वारा जो यह निर्णय लिया गया है वह सराहनीय है. ऐसे में प्राकृतिक आपदा के बाद जिला कुल्लू में पर्यटन कारोबार मंदा चल रहा है और सरकार के द्वारा जो टैक्स घटाया जा रहा है उससे बाहरी राज्यों से पर्यटक बड़े वाहनों में भी कुल्लू मनाली का रुख करेंगे. जिससे यहां के पर्यटन कारोबार को भी अब गति मिलेगी.
हिमाचल सरकार ने कितना कम किया टैक्स?- अधिसूचना के मुताबिक बाहरी राज्यों से आने वाले कॉन्ट्रैक्ट कैरिज और ऑल इंडिया टूरिस्ट परमिट वाले 13 से 22 सीटर वाहनों को प्रतिदिन 500, तीन दिन के लिये 1000 और एक सप्ताह के लिए 2000 टैक्स देना होगा. इसके अतिरिक्त 23 से ज्यादा सीट वाले वाहनों व बसों के लिए प्रतिदिन 1500, तीन दिन के लिए 3 हजार और एक सप्ताह के लिए 6 हजार टैक्स देना होगा.
हालांकि पहले इन वाहनों को रोजाना 5200 रुपए का टैक्स देना पड़ रहा था, लेकिन अब सरकार ने इसको घटा दिया है. वहीं, हिमाचल प्रदेश ट्रांसपोर्ट रूल्स या इसी तरह के अन्य रूल्स के बगैर चल रहे वाहनों के लिए भी टैक्स की दरें निर्धारित की गई हैं. इसके मुताबिक 5 सीटों से कम वाले ऐसे कॉन्ट्रैक्ट कैरिज को रोजाना 200 रुपए, 5 से 10 सीटों वाले वाहनों पर 500 रुपए , 10 से 23 सीटों वाले वाहनों को 750 रुपए और 23 सीटों से ज्यादा वाले ऐसे वाहनों को 1500 रुपए रोजाना स्पेशल रोड टैक्स देना होगा.
टैक्स की वजह से प्रभावित हुआ पर्यटन कारोबार- दरअसल बाहरी राज्यों से टैक्सी और टेंपो ट्रैवलर पर्यटकों को लेकर आते हैं. पंजाब, चंडीगढ़ से वाहन शिमला, मनाली आदि पर्यटन स्थलों के अलावा हिमाचल के धार्मिक स्थलों को भी श्रद्धालुओं को लाते हैं, लेकिन हिमाचल सरकार द्वारा लगाए गए इस टैक्स की वजह से अब इन टैक्सी आपरेटरों ने अपनी सेवाएं बंद कर दी हैं. इसके चलते हिमाचल में पर्यटन कारोबार बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है. पंजाब और चंडीगढ़ के टैक्सी, टैंपो व बस ऑपरेटर से पहले गुजरात और महाराष्ट्र की ट्रेवल एजेंसियां भी हिमाचल का बहिष्कार कर रही हैं. दुर्गा पूजा के दौरान सैलानी हिमाचल नहीं आए, तो वहीं दीवाली और इसके बाद भी सैलानी नहीं आ पाएंगे. प्रदेश के होटलों में ऑक्यूपेंसी 5 से 10 फीसदी तक आ गई है.
टैक्सी ऑपरेटर दर्ज करा सकते हैं आपत्ति-शिमला होटल एंड टूरिज्म इंडस्ट्री स्टेक होल्डर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष महेंद्र सेठ ने सरकार के टैक्स कम करने के फैसला का स्वागत किया है. उनका कहना है कि सरकार ने टैक्स में करीब 80 फीसदी तक कटौती की है. अगर फिर भी टैक्सी आपरेटरों को इस टैक्स को लेकर कोई आपत्ति है तो वे लिखित में अपनी आपत्ति सरकार को दे सकते हैं. उन्होंने उम्मीद जताई कि सरकार सभी पक्षों के साथ मिलकर इसका हल निकालेगी.