कोलकाता: पश्चिम बंगाल सरकार ने कलकत्ता उच्च न्यायालय में अपने हलफनामे में कहा कि सरकारी खजाने की मौजूदा स्थिति को देखते हुए राज्य के लिए अपने कर्मचारियों को महंगाई भत्ता देना संभव नहीं है. राज्य के मुख्य सचिव हरिकृष्णा द्विवेदी ने शुक्रवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय में हलफनामा पेश किया. बताया गया है कि आरओपीए( ROPA) नियम 2019 के अनुसार, राज्य पहले ही सरकारी कर्मचारियों को वित्तीय संकट के मामले में 16 प्रतिशत का महंगाई भत्ता प्रदान कर चुका है.
चालू वित्त वर्ष के बजट के अनुसार राज्य अधिक महंगाई भत्ते का भुगतान नहीं कर सकता है. ऐसे में इसका राज्य की अर्थव्यवस्था पर विनाशकारी प्रभाव पड़ सकता है. राज्य सरकार ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश और फिर समीक्षा याचिका की अस्वीकृति को चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय में एक स्पेशल लीव पिटीशन याचिका दायर की है.
वकीलों के अनुसार, राज्य वास्तव में वित्तीय संकटा के बहाने कर्मचारियों को उनके उचित हिस्से से वंचित करने की कोशिश कर रहा है. इस साल मई में, कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति हरीश टंडन और न्यायमूर्ति रवींद्रनाथ सामंत की खंडपीठ ने आदेश दिया था. राज्य सरकार के कर्मचारियों को तीन महीने के भीतर महंगाई भत्ते का भुगतान करने के लिए राज्य.
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खंडपीठ ने आदेश पर पुनर्विचार के अनुरोध को खारिज कर दिया. राज्य ने अब कलकत्ता उच्च न्यायालय की समीक्षा याचिका के फैसले और मूल मामले में फैसले को चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है. राज्य में विपक्षी दल बीजेपी ने इसे लेकर सरकार की आलोचना की है. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने इस मामले में राज्य में ममता सरकार पर निशाना साधा है. सुकांता मजूमदार ने कहा, 'राज्य सरकार दिवालिया है. राज्य सरकार ने 6 लाख करोड़ रुपए बकाया होने के बाद केंद्र से 10,000 करोड़ रुपए के कर्ज की मांग की है. राज्य को केंद्र सरकार के बराबर डीए देना चाहिए.' 'मुझे नहीं लगता कि राज्य के पास पैसा नहीं है.