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बंगाल Vs केंद्र: आज मुख्य सचिव अलपन दिल्ली क्यों नहीं जाएंगे, जानिए वजह - central appointment

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में चक्रवाती तूफान यास पर समीक्षा के लिए हुई बैठक को लेकर उठे विवाद के एक दिन बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि उन्होंने विपक्ष के नेता की मौजूदगी पर आपत्ति जताते हुए बैठक में भाग नहीं लिया. बनर्जी ने केंद्र सरकार से मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय को दिल्ली बुलाने के आदेश को वापस लेने को कहा. वहीं सूत्रों के अनुसार मुख्य सचिव के दिल्ली जानें की उम्मीद कम है. पढ़ें पूरी खबर...

बंगाल Vs केंद्र:
बंगाल Vs केंद्र:

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Published : May 31, 2021, 6:57 AM IST

Updated : May 31, 2021, 3:59 PM IST

कोलकाता : केंद्र सरकार के आदेश के अनुसार पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंद्योपाध्याय को आज सुबह 10 बजे नई दिल्ली में रिपोर्ट करने के लिए कहा गया था. लेकिन सूत्रों का कहना है कि बंद्योपाध्याय आज दिल्ली नहीं जाएंगे. पश्चिम बंगाल सरकार ने अभी तक उन्हें रिलीव नहीं किया है. अलपन बंद्योपाध्याय सोमवार यानी की आज दोपहर को नबन्ना में होने वाली सचिव स्तर की बैठक में भी शामिल हो सकते हैं. यहां चक्रवात यास से हुए नुकसान को लेकर मिलने वाली राहत के सिलसिले में सीएम ममता बनर्जी सभी सचिवों से मुलाकात करेंगी.

संभवत: राज्य सरकार आज केंद्र को पत्र भेजकर बताएगी कि उन्हें उनके ड्यूटी से मुक्त क्यों नहीं किया गया है.

दिल्ली नहीं जाने की बड़ी वजह

बता दें कि पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंद्योपाध्याय के सोमवार को कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग को रिपोर्ट करने की संभावना कम है क्योंकि राज्य सरकार से अभी उन्हें मंजूरी नहीं मिली है. यह जानकारी एक उच्च पदस्थ सूत्र ने दी. सेवानिवृत्ति से कुछ दिन पहले ही उनके अचानक स्थानांतरण से बड़ा विवाद पैदा हो गया है.

सूत्रों के अनुसार बंद्योपाध्याय को पश्चिम बंगाल सरकार ने ड्यूटी से मुक्त नहीं किया है. कार्यक्रम के मुताबिक अपराह्न तीन बजे मुख्यमंत्री द्वारा आहूत समीक्षा बैठक में वह हिस्सा ले सकते हैं.

ममता का मोदी से अनुरोध

दूसरी तरफ इस पूरे मामले में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, 'मैं प्रधानमंत्री मोदी से अनुरोध करती हूं कि राजनीतिक प्रतिशोध खत्म करें, मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय को बुलाने का आदेश वापस लें और उन्हें संक्रमण प्रभावितों के लिए काम करने की अनुमति दें.'

वहीं दूसरी तरफ सूत्र ने बताया कि रविवार को राज्य सचिवालय नबान्न में ही बंद्योपाध्याय मौजूद थे.

केंद्र ने शुक्रवार की रात अचानक बंद्योपाध्याय की सेवाएं मांगीं और राज्य सरकार से कहा कि शीर्ष नौकरशाह को तुरंत वहां से मुक्त किया जाए.

31 मई को सेवानिवृत्त होने वाले हैं

बंद्योपाध्याय 60 वर्ष की उम्र पूरा करने के बाद 31 मई को सेवानिवृत्त होने वाले थे. बहरहाल, कोविड-19 के प्रबंधन को ध्यान में रखते हुए उन्हें तीन महीने का सेवा विस्तार दिया गया था.

वहीं, भारत सरकार के पूर्व सचिव जवाहर सरकार ने कहा, राज्य सरकार ऐसे तबादलों को नियंत्रित करने वाले अखिल भारतीय सेवा नियमावली को रेखांकित कर विनम्रता से जवाब दे सकती है.

क्या है नियम

अखिल भारतीय सेवा के अधिकरियों की प्रतिनियुक्ति के नियम 6 (1) के तहत किसी राज्य के काडर के अधिकारी की प्रति नियुक्ति केंद्र या अन्य राज्य या सार्वजनिक उपक्रम में संबंधित राज्य की सहमति से की जा सकती है.

भारतीय प्रशासनिक सेना (काडर) नियम-1954 के तहत, कोई असहमति होने पर मामले पर निर्णय केंद्र सरकार और राज्य सरकार कर सकती है या संबंधित राज्यों की सरकारें केंद्र सरकार के फैसले को प्रभावी कर सकती है.

उन्होंने कहा कि इस बात पर संशय की स्थिति है कि क्या केंद्र सरकार का आदेश उस स्थिति में भी प्रभावी होगा जब पश्चिम बंगाल सरकार से सहमति नहीं ली गई है, हालांकि, केंद्र-राज्य संबंधों में हित टकराने होने पर केंद्र की प्रधानता का ही नियम है.

कई सेवानिवृत्त और सेवारत नौकरशाहों ने इस स्थिति को अभूतपूर्व करार दिया है.

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हालांकि, सरकार और कई अन्य वरिष्ठ नौकरशाहों का आकलन है कि बंद्योपाध्याय सेवा विस्तार स्वीकार करने के बजाय सेवानिवृत होने का विकल्प चुन सकते हैं, वैसे भी समान्य तौर पर वह 31 मई को सेवानिवृत्त होने वाले थे. वह राज्य सरकार के सलाहकार नियुक्त हो सकते है.

Last Updated : May 31, 2021, 3:59 PM IST

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