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100 किलोमीटर में बारिश की भविष्यवाणी का ऐतिहासिक तरीका, रियासतकालीन तरीके से आज होगा मौसम का अनुमान

अंतरिक्ष के जमाने में भी जयपुर में स्थित जंतर मंतर से 100 किलोमीटर की परिधि में बारिश का अनुमान लगाया जाता है. ऐसी भविष्यवाणी आषाढ़ पुर्णिमा के दिन ही की जाती है. इसलिए सभी जयपुरवासी की निगाहें आज शाम 7.20 बजे होने वाली भविष्यवाणी पर टिकीं हैं.

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Published : Jul 3, 2023, 1:23 PM IST

जयपुर. देश में मौसम के आकलन के लिए विज्ञान ने तरक्की करते हुए अंतरिक्ष में उपग्रह छोड़ दिए हैं. आधुनिक तौर-तरीके से आज 1 हफ्ते से लेकर 1 घंटे पहले तक पल-पल बदलते मौसम की हलचल हम तक पहुंच जाती है. ऐसे में एक ऐतिहासिक शहर जयपुर में मौसम के अनुमान को लेकर मिर्जा राजा जयसिंह की ओर से बनाई गई वैद्यशाला यानी जंतर मंतर में भी हर साल एक परीक्षण किया जाता है. जहां इस परीक्षण के जरिए एक परंपरागत तरीके से बारिश का अनुमान लगाया जाता है. जंतर मंतर में मौसम के अनुमान की इस प्रक्रिया को वायु परीक्षण नाम दिया जाता है. जिसके तहत तय तिथि पर तय समय के अनुसार विद्वजन और ज्योतिषाचार्य जंतर मंतर पर पहुंचते हैं. जयपुर की 100 किलोमीटर की परिधि में आने वाले समय के लिए बारिश का पूर्वानुमान तय करते हैं. 295 साल से इस परंपरा को जयपुर में निभाया जा रहा है.

सम्राट यंत्र के शिखर पर ध्वज के जरिए होता है वायु परीक्षण

सम्राट यंत्र पर होता है वायु परीक्षण : राजा जयसिंह ने साल 1734 में जयपुर में जंतर मंतर का निर्माण करवाया था. इस वेधशाला से पहले 1724 में दिल्ली में भी एक वेधशाला का निर्माण किया गया था. लेकिन विश्व विरासत में शामिल जयपुर की जंतर मंतर भारत की अन्य वेधशालाओं से काफी बड़ी है. यहां मौजूद सम्राट यंत्र सबसे ऊंचा है, जहां से वेधशाला के जरिए गणना करने में माहिर लोग प्रतिवर्ष मौसम के पूर्वानुमान को बताते हैं. सम्राट यंत्र की ऊंचाई 105 फीट है, इस यंत्र की ऊंची चोटी आकाशीय ध्रुव को इंगित करती है. इस यंत्र का निर्माण चूने और पत्थर से किया गया है. सबसे विशाल यंत्र सम्राट यंत्र है. अपनी भव्यता और विशालता के कारण ही इसे सम्राट यंत्र कहा गया. इस यंत्र में शीर्ष पर एक छतरी भी बनी हुई है. यह यंत्र ग्रह नक्षत्रों की क्रांति, विषुवांश और समय ज्ञान के लिए स्थापित किया गया था.

सूर्यास्त के समय सम्राट यंत्र पर वायु परीक्षण के जरिए होती है मानसून की भविष्यवाणी

आज शाम होगा वायु परीक्षण और पूर्वानुमान : रियासत कालीन परंपरा के अनुसार आषाढ़ मास की पूर्णिमा के दिन जंतर मंतर पर वायु परीक्षण किया जाता है. इस वायु परीक्षण के लिए विद्वजन और ज्योतिषाचार्य सम्राट यंत्र की ऊंचाई पर पहुंचते हैं और एक ध्वज लहराते हैं. इस ध्वज की दिशा और वायु की दिशा का सम्राट यंत्र की स्थिति पर आकलन करने के बाद वहां मौजूद लोग आने वाले समय में होने वाली बारिश की भविष्यवाणी करते हैं. 90 प्रतिशत तक इस भविष्यवाणी को सटीक माना जाता है. आज शाम 7:20 पर सम्राट यंत्र के शिखर पर यह ध्वज वायु वेग और दिशा को देखते हुए बारिश का पूर्वानुमान किया जाएगा.

सैलानियों से गुलजार जयपुर का जंतर मंतर

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जंतर मंतर में मौजूद है ये यंत्र :जयपुर के संस्थापक और जंतर-मंतर के निर्माता राजा जयसिंह एक खगोल वैज्ञानिक भी थे. उन्होंने 1724 में जब जंतर मंतर के निर्माण को शुरू किया, तो उसके पहले अपने दरबार के विद्वान लोगों को दुनिया भर में भेजा, ताकि वह ज्योतिष और खगोल विज्ञान से जुड़ी हुई जानकारियों के आधार पर बनने वाले इस ऐतिहासिक स्तंभ के बारे में जानकारी जुटा सकें. इसी आधार पर उन्होंने दिल्ली जयपुर के अलावा बनारस और उज्जैन में भी वेधशाला का निर्माण किया था. जयपुर की वेधशाला में विशाल सम्राट यंत्र के अलावा लघु सम्राट यंत्र भी बनवाया. यहां मौजूद अन्य यंत्रों में जय प्रकाश यंत्र, राम यंत्र, राज यंत्र, ध्रुव यंत्र, दक्षिणा यंत्र, लघु क्रांति यंत्र, दीर्घ क्रांति यंत्र, राशिवलय यंत्र, नाड़ीवलययंत्र, दिशा यंत्र और उन्नताश यंत्र जैसी प्रमुख कृतियां मौजूद हैं. देशभर में मौजूद सवाई जयसिंह की बनाई गई वेद शालाओं में से जयपुर की वेधशाला सबसे बड़ी और बेहतर स्थिति में है. एक अनुमान के मुताबिक साल भर में यहां करीब 7 लाख देशी-विदेशी सैलानी इसे देखने आते हैं.

105 फीट ऊंचे सम्राट यंत्र के नजदीक लघु सम्राट यंत्र

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