Inovation In IIT : आईआईटी बॉम्बे के छात्र ने का कमाल, हाथ के इशारे पर चलेगी कार - एआई इशारे
आईआईटी बॉम्बे के एक रिसर्च स्कॉलर ने एआई-आधारित तकनीक विकसित की है, जिससे कोई भी व्यक्ति इशारों से कार चला सकता है. मेहुल बोराद एआई का इस्तेमाल करना चाहते हैं जिसके जरिए महंगे मेडिकल टेस्ट सस्ती दरों पर किए जा सकेंगे. पढ़ें पूरी खबर...
मुंबई:कल्पना करें की आप मुंबई की ट्रैफिक में कार चला रहे हैं कि वो भी सिर्फ हाथ के इशारों से. आईआईटी बॉम्बे के 21 वर्षीय शोधकर्ता मेहुल बोराद ने अपनी नवीनतम कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई)-आधारित तकनीक से इसे संभव बनाने का एक तरीका खोजा है.
मेहुल एक ऐसी तकनीक लेकर आए हैं जिससे स्टीयरिंग को छुए बिना कार चलाना संभव हो जाएगा. कार को स्टार्ट करने और उसे चलाने के लिए बस इशारों का उपयोग करना होगा. यह कार एआई की मदद से मोशन सेंसर पर काम करेगी. मेहुल ने इशारों के माध्यम से कार को नियंत्रित करके दिखाया है.
राजस्थान के रहने वाले मेहुल की रुचि बचपन से ही विज्ञान और प्रौद्योगिकी में रही है. तरह-तरह के अनुसंधान को करते रहना उनके लिए हॉबी की तरह है. उन्होंने बताया कि जब वे स्कूल में थे उस समय से ही नयी-नयी चीजों को बनाने के बारे में सोचते थे. उन्होंने हैदराबाद में पढ़ाई की और फिर आईआईटी बॉम्बे में दाखिला लिया.
उन्होंने अंतरराष्ट्रीय ओलंपियाड परीक्षा अच्छे अंकों के साथ उत्तीर्ण की. मेहुल आईआईटी में प्रवेश करने से पहले ही एक छोटा ड्रोन बना चुके थे. उन्होंने एक इलेक्ट्रिक कार को भी मोडिफाइड किया था और अपना खुद का रोबोट भी तैयार कर चुके थे. उनका रोबोट स्कूल में नृत्य करता था और उनकी छोटी कार जमीन पर किसी भी बाधा को पार कर सकती थी.
मेहुल के माता-पिता ने भौतिकी और इलेक्ट्रॉनिक्स के प्रति उनके प्यार को पहचाना और उन्हें इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया. मेहुल ने कहा कि जब मैं एक बच्चा था, तो मैं किसी भी मशीन को देकर उत्सुक हो जाता था. मेरे मन में सवाल उठते थे कि यह कैसे काम करती है और इसकी कार्यप्रणाली क्या है. मुझे इसकी कार्यप्रणाली देखने में आनंद आता था. मैंने एक बार एक छोटी मोटर, पेपर ब्लेड और की मदद से एक छोटा सा पंखा बनाया था जो बैटरी से चलती थी. तब से, मेरा परिवार मुझे मशीनों के साथ काम करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है.