देहरादून (उत्तराखंड): देश के सीमांत गांवों को विकसित करने के लिए केंद्र सरकार ने वाइब्रेंट विलेज योजना की शुरुआत की है. वाइब्रेंट विलेज योजना में उत्तराखंड के तीन जिलों के 51 गांवों को भी शामिल किया है. जिन 51 गांवों को वाइब्रेंट विलेज योजना में शामिल किया है, वो सभी चीन और नेपाल सीमा पर स्थित हैं. इन गांवों को वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत कैसे विकसित किया जाएगा, इसके बारे जानिए पूरी जानकारी.
दरअसल, सामरिक दृष्टि से उत्तराखंड काफी संवेदनशील प्रदेश है, क्योंकि उत्तराखंड की सीमा दो देशों- चीन और नेपाल से लगी हुई है. उत्तराखंड में जहां एक तरफ चीन की 350 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा है, तो वहीं उत्तराखंड का करीब 275 किमी लंबा हिस्सा पड़ोसी देश नेपाल से सटा हुआ है. यही कारण है कि केंद्र सरकार उत्तराखंड के सीमांत गांवों को विकसित करने में जुटी हुई है. इन गांवों में विकास का पहिया तेजी से घूम सके, इसलिए प्रदेश के 51 सीमांत गांवों को वाइब्रेंट विलेज योजना में शामिल किया गया है.
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उत्तराखंड में वाइब्रेंट विलेज योजना के नोडल अधिकारी उत्तराखंड आईटीडीए की निदेशक नितिका खंडेलवाल को बनाया गया है. नितिका खंडेलवाल के मुताबिक, वाइब्रेंट विलेज योजना को लेकर सरकार ने अपना ब्लू प्रिंट तैयार कर लिया है. आईटीडीए निदेशक ने बताया कि एक गांव को वाइब्रेंट यानी विकसित करने के लिए कई मानक होते है. सबसे पहले गांव तक सड़क का पहुंचना. इसके बाद मोबाइल कनेक्टिविटी. वहां पर लोगों की आजीविका कैसे चलेगी, वहां की संस्कृति को कैसे सजोया जाए, इन तमाम बातों को ध्यान में रखकर एक विस्तृत कार्य योजना तैयार की जा रही है.