देहरादून(उत्तराखंड): उत्तरकाशी सिलक्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों को आज भी नई सुबह का इंतजार है. टनल में फंसे सात राज्यों के मजदूरों को निकालने के लिए पिछले आधे महीने से सिलक्यारा में रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है. राज्य सरकार के साथ ही भारत सरकार की टीमें भी यहां पिछले कई दिनों से राहत बचाव कार्य में लगी हैं. सेना ने भी मौके पर कमान संभाली हुई है. देश और दुनिया के एक्टपर्टस भी मदद के लिए उत्तरकाशी पहुंचे हैं. इसके बाद भी अभी तक टनल में फंसे हुए मजदूरों तक राहत बचाव टीमें नहीं पहुंच पाई है.
उत्तरकाशी सिलक्यारा टनल रेस्क्यू ऑपरेशन बात अगर पिछले 15 दिनों की करें तो कई बार लगा कि अब रेस्क्यू ऑपरेशन सफल हो गया, मगर ऐन वक्त पर बाधाओं ने राहत बचाव कार्य में लगे कर्मचारियों को निराश किया. टनल में फंसे 41 मजदूरों को निकालने के लिए पहले दिन ले लेकर अब तक क्या कुछ हुआ, आइये आपको सिलसिलेवार बताते हैं.
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12 नवंबर को उत्तरकाशी की सिलक्यारा टनल में मलबा गिरा. सुरंग के मेन गेट से 200 मीटर अंदर मलबा गिरा. बताया जा रहा है कि सबह 4 बजे मलबा गिरना शुरू हुआ. इसके बाद पांच बजे टनल से आवाजाही बंद हो गई. इसके बाद जानकारी मिली कि सिलक्यारा टनल के अंदर 41 मजदूर फंस गये हैं. इस खबर के मिलते ही आनन-फानन में रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया. पहले सामान्य तरीके से मलबे को हटाना शुरू किया गया, मगर इसमें सफलता नहीं मिली.
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इसके अगले दिन टनल में पाइप डालने का काम शुरू हुआ. इस दिन 20 मीटर ड्रिलिंग की गई. ड्रिलिंग के कंपन के कारण मलबा गिरा. जिसके कारण 13 नवंबर को भी ड्रिलिंग रोकनी पड़ी. इसी दिन सीएम धामी भी मौके पर पहुंचे. उन्होंने हादसे की गंभीरता को समझते हुए अधिकारियों को जरूरी दिशा निर्देश दिये. इस दिन मजदूरों तक खाना, ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए एक पाइड को मलबे के उपर से टनल में डाला गया. यह पाइप टनल में फंसे मजदूरों के लिए जीवन रक्षक साबित हुआ.
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इसके बाद 14 नवंबर को उत्तरकाशी सिलक्यारा टनल में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए हॉलैंड,नार्वे के एक्सपर्ट की मदद ली गई. इसके बाद टनल में 900 मिलीमीटर यानी 35 इंच के पाइप डालकर रेस्क्यू कार्य करने का फैसला लिया गया. इसके साथ ही ऑगर ड्रिलिंग मशीन और हाइड्रोलिक जैक ऑपरेशन में लगाए गए. इससे भी सफलता नहीं मिली.
15 नवंबर को ड्रिलिंग का काम एक बार फिर से बाधित हुआ. इस दौरान सिलक्यारा टनल के बाहर टनल में फंसे मजदूरों के परिजन भी पहुंचने लगे. परिजनों ने राहत बचाव कार्य की जानकारी ली. जिससे वे संतुष्ट नहीं दिखे. उन्होंने जमकर नारेबाजी की. इसके बाद ये मामला पीएमओ तक पहुंचा. जिसके बाद उत्तरकाशी सिलक्यारा टनल रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए दिल्ली से अमेरिकन ऑगर मशीन मंगाई गई. जिसे वायुसेना के विमानों से उत्तरकाशी भेजा गया.
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16 नवंबर को एक बार फिर से बड़ी उम्मीदों के साथ अमेरिकन ऑगर मशीम से ड्रिलिंग शुरू की गई. इस दिन पहले आये मलबे को हटाया गया. साथ ही कुछ ड्रिलिंग की गई. 16 नवंबर को पीएम मोदी ने सीएम धामी से रेस्क्यू ऑपरेशन का अपडेट लिया. इसके अगले दिन 17 नवंबर को ऑगर मशीन से 24 मीटर तक पाइप डालने में सफलता मिली. इससे आगे हार्ड रॉक आ जाने के कारण ऑगर मशीन की बेयरिंग टूट गई. जिसके कारण एक बार फिर से रेस्क्यू ऑपरेशन रुक गया. इसके बाद इंदौर से नई ऑगर मशीन मंगाई गई.
18 नवंबर के दिन पीएमओ की 6 सदस्यीय टीम सिलक्यारा पहुंची. पीएमओ के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे इस टीम को लीड कर रहे थे. शनिवार 18 नवंबर को ड्रिलिंग का काम रुका रहा. इस दौरान पांच जगह से ड्रिलिंग करने की योजना बनी. साथ ही डीआरडीओ की रोबोटिक्स टीम भी सिलक्यारा टनल पहुंची. इसके अगले दिन 19 नवंबर को नितिन गडकरी सिलक्यारा पहुंचे. उन्होंने टनल का निरीक्षण किया. साथ ही उन्होंने रेस्क्यू में लगे लोगों को हौंसला बढ़ाया.
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20 नवंबर को इंटरनेशनल टनलिंग एक्सपर्ट अर्नोल्ड डिक्स सिलक्यारा पहुंचे. डिक्स ने टनल और उसके आसपास का सर्वे किया. इसके बाद वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए दो स्थान चयनित किए गए. इसी दिन टनल में फंसे मजदूरों को भोजन देने के लिए 6 इंच का पाइप डाला गया. जिसके जरिये मजदूरों तक और अधिर भोजन, फोन, जरूरी चीजें पहुंचाई गई. इसी दिन टनल के ऊपर पहाड़ से ड्रिलिंग के लिए बीआरओ ने सड़क निर्माण किया.
21 नवंबर को सिलक्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों का पहला वीडियो सामने आया. जिससे परिजनों ने राहत की सांस ली. इस दिन सीएम धामी ने भी मजदूरों से बात कर उनका हौंसला बढ़ाया. इसी दिन मजदूरों तक एक एंडोस्कोपी कैमरा भेजा गया. जिससे अंदर के हालातों की सटीक जानकारी मिली. 21 नवंबर को पहली बार मजदूरों पका हुआ भोजन भेजा गया.
उत्तरकाशी सिलक्यारा टनल हादसा
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इसके बाद रेस्क्यू ऑपरेशन ने रफ्तार पकड़ी. 22 नवंबर ऑगर मशीम ने 45 मीटर तक ड्रिलिंग की. इस दिन उम्मीद थी कि अब मजदूर बाहर निकल आएंगे, मगर ऑगर मशीन में स्टील की रॉड टकरा गई. जिससे ऑगर मशीन डैमेज हो गई. 23 नवंबर को स्टील की रॉड को कटर की मदद से काटकर ड्रिलिंग मशीन के रास्ते से अलग किया गया. इसके बाद फिर से ड्रिलिंग शुरू हुई. इसी दिन सेना के चिनूक हेलीकॉप्टर को इमरजेंसी मेडिकल सर्विस के लिए चिन्यालीसौड़ एयरपोर्ट पर लैंड किया गया. इसके साथ ही सिलक्यारा टनल के बाहर 41 एंबुलेंस सारी मेडिकल सुविधाओं के साथ तैनात की गई. केंद्रीय मंत्री वीके सिंह, सीएम धामी भी सिलक्यारा टनल पहुंचे. इसके बाद भी देर शाम तक रेस्क्यू पूरा नहीं हो पाया. रात को ऑगर मशीन डैमेज हो गई. अब तक टनल में 46.8 मीटर तक हो ड्रिलिंग हो चुकी थी.
बर्फबारीबढ़ाएगी रेस्क्यू ऑपरेशन की मुश्किलें
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अगले दिन 24 नवंबर को बेंगलुरु से स्क्वाड्रोन इंफ्रा के छह टनलिंग माइनिंग विशेषज्ञ इंजीनियरों की टीम सिलक्यारा टनल पहुंची. टीम ने सिलक्यारा टनल में पहुंचकर एआई यानी आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस का सहारा लेकर सुरंग के अंदर क्या हालात हैं वो बताया. इसके साथ ही इसी दिन बीआरओ यानी बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन ने बेंगलुरू से दो Advance (एडवांस) ड्रोन मंगाये. इसके अलावा सिलक्यारा टनल में बाइब्रेशन जांचने के लिए रुड़की से वैज्ञानिकों की टीम भी सिलक्यारा पहुंची. सब कुछ जांचने के बाद फिर ड्रिलिंग शुरू की गई. 24 नवंबर की रात तक 47 मीटर ड्रिलिंग पूरी कर ली गई. इसी दिन टनल के मलबे में आए लोहे के रॉड और पाइप को ड्रिलिंग के दौरान हटाने में ऑगर मशीन के ब्लेड बुरी तरह डैमेज हो गए. इंटरनेशनल टनलिंग एक्सपर्ट अर्नोल्ड डिक्स ने खुद कहा कि ऑगर मशीन अब नहीं है. वो कबाड़ हो चुकी है.
रेस्क्यू ऑपरेशन में लगी ये एजेंसियां
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25 नवंबर को टनल में रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी एजेंसियों की इमरजेंसी बैठक बुलाई गई. इसके बाद बाकी बची हुई ड्रिलिंग को मैन्यूअली करने का फैसला लिया गया. जिसके लिए हैदराबाद से प्लाज्मा कटर मंगाये गये. इसके साथ ही वर्टिकल ड्रिलिंग का भी फैसला लिया गया. साथ ही रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी एजेंसियों ने ड्रिफ्ट मैथड पर भी विचार करने की बात कही.
टनल में फंसे मजदूरों से सीएम धामी ने की बात
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आज 26 25 नवंबर को हैदराबाद से प्लाज्मा कटर सिलक्यारा पहुंचे. जिसके बाद एक बार फिर से रेस्क्यू ऑपरेशन ने रफ्तार पकड़ी है. इसके अलावा टनल के उपर से वर्टिकल ड्रिलिंग भी शुरू कर दी गई है. इसके अलावा चंडीगढ़ लेजर कटर भी मंगाया गया है. सभी संसधनों के साथ एक बार फिर से रेस्क्यू ऑपरेशन तेज हो गया है. जिससे कारण टनल में फंसे मजदूरों की नई सुबह की आस एक बार फिर से जग गई है.