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उत्तराखंड की दो बेटियों ने अपने पिता की हार का बदला लेकर रचा इतिहास

माना जाता है कि पिता की सबसे प्यारी बेटी होती है और एक बेटी के लिए पिता उसके आदर्श या हीरो होते हैं. कोई उसके पिता को कुछ कह दे तो वह उससे लड़ने में भी गुरेज नहीं करती है. उसी परिदृश्य में उत्तराखंड की दो बेटियां अनुपमा रावत और रितु खंडूड़ी ने अपने पिता की हार का बदला विधान सभा चुनाव 2022 में अपने पिता के प्रतिद्वंदी को हराकर ले लिया. पढ़ें पूरी खबर...

अनुपमा रावत और रितु खंडुड़ी
अनुपमा रावत और रितु खंडुड़ी

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Published : Mar 10, 2022, 4:57 PM IST

Updated : Mar 11, 2022, 1:38 PM IST

हैदराबाद: उत्तराखंड की दो बेटी अनुपमा रावत और रितु खंडूड़ी ने अपने पिता की हार का बदला विधान सभा चुनाव 2022 में उनके प्रतिद्वंदी को हराकर ले लिया. आपको जानकर यह हैरानी होगी की विधानसभा चुनाव 2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मेजर जनरल (रिटायर्ड) भुवन चंद्र खंडूड़ी को भारी मतों से हराकर नए इतिहास की शुरूआत की थी. तत्पश्चात यह ट्रेंड बन गया है कि 2012 से लेकर अब तक उत्तराखंड के किसी भी मुख्यमंत्री ने अपनी सीट विधान सभा चुनाव में जीत कर वापसी नहीं की. 2017 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत दो सीटों से चुनाव हार गए थे.

बता दें कि 2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हालांकि मेजर जनरल (रिटायर्ड) भुवन चंद्र खंडूड़ी ने धूमाकोट सीट छोड़कर कोटद्वार सीट से चुनाव लड़ा था वहां पर वह कांग्रेस प्रत्याशी सुरेंद्र सिंह नेगी से चुनाव हारकर भाजपा को दूसरे नंबर पर पहुंचा दिया था. हालांकि 2017 में रितु खंडुड़ी ने यमकेश्वर सीट से चुनाव जीतकर विधान सभा की सदस्या बन गई थी. विधान सभा चुनाव 2022 में उसे कांग्रेस प्रत्याशी सुरेंद्र सिंह नेगी के खिलाफ मैदान में उतारा गया था. टिकट वितरण के बाद से ही यह कयास लगाए जा रहे थे कि क्या वह अपने पिता की हार का बदला ले पाएगी.

ठीक उसी तरह विधानसभा चुनाव 2017 में हरीश रावत ने दो सीटों से चुनाव लड़ा था और दोनों सीटों से उन्हें हार की प्राप्ति हुई थी, 2017 में तत्कालीन विधायक स्वामी यतीश्वरानंद ने तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत को हराकर अपना लोहा मनवाया था, जो कि स्वामी का लगातार दूसरी जीत थी. बाद में पार्टी ने उन्हें कैबिनेट मंत्री का पद से नवाजा था. विधान सभा चुनाव 2022 में कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की सुपुत्री अनुपमा रावत को निवर्तमान मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद के खिलाफ मैदान में उतारा था. उन पर अपने पिता की हार का बदला लेने का खासा दबाब भी था जो कि अंततोगत्वा उसने कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद हराकर अपने जीत का परचम लहरा दिया.

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Last Updated : Mar 11, 2022, 1:38 PM IST

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