देहरादून :कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को भले ही उत्तराखंड की राजनीति का चाणक्य माना जाता हो. लेकिन 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले उनका गणित बिगड़ने लगा है. आलम ये है कि जब से कांग्रेस आलाकमान ने हरीश रावत को चुनाव समिति का अध्यक्ष बनाया है तब से कांग्रेसी विधायक और कांग्रेस नेता भाजपा में में शामिल हो रहे हैं.
वहीं, इस सबके पीछे भाजपा के राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी का हाथ सामने आ रहा है. बलूनी दिल्ली में बैठकर हरीश रावत का खेल बिगाड़ रहे हैं. हालांकि इन सभी हालातों पर कांग्रेस आलाकमान की नजरें भी गड़ी हुई है. यही वजह है कि राहुल गांधी और सोनिया गांधी ने हरीश रावत और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल को दिल्ली तलब किया है. दूसरी तरफ अपनी कांग्रेस से अपनी नाराजगी जता चुके पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय भी दिल्ली पहुंचे हुए हैं.
आगामी 2022 विधानसभा चुनाव से पहले उत्तराखंड की राजनीति में सियासी चालें और राजनीतिक उठापटक देखने को मिल रहा है. एक तरफ भाजपा कांग्रेस के विधायकों को भाजपा की सदस्या दिला रही है तो दूसरी तरफ कांग्रेस की स्थिति पहले से ज्यादा बिगड़ती जा रही है. हाल ही में उत्तरकाशी के पुरोला से कांग्रेस विधायक राजकुमार के बीजेपी में शामिल होने के बाद आलाकमान ने सक्रिय होते हुए प्रदेश संगठन के तमाम नेताओं को दिल्ली तलब किया है. यही नहीं, हाल ही में कांग्रेस की कार्यकारिणी गठित होने के बाद से यह उम्मीद लगाई जा रही थी कि कांग्रेस में चल रही गुटबाजी पर विराम लगेगा. लेकिन, उसके उलट गुटबाजी और अधिक बढ़ गई है.
दिल्ली से अनिल बलूनी खेल रहे खेल
उत्तराखंड की राजनीति में इन दिनों नेताओं का दलबदल जोरों शोरों से चल रहा है. खास बात यह है कि अभी तक जितने विधायक बीजेपी में शामिल हुए हैं. उन सभी ने दिल्ली में अनिल बलूनी की मौजूदगी में भाजपा का दामन थामा है. उत्तराखंड के धनौल्टी से निर्दलीय विधायक प्रीतम सिंह पंवार और पुरोला से कांग्रेस विधायक राजकुमार ने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की है. कहा यह जा रहा है कि दिल्ली में बैठकर अनिल बलूनी उत्तराखंड कांग्रेस का खेल बिगाड़ रहे हैं. वहीं, अभी कुछ और नेता भी बीजेपी के संपर्क में हैं.
सोशल मीडिया पर हुई नोक-झोंक
हाल ही में सोशल मीडिया पर हरीश रावत और अनिल बलूनी दोनों नेता एक-दूसरे से भिड़ गए थे. राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने पूर्व सीएम हरीश रावत पर हिंदू-मुस्लिम कार्ड खेलने का आरोप लगाया है. वहीं, हरीश रावत ने सांसद बलूनी को विकास के मुद्दे पर खुली बहस की चुनौती दी है.
बलूनी ने हरीश रावत को कहा हरद्वारी लाल
राज्यसभा सांसद और बीजेपी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी ने हरीश रावत को लेकर लिखा था कि अल्मोड़ा वाले हरदा ऐसे नहीं थे. लेकिन जबसे हरदा हरद्वारी लाल बने, तब से उनके द्वारा अपनी सोच और समझ आमूलचूल रूप से बदल दी गई है. अब रावत ने भी अपनी पार्टी की तरह ही तुष्टिकरण के हिंदू-मुस्लिम कार्ड को गले में टांग लिया है.
हरीश रावत का पलटवार
इस जंग में हरीश रावत भी कहां पीछे रहने वाले थे. उन्होंने भी बड़ा भाई बनकर अनिल बलूनी को जवाब दिया. हरीश रावत ने अनिल बलूनी की पोस्ट पर रिप्लाई करते हुए लिखा कि थैंक्यू बलूनी जी. आपने मुझे हरद्वारी लाल कहकर संबोधित किया. अल्मोड़ा के लोगों का दिल बहुत बड़ा है. उनको यह जानकर खुशी होगी कि उनका हरीश रावत हरिद्वार का दिल जीत सका और विपक्ष को भी उनको हरद्वारी लाल कहकर संबोधित करना पड़ा.
हरीश रावत को चुनाव समिति का अध्यक्ष बनाने पर बढ़ी नाराजगी
साल 2017 विधानसभा चुनाव के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत दो-दो जगह से चुनाव हार गए थे, जिसके बाद से ही हरीश रावत किसी न किसी तरह सक्रिय बने हुए हैं. लेकिन पिछले महीने अगस्त में कांग्रेस आलाकमान ने पूर्व सीएम हरीश रावत को बड़ी जिम्मेदारी देते हुए चुनाव संचालन समिति का अध्यक्ष बनाया. जिसके बाद से ही अन्य गुटों में नाराजगी बढ़ गई. वहीं, वरिष्ठ पत्रकार भागीरथ शर्मा ने बताया कि हरीश रावत की सक्रियता और बड़ी जिम्मेदारी मिलने के बाद विरोधी गुटों में न सिर्फ नाराजगी बढ़ गई है. बल्कि वह भी अपनी सक्रियता को बढ़ाने लगे हैं.
पार्टी छोड़ रहे नेताओं से कांग्रेस को नुकसान
किसी भी दल का नेता दूसरे दल में शामिल होता है तो उसके पूर्ववर्ती दल को काफी नुकसान पहुंचता है. क्योंकि लंबे समय से दल में रहने वाले नेता के साथ सैकड़ों कार्यकर्ताओं का समर्थन भी रहता है. ऐसे में अगर नेता दल बदलते हैं तो उसके समर्थक भी दूसरे दल में शामिल हो जाते हैं. वरिष्ठ पत्रकार भागीरथ शर्मा कहते हैं कि,